18 January 2020
केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा बेंगलुरु, कर्नाटक में वेदांत भारती द्वारा आयोजित विवेकदीपनी महासमर्पणे कार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
वेदांत भारती के प्रयासों से एक ही जगह पर, एक ही स्वर में हो रहा मंत्रोच्चार पूजा के एक अभिन्न चक्र को निर्मित करता है जो मन, शरीर और आत्मा, तीनों को न केवल शक्ति देता है, अपितु हमें कई प्रकार के दोषों से भी मुक्त करता है
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में बहुत समय बाद देश ने एक ऐसा प्रधानमंत्री देखा जो शपथ लेने से पहले वाराणसी में माँ गंगा की आरती के लिए जाते हैं और गौरव के साथ भभूति लगा कर पूरी दुनिया को संदेश देते हैं कि हमारे पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है
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बहुत समय बाद हमने एक ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो नेपाल के भगवान् पशुपतिनाथ मंदिर जाकर भारत सरकार की ओर से रक्त चंदन की भेंट भी करते हैं और भगवान् पशुपतिनाथ का अभिषेक भी करते हैं
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे देश की संस्कृति, संस्कार और महान परंपरा को पूरी दुनिया में पहुँचाने का प्रयास किया है। एक तरह से वे हमारी संस्कृति के ध्वजवाहक बन कर पूरी दुनिया में घूम रहे हैं
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की संस्कृति, संस्कार और धर्म के प्रति हमारे गौरव को जागरुक करके एक नई चेतना का निर्माण करने का काम किया है जबकि आजादी के बाद कई वर्षों तक ऐसी सरकारें चली जिसने अपनी श्रेष्ठ संस्कृति और धर्म का गौरव करना भी छोड़ दिया था
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हमारे वेदों, उपनिषदों, शास्त्रों और पौराणिक साहित्य में जो सारगर्भित और गूढ़ ज्ञान भरा पड़ा है, उस ज्ञान को शिक्षा के साथ बच्चों को देना और उनके जीवन को लक्ष्य के प्रति समर्पित करना बहुत जरूरी है
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गवान् आदिशंकराचार्य रचित प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के संक्षिप्त स्वरूप विवेकदीपनी से बच्चों को परिचित करना और इसके ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाना - इससे बड़ा प्रेरणादायी काम कुछ और हो ही नहीं सकता
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बच्चे रत्नमालिका के श्लोकों को इसके स्थूल स्वरूप के बजाय इसके गूढ़ उत्तर को अपने गुरुजनों से ग्रहण करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको अपने जीवन में गलत रास्ते पर जाने की कोई संभावना ही नहीं बनती, जीवन में निराशा और अकर्मण्यता के आने की भी कोई संभावना नहीं बनती और समग्र सृष्टि के कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित करने का भाव भी इसी से जाग्रत होता है
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अक्टूबर, 2017 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए 24 भारतीय भाषाओं को प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के अनुवाद का काम साहित्य अकादमी को दिया, यह बताता है कि देश के प्रधानमंत्री प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के संदर्भ और आज के समय में उसके महत्व को कितने अच्छे तरीके से समझते हैं
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मैं वेदांत भारती को इस बात के लिए कोटि-कोटि साधुवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने लाखों बच्चों के जीवन में वेदों और उपनिषदों के संदेश को इतनी सरलता से पहुंचाया है। इस पावन कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मेरी जहां भी जरूरत होगी, मैं सदैव वेदांत भारती के साथ खड़े रहने का प्रयास करूंगा
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एक जीवन के अंदर एक व्यक्ति अपने अल्पायु जीवन में किस तरह से देश की साथ बार परिक्रमा करते हुए देश के चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर धर्म और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य कर सकता है, यह हमें भगवान् आदि शंकराचार्य के जीवन से सीखने की जरूरत है
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‘भज गोविंदम’ से भगवान् आदि शंकर ने रास्ता दिखाया कि मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी भक्ति मार्ग से ईश्वर को पा सकता है। उन्होंने 12 अखाड़ों और दशनामी (सरस्वती, गिरि, पुरी, वन, भारती, तीर्थ, सागर, अरण्य, पर्वत और आश्रम ) सन्यासी की स्थापना कर विसंगतियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया
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केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज पैलेस ग्राउंड, बेंगुलुरु (कर्नाटक) में वेदांत भारती द्वारा आयोजित विवेकदीपनी महासमर्पणे कार्यक्रम को संबोधित किया और बच्चों से प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के गूढ़ रहस्यों को समझकर उसे अपने जीवन में उतारने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में उपस्थित लाखों बच्चों ने एक स्वर से सौंदर्य लहरी के 11 श्लोकों का सुमधुर पाठ किया। कार्यक्रम पूज्य श्री शंकर भारती महास्वामी जी के सान्निध्य में हुआ। कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी एस येदियुरप्पा, श्री एबी चंद्रशेखर, भाजपा सासंद श्री तेजस्वी सूर्या, श्री पी सी मोहन एवं कई अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
श्री शंकर भारती महास्वामी जी की पावन उपस्थिति को प्रणाम करते हुए श्री शाह ने कहा कि वेदांत भारती के प्रयासों से एक ही जगह पर, एक ही स्वर में हो रहा मंत्रोच्चार पूजा के एक अभिन्न चक्र को निर्मित करता है जो मन, शरीर और आत्मा, तीनों को न केवल शक्ति देता है, अपितु हमें कई प्रकार के दोषों से भी मुक्त करता है। दो लाख से अधिक बच्चों ने सौंदर्य लहरी के चुने हुए 11 श्लोकों का एक साथ पठन कर जिस तरह से एक पवित्र वातावरण का निर्माण किया है, मैं इससे आश्चर्यचकित और अभिभूत हूँ। मैं वेदांत भारती को इस बात के लिए कोटि-कोटि साधुवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने लाखों बच्चों के जीवन में वेदों और उपनिषदों के संदेश को इतनी सरलता से पहुंचाया है। हमारे वेदों, उपनिषदों, शास्त्रों और पौराणिक साहित्य में जो सारगर्भित और गूढ़ ज्ञान भरा पड़ा है, उस ज्ञान को शिक्षा के साथ बच्चों को देना और उनके जीवन को लक्ष्य के प्रति समर्पित करना बहुत जरूरी है। भगवान् आदिशंकराचार्य रचित प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के संक्षिप्त स्वरूप विवेकदीपनी से बच्चों को परिचित करना और इसके ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाना - इससे बड़ा प्रेरणादायी काम कुछ और हो ही नहीं सकता। मैं बच्चों से कहना चाहता हूँ कि आप रत्नमालिका के श्लोकों के अर्थ को इसके स्थूल स्वरूप के बजाय इसके गूढ़ उत्तर को अपने गुरुजनों से ग्रहण करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको अपने जीवन में गलत रास्ते पर जाने की कोई संभावना ही नहीं बनती, जीवन में निराशा और अकर्मण्यता के आने की भी कोई संभावना नहीं बनती और समग्र सृष्टि के कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित करने का भाव भी इसी से जाग्रत होता है। इसलिए अक्टूबर, 2017 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए 24 भारतीय भाषाओं को प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के अनुवाद का काम भी साहित्य अकादमी को दिया है, यह बताता है कि देश के प्रधानमंत्री प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के संदर्भ और आज के समय में उसके महत्व को कितने अच्छे तरीके से समझते हैं। वेदांत भारती ने भी अपनी पहल पर विवेकदीपनी का 10 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर इसे प्रकाशित किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 10 लाख छात्रों को विवेकदीपनी पढ़ाया जाता है और बेंगलुरु के लगभग दो लाख छात्र वेदांत भारती के माध्यम से विवेकदीपनी का अध्ययन करते हैं, यह निस्संदेह अनुकरणीय एवं अभिनंदनीय कार्य है जो वेदांत भारती पूरी तन्मयता के साथ इतने सालों से कर रही है। इस पावन कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मेरी जहां भी जरूरत होगी, मैं सदैव वेदांत भारती के साथ खड़े रहने का प्रयास करूंगा।
श्री शाह ने कहा कि हमने भगवान् आदिशंकर के जीवन को जानने और समझने का प्रयास करना चाहिए। एक जीवन के अंदर एक व्यक्ति अपने अल्पायु जीवन में किस तरह से देश की साथ बार परिक्रमा करते हुए देश के चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर धर्म और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य कर सकता है, यह हमें उनके जीवन से सीखने की जरूरत है। भगवान् आदिशंकर ने केदारनाथ में जोशीमठ, द्वारका में शारदा मठ, पुरी में गोवर्धन मठ और कर्नाटक में श्रृंगेरी मठ की स्थापना करते हुए उसे चार वेद और सारे उपनिषदों में बांट कर इसे संरक्षित और संवर्धित करने की हजारों सालों की एक महान परम्परा खड़ी की है। यह परंपरा आज तक भारतवर्ष के अध्यात्म को और आध्यात्मिक ज्ञान को जनता के पास पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान् आदि शंकर के जीवन के समय देश धार्मिक रूप से काफी जटिलताओं और विषंगतियों से जूझ रहा था। हिंदू धर्म के इतने मत-मतांतर हो चुके थे कि कई संघर्षों और कर्मकांडों में हमारा धर्म फंस गया था। तब हिंदू धर्म के सभी भागों को एक करने का काम अपने छोटे से जीवन में भगवान् आदि शंकराचार्य जी ने किया था। ईश्वर निरंजन, निराकार है या साकार, इस विवाद को भी समाप्त कर उन्होंने रास्ता दिखा कि दोनों एक ही है और इन रास्तों से जीवन का कल्याण और मोक्ष की प्राप्ति किस तरह हो सकती है। इसी तरह भक्ति, कर्म और ज्ञान के बारे में बहुत सारे विवाद चलते थे। भगवान् आदिशंकर ने यह सिद्ध कर दिया कि तीनों मार्ग मोक्ष की ही ओर जाते हैं और साधक किसी भी मार्ग से अपनी आत्मा और अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। ‘भज गोविंदम’ से उन्होंने रास्ता दिखाया कि मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी भक्ति मार्ग से ईश्वर को पा सकता है। ढेर सारे विवादों को असंख्य शास्त्रों के माध्यम से ख़त्म करने का महती कार्य भगवान् आदि शंकर ने अपनी अल्पायु में किया। उन्होंने बौद्ध और हिंदू धर्म के मध्य के विवाद को भी समाप्त किया।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भगवान् आदि शंकर ने 12 अखाड़ों और दशनामी (सरस्वती, गिरि, पुरी, वन, भारती, तीर्थ, सागर, अरण्य, पर्वत और आश्रम ) सन्यासी की स्थापना कर विसंगतियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया और आज सैकड़ों वर्षों बाद भी उनके द्वारा बनाए अखाड़े और दशनामी सन्यासी परंपरा भारत के आध्यात्मिक जगत को मार्गदर्शन दे रहे हैं। यदि इसके विस्तार में जाया जाय तो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की बातें भी इस दशनामी परंपरा में स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं। उन्होंने सन्यासियों को इन सभी 10 चीजों के संरक्षण और संवर्धन का दायित्व सौंपा। 51 शक्तिपीठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, सात पुरी और चार धामों में आप कहीं भी जाएँ, आपको भगवान् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित श्लोकों के पाठ सुनाई पड़ेंगे। मेरा मानना है कि भगवान् आदि शंकराचार्य द्वारा दिखाए गए रास्ते से विश्व की लगभग सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
प्रश्नोत्तर रत्नमालिका के कुछ गूढ़ प्रश्नों और इसके उत्तरों का उद्धरण देते हुए श्री शाह ने कहा कि प्रश्नोत्तर रत्नमालिका में एक प्रश्न है कि पंडित और विद्वान किसे कहा जाता है। आमतौर पर यदि हम सोचें तो जिसके पास ज्ञान है चाहे वह एक विषय में हो या अनेकों विषयों में अर्थात् जिसे किसी भी विषय में ज्ञान की उत्कृष्टता प्राप्त हो, उसे पंडित या विद्वान कहते हैं लेकिन आदि शंकराचार्य प्रश्नोत्तर रत्नमालिका में कहते हैं कि ‘विवेकी’ ही पंडित और विद्वान होता है। मतलब यह कि केवल ज्ञान होने से ही कोई पंडित अथवा विद्वान नहीं हो जाता बल्कि जिसके अंदर विवेक होता है, वही ज्ञान को सही रास्ते पर ले जा सकते हैं। एक अन्य प्रश्न यह है कि अलंकरण क्या है? इसके कई सारे स्थूल अर्थ हो सकते हैं लेकिन प्रश्नोत्तर रत्नमालिका कहती है कि सच्चा चरित्र ही अलंकरण है। इसमें चार शुभ कार्यों की व्याख्या भी अच्छे तरीके से की गई है और कई अन्य प्रश्नों के गूढ़ उत्तर भी सरल शब्दों में समझाए गए हैं। उन्होंने बच्चों को सीख देते हुए कहा कि आप विवेकदीपनी के गूढ़ रहस्यों को समझने के लिए एक गुरु तय कीजिये और उनके माध्यम से इसे समझ कर अपने जीवन में उतारने का प्रयास कीजिये। यदि आप ऐसा एक बार कर लेते हैं तो आपके जीवन के एक अच्छे गंतव्य तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश में विगत छः वर्षों से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है। आजादी के बाद कई वर्षों तक ऐसी सरकारें चली जिसने धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या की और हीन लघुता ग्रंथी से प्रेरित सरकारों ने अपनी श्रेष्ठ संस्कृति और धर्म का गौरव करना छोड़ दिया। बहुत समय बाद देश ने एक ऐसा प्रधानमंत्री देखा जो शपथ लेने से पहले वाराणसी में माँ गंगा की आरती के लिए जाते हैं और गौरव के साथ भभूति लगा कर पूरी दुनिया को संदेश देते हैं कि हमारे पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। बहुत समय बाद हमने एक ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो नेपाल के भगवान् पशुपतिनाथ मंदिर जाकर भारत सरकार की ओर से रक्त चंदन की भेंट भी करते हैं और भगवान् पशुपतिनाथ का अभिषेक भी करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे देश की संस्कृति, संस्कार और महान परंपरा को पूरी दुनिया में पहुँचाने का प्रयास किया है। एक तरह से प्रधानमंत्री जी हमारी संस्कृति के ध्वजवाहक बन कर पूरी दुनिया में घूम रहे हैं। उन्होंने देश की संस्कृति, संस्कार और धर्म के प्रति हमारे गौरव को जागरुक करके एक नई चेतना का निर्माण करने का काम किया है। मैं एक बार पुनः पूज्य महास्वामी जी का और वेदांत भारती का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इतना महान कार्य कर रहे हैं।