My views | May 08, 2017
पिछले माह के अंतिम सप्ताह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विस्तारक योजना के अन्तर्गत मैने नक्सलवाड़ी में बूथ प्रवास किया था। जहाँ पर मैंने अपने कार्यकर्ता श्री राजू महाली जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता महाली जी के घर भोजन किया था जो कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार को बर्दास्त नहीं हुआ | ऐसा सुनने में आया है कि राज्य में सत्तारूढ़ दल के कुछ लोगों ने पहले महाली दंपत्ति को गायब करवा दिया फिर उन्हें डरा-धमका कर जबरदस्ती राज्य सरकार के एक मंत्री ने उनको अपने दल का झण्डा पकड़ा दिया। यह कुत्सित और दमन की राजनीति का एक जीता जगता उदाहरण है। आज तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने राजनैतिक प्रतिस्पर्धा को व्यक्तिगत द्वेष में बदल दिया है। वह दुर्भावना और बदले की राजनीति को लेकर आगे बढ़ रहे हैं जो कि भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है ? दरअसल इनके लिए सत्ता ही साध्य है और वह इसे बनाये रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। जबकि भाजपा लिए सत्ता मात्र जनसेवा का साधन है। जब हम सत्ता में नहीं भी थे तो भी हमने विपक्ष में रहते हुए शालीनतापूर्वक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना सम्पूर्ण योगदान किया।
भारतीय जनता पार्टी केवल एक राजनीतिक दल मात्र नहीं है बल्कि यह एक वैचारिक संस्था है जिसके मूल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की सोंच है | जिन्होंने राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और देश की अखण्डता के लिए अपना सर्वस्त्र न्योछावर कर दिया । इसके अतिरिक्त हमारे करोड़ों परिश्रमी कार्यकताओं ने बिना किसी भटकाव के अपना सर्वस्व त्याग कर माँ भारती की सेवा में अपने को झोक दिया। आज नरेन्द्र मोदी के रूप में हमारे पास एक ऐसा नेता है जिसे स्वतंत्र भारत का सबसे लोकप्रिय जन नेता कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा | मुझे गर्व है कि ऐसी त्यागमय राजनीतिक परम्परा और ऐसा नेतृत्व आज देश के किसी भी राजनीतिक दल में दृष्टिगोचर नहीं होता है।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमने संविधान के द्वारा संसदीय प्रणाली को अपनाया है। लोकतंत्र वास्तविक रूप में तभी लोकतंत्र है जब वह बिना भय एवं लालच के चल सके। इस लोकतंत्र को मजबूत करने का सबसे बड़ा उत्तरदायित्व देश के राजनीतिक दलों का है क्योंकि वहीं लोकतंत्र के वाहक है। उनका चाल और चरित्र जन सामान्य में लोकतांत्रिक मूल्यों का संवर्धन करते है | देश के लोकतंत्र का कुछ राजनीतिक दलों द्वारा एक लम्बे समय से माखौल बनाया जा रहा है। यह दल तुष्टिकरण या फिर डरा-धमका कर के सत्तावान है । वैसे तो अनेक क्षेत्रीय दलों ने तुष्टिकरण और भय को अपनी राजनीति को अपना हथियार बनाया है परन्तु वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस और वामदलों ने इस तरह की राजनीति के पूर्व के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए है।
तृणमूल सरकार को यह ज्ञात होना चाहिए कि हमारी पार्टी व्यक्ति विशेष या परिवार आधारित पार्टी नहीं है बल्कि विचारधारा आधारित पार्टी है जिसकी कई पीढ़ियों ने राष्ट्र निर्माण के लिए देश की बलि बेदी पर अपने जीवन की आहुति दी है। पार्टी आज उनके त्याग, तपस्या एवं उनके द्वारा दिखाए गए आदर्शों पर चलकर ही बुलंदियों को छू रही है। तृणमूल सरकार लोगों को भय दिखाकर अपने दल का झण्डा तो पकड़ा सकती है लेकिन क्या वह उसे वैचारिक रूप से भी अपने पक्ष में कर पाएगी? इसका उत्तर नकारात्मक ही है। पश्चिम बंगाल की जनता वैचारिक रूप से कभी भी तृणमूल की हिंसात्मक एवं तुष्टीकरण आधारित राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।
वामपंथियों एवं तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक कार्यकलापों में बहुत हद तक समानताएं देखने को मिलती हैं। दोनों स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने के स्थान पर हिंसा एवं तुष्टिकरण आधारित राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। आमजन के विकास से शायद इन दोनों दलों का कोई सरोकार नहीं है | 2011 के आम चुनावों में ममता बनर्जी जी पर भरोसा जताते हुए पश्चिम बंगाल की जनता ने 35 वर्षो से लगातार शासन कर रहे वामदलों को उखाड़ फेका और 2016 में उन्होंने एक बार फिर से ममता बनर्जी जी के नेतृत्व वाली त्रिनामुल कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत दिया | सरकार तो बदल गई परन्तु सरकार के तौर तरीके नहीं बदले | पश्चिम बंगाल आज भी वही पुरानी गरीबी की मार झेल रहा है और विकास के अधिकतर पैमानों में शेष देश से बहुत पीछे है | उदाहरण के तौर पर आज पश्चिम बंगाल सारे देश में बिजली की खपत में 22वें, साफ़ पीने के पानी में 21वें, टेलीफोन सघनता में 22वें और बेरोजगारी में 18वें स्थान पर है | यहाँ की कानून व्यवस्था देश का कानून नहीं बल्कि शासक दल के कैडर मनमाने ढंग से चलाते है | सरकार बदलने के बाद सिर्फ सत्ता एक दल के कैडर के हाथ से दूसरे दल के कैडर के पास चली गई है | तुष्टिकरण के मामले में भी वामदलों और तृणमूल कांग्रेस में एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ रही है | बांग्लादेश से आने वाले अवैधानिक घुसपैठियों के लिए पश्चिम बंगाल स्वर्ग समान रहा है | जाली नोटों की छपाई और तस्करी के मामले में मालदा लम्बे समय से बदनाम है | ऐसा माना जाता है कि मालदा में नकली नोटों का कारोबार वाम दलों और तृणमूल कांग्रेस दोनों की सरकारों में सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति के चलते फला – फूला |
प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भाजपा 11 करोड़ सदस्यों के साथ आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है | यह प्रधानमंत्री की लोकप्रियता, उनकी सरकार के तीन वर्षो के काम और करोडो कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का असर है कि भाजपा को एक बाद एक चुनावी सफलताएं मिल रही है | आज भाजपा का विजय रथ देश के उन कोनों में पहुँच रहा है जहा पहुँचने की हमने अभी हाल के वर्षो तक कल्पना भी नहीं की थी | पूर्वोत्तर में असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में आज हमारी सरकारे है, ओडिशा के पंचायत चुनावों में भाजपा मजबूती के साथ उभरी और केरल विधानसभा चुनावों में हमारे मत प्रतिशत में भारी वृद्धि हुई | हाल के पश्चिम बंगाल के उप चुनावों में भाजपा वामदलों और कांग्रेस को पछाड़ते हए प्रमुख विपक्षी पार्टी बन कर उभरी है | भौगोलिक विस्तार के साथ भाजपा ने समाज के सभी वर्गों में तेजी के साथ अपनी पैठ बनाई है | मोदी सरकार की उज्ज्वला, जनधन, मुद्रा और फसल बीमा इत्यादि दर्ज़नों गरीब और किसान कल्याण योजनाओं का ही असर है कि कभी शहरी माध्यम वर्ग की पार्टी मानी जाने वाली कैडर-बेस्ड भाजपा आज सर्व समावेशी मास-बेस्ड पार्टी बन गई है | गरीबों और दलितों के समर्थन का ही असर है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पिछड़े इलाकों से विपक्ष को साफ़ कर दिया और ओडिशा पंचायत चुनावों में गरीबी के लिए बदनाम परन्तु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण कालाहांडी में भाजपा को भारी जीत मिली |
स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री मोदी की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा के पश्चिम बंगाल में बढ़ते जनाधार से आज तृणमूल सरकार और उसका शीर्ष नेतृत्व भयभीत हो गया है | तृणमूल सरकार द्वारा इस प्रकार की दमन की राजनीति भाजपा से उनके भय और बंगाल से खिसकती राजनीतिक जमीन का धोतक है। तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व शारदा और नारदा जैसे घोटालों के चलते भ्रष्टाचार के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में कुख्यात हो चुका है जिससे उनका जनाधार धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। महाली जैसे गरीब दम्पत्ति द्वारा हमारी पार्टी के प्रति इतना अधिक उत्साह दिखाना एवं लगन से कार्य करना तृणमूल सरकार के लिए अपने प्रति खतरे की घंटी है और इसी के चलते वह किसी ने किसी तरह से इसे रोकने के लिए हमारे कार्यकताओं को आतंकित करने का प्रयास कर रहे हैं | लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है पश्चिम बंगाल की जनता में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और हमारे कार्यकर्ताओं के उत्साह और परिश्रम के चलते तृणमूल कांग्रेस अपने प्रयासों में कभी सफल नहीं हो पायेगी ।
मैं इस लेख के द्वारा तृणमूल कांग्रेस और उसके नेतृत्व की दमन की राजनीति का विरोध करता हूँ और पश्चिम बंगाल की आम जनता और बौद्धिक प्रखरता के लिए विश्वविख्यात बंगाल के प्रबुद्ध वर्ग का अव्वाहन करता हूँ कि वह इस दमनकारी सरकार को उखाड़ फेकने और बंगाल को उसका गौरव वापस दिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा और कार्यक्रमों से जुड़े | मैं पश्चिम बंगाल के भाजपा कार्यकर्ताओं को भी विश्वास दिलाता हूँ कि उनकी पार्टी के 11 करोड़ सदस्य और केन्द्रीय नेतृत्व उनके इस दमनकारी सरकार से संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर उनका सहयोग और नेतृत्व करेगा |