बजट सत्र में कांग्रेस द्वारा गतिरोध सिद्ध करता है कि उनकी प्राथमिकता जनकल्याण नहीं बल्कि बिखराव की राजनीति है

My views | Apr 12, 2018

संसद लोकतंत्र के मंदिर के समान है जहां से देश के विकास की योजनायें और नीतियाँ मूर्त रूप लेती हैं। देश की सामाजिक, आर्थिक, सांस्‍कृतिक संपन्‍नता के लिए जनप्रतिनिधि कानून बनाने का काम करते हैं। मुद्दों पर बहस की जाती है, जनकल्‍याणकारी योजनाएं तैयार होती हैं। ताकि सबको समानता मिल सके। इसके लिए सरकार ही नहीं बल्कि विपक्ष को एकजुट होकर बहस करने की जरूरत होती है। लेकिन जिस तरह से संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में कांग्रेस ने माहौल खराब किया और पूरे सत्र में बाधा पहुंचाई उसके लिए लोकतंत्र की जनता कभी माफ नहीं करेगी। विपक्ष का यह गैर जिम्मेदाराना रवैय्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा गरीब कल्याण और देश के सर्वागीण विकास के प्रयास में अवरोध पैदा करने वाला है |

संसद का हर सत्र देश के विकास को समर्पित नीतियों एवं योजनाओं पर होने वाली बहस के लिए चलाया जाता है। जिसमें योजनाओं की प्रगति, योजनाओं की कमी और योजनाओं में सुधार को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों की प्रतिबद्वता झलकती है। लेकिन कांग्रेस ने सदन जनता के प्रति प्रतिबद्वता की चिंता छोड़ बाधा पहुंचाने में महारत हासिल कर ली है। इसलिए बहस करने की बजाय हंगामा करके कामकाज में बाधा पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया। पिछले दिनों जो हुआ उसे देखकर यही लगता है कि सदन में सार्थक बहस करने की बजाय सदन के बाहर हंगामा करने में उनकी दिलचस्‍पी ज्‍यादा दिखी। इस बात को हर देशवासी भी भली-भांति समझ रहा है। बैंक घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्‍य का दर्जा, कावेरी विवाद से लेकर अविश्वास प्रस्ताव तक में सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री, वित्‍त मंत्री, गृह मंत्री ने आश्‍वस्‍त किया था कि सदन को चलने दिया जाए और इन मुद्दों पर बहस कराई जाए। लेकिन कांग्रेस ने मुद्दों को छोड़ एक ही राग अलापना शुरू किया कि सरकार बहस नहीं चाहती। पूरा देश कांग्रेस के इस राग को सुन रहा है। सदन शुरू नहीं हुआ कि हंगामा होने लगा। पहले सदन के बाहर हंगामा, फिर सदन के अंदर हंगामा। आशय साफ है कि हंगामा करने के मकसद से ही वे सदन में आते थे और शुरू होते ही हंगामा करने लगते। कांग्रेस का जनकल्याण से कोई लेना देना नहीं बल्कि उनका उद्देश्य संसद के बाहर हंगामा करके बिखराव एवं अस्थिरता की राजनीति करना है |

ऐसा हंगामा जो कि पूरा देश देख रहा है। दोनों सदनों के सभापति और अध्‍यक्ष शांत होने की अपील कर रहे हैं। लेकिन शांत होना तो दूर, उनका वेल तक पहुंच जाना रोज की बात हो चुकी थी। यह किसी भी सदन के सदस्‍य के लिए शोभा नहीं देता। करोड़ों देशवासियों की एक उम्‍मीद होती है कि इस बार सदन में उनके लिए किन कल्‍याणकारी योजनाओं को लेकर बहस होगी। क्‍या कानून बनेगा,विकास की राह को आगे बढ़ाने के हमारे जनप्रतिनिधि क्‍या कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस ने इसकी चिंता छोड़, झूठ का राग अलापना शुरू कर दिया है। हम कहना चाहते हैं कि दिखावा मत करिए बल्कि मुद्दों पर आकर बहस करिए। सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है| कांग्रेस के सुर में सुर कुछ विपक्षी दल भी मिलाने लगे। इसी का नतीजा हुआ कि बजट सत्र के दूसरा हिस्‍से में भी 22 कार्य दिवस पूरी तरह से बर्बाद हो गए। राज्‍यसभा में हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण में 121 घंटे और लोकसभा में लगभग 128 घंटे बर्बाद हो गए। संसद सत्र को चलाने के लिए बड़ा बजट भी खर्च होता हैं। लोकसभा और राज्यसभा चलाने का प्रति घंटे का खर्चा क्रमशः 1.57 और 1.10 करोड़ आता है | अतः कांग्रेस और विपक्ष के गैर जिम्मेदाराना रुख के कारण बजट सत्र के सिर्फ दूसरे चरण में राज्यसभा में ही विपक्ष के हंगामे के कारण जनता के लगभग 133 करोड़ और लोकसभा में लगभग 200 करोड़ रूपये व्यर्थ हो गए | इसलिए अंतराआत्‍मा की आवाज पर हमने बजट सत्र के दूसरे चरण का वेतन भत्‍ता नहीं लेने का निर्णय लिया।

हमारी प्रतिबद्वता जनता के लिए है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में पहली बार प्रवेश के समय सर झुकाकर नमन किया था। अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने भावुक होकर कहा कि यह सरकार गरीबों, पिछड़ों, महिलाओं और युवाओं के लिए समर्पित है। सरकार ने देश के आर्थिक विकास को रफ्‍तार देने के लिए बजट सत्र का समय बदलकर एक फरवरी किया। ताकि समय से इसे पारित कराया जा सके और योजनाओं को गति मिल सके। लेकिन विपक्ष, खासकर कांग्रेस, नहीं चाहती कि सरकार योजनाओं को रफ्‍तार दी जा सके। इसलिए विकास की राह में रोड़ा बनकर खड़ी हो जाती है और सदन को भी नहीं चलने देती है।

आज पूरा देश देख रहा है कि कांग्रेस किस तरह का ढोंग रच रही है। हम कांग्रेस के ढोंग को जनता के बीच रख रहे हैं ताकि देशवासी जान सकें कि हम जिन्‍हें अपना जनप्रतिनिधि बनाकर भेंज रहे हैं वह उनके हितों काम करने की बजाय सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों में भी बाधा पहुंचाने में विश्‍वास करते हैं।

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