Press, Share | Dec 29, 2016
Thursday, 29 December 2016
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा लखनऊ में आयोजित दीन दयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय के विमोचन के अवसर पर दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
संघ के स्वयंसेवक से लेकर जन संघ के अध्यक्ष के रूप में और जीवन के अंतिम क्षण तक दीन दयाल जी के जीवन में ‘स्व' का कोई स्थान नहीं था, उनका पूरा जीवन इस देश की संस्कृति और इस देश के हित को समर्पित था: अमित शाह
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श्री दीन दयाल उपाध्याय जी के बारे में आज भी लोगों से पूछा जाय तो बहुत कम लोग उनके बारे में जानते हैं जबकि उनके काम को पूरा देश, पूरी दुनिया जानती है, एक व्यक्ति के जीवन में इससे बड़ी कोई उंचाई हो ही नहीं सकती: अमित शाह
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आज के समय में यदि कोई जन संघ और कांग्रेस में मूलभूत अंतर स्पष्ट करने को कहे तो अंतर यह है कि कांग्रेस देश का नव-निर्माण करना चाहती थी जबकि जन संघ देश की गौरवपूर्ण विरासत के आधार पर देश का पुनर्निर्माण करना चाहती थी: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने हर क्षेत्र में अपने विचार बेबाकी से रखे, वे विचार 50 सालों बाद, आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस वक्त थे, उनके विचार आज भी शाश्वत हैं: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल जी की दूरदृष्टि में यह विचार प्रतिस्थापित करना बहुत जरूरी था कि देश में कांग्रेस के अलावे भी कोई अन्य पार्टी भी शासन कर सकती है, उसके बाद जनता तय करे कि सारे दलों में कौन सा दल अच्छा है: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल जी ने उस वक्त जलवायु समस्या को गंभीरता से रखा था, जब बहुत लोग इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं थे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रकृति का शोषण नहीं होना चाहिए: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल जी विकास की पंक्ति में अंतिम खड़े व्यक्ति को पंक्ति में खड़े पहले व्यक्ति के समकक्ष लाना चाहते थे: अमित शाह
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व्यक्ति से समष्टि तक की समग्रता से चिंतन करते हुए जो एकात्म मानव दर्शन दीन दयाल जी ने दिया है, मैं मानता हूँ कि यह न केवल भारत, न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि पूरी दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है: अमित शाह
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संगठन, आतंरिक लोकतंत्र, सबसे पहले देश उसके बाद पार्टी, अंत में मैं और सिद्धांतों की राजनीति - इन सबकी घूंटी दीन दयाल जी ने जनसंघ के कार्यकर्ताओं को जो पिलाई, वह आज भी भाजपा के कार्यकर्ताओं को संस्कारित कर रही है: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल जी की कार्यपद्धति पर ही आज भी भारतीय जनता पार्टी चल रही है और इसी विचारधारा के कारण 10 सदस्यों द्वारा जन संघ के रूप में बोया गया बीज आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के बटवृक्ष के रूप में पूरे देश के सामने खड़ा है: अमित शाह
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केंद्र में श्री नरेन्द्र भाई की सरकार भी दीन दयाल जी के सिद्धांतों पर ही चल रही है। अंत्योदय को किस प्रकार से कोई सरकार चरितार्थ कर सकती है, उसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी की नरेन्द्र मोदी सरकार है: अमित शाह
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इस जन्मशती वर्ष में भाजपा का हर कार्यकर्ता गरीबों की भलाई, देश के विकास अथवा पार्टी के विकास के लिए एक संकल्प अवश्य लें। यदि भाजपा के 11 करोड़ कार्यकर्ता एक-एक संकल्प लेते हैं तो 11 करोड़ संकल्प की ताकत देश को बदलने में बहुत बड़ा योगदान करेगा और यही पंडित दीन दयाल जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी: अमित शाह
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में पंडित दीन दयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय के लोकार्पण अवसर पर एक सम्मेलन को संबोधित किया और लोगों से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन से प्रेरणा लेकर देश हित में काम करने का आह्वान किया। ज्ञात हो कि पंडित दीन दयाल जी जन्मशती की शुरुआत 25 सितम्बर को ही हो चुकी है लेकिन देश के हर राज्य की राजधानी में भी इस कार्यक्रम को आयोजित करना तय किया गया है, जिसके तहत आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाङ्मय का विमोचन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र सरकार, दोनों पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्मशती को मना रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने तय किया है कि दीन दयाल जी के अंत्योदय के सिद्धांत को चरितार्थ करने के लिए जन्मशती-वर्ष को गरीब-कल्याण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
श्री शाह ने कहा कि देश के पुनर्निर्माण में हर क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता के लिए, राष्ट्रभक्त के लिए यह किसी ग्रंथ से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक से लेकर जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में और जीवन के अंतिम क्षण तक दीन दयाल जी के जीवन में ‘स्व' का कोई स्थान नहीं था, उनका पूरा जीवन इस देश की संस्कृति और इस देश के हित को समर्पित था। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा व्यक्तित्त्व जिसने जनसंघ की स्थापना के समय से काम किया, आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में जिस संगठन के 11 करोड़ से अधिक सदस्य हैं, जो विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिसके पास 1000 से अधिक विधायक हैं, 300 से ज्यादा सांसद हैं, 13 राज्यों में सरकारें हैं और केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है, ऐसे संगठन की स्थापना करने वाले, उसकी सिद्धांतों को शब्द-रूप देने वाले, उस संगठन की कार्यपद्धति को बनाने वाले एवं हर राज्य में संगठन की इकाई को सींचने वाले व्यक्ति श्री दीन दयाल उपाध्याय जी के बारे में आज भी लोगों से पूछा जाय तो बहुत कम लोग उनके बारे में जानते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसको बिलकुल बुरा नहीं मानता, एक व्यक्ति के जीवन में इससे बड़ी कोई उंचाई हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि उनके काम को तो पूरा देश, पूरी दुनिया जानती है, मगर उस व्यक्ति को कोई नहीं जानता, इस प्रकार का जीवन जीना अपने आप में एक बहुत बड़े व्यक्तित्त्व का लक्षण है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब देश आज़ाद हुआ और पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्त्व में देश में एक नई सरकार बनी और उस सरकार ने जब नई नीतियों को बनाना शुरू किया तो उस वक्त कई बुद्धिजीवियों और मनीषियों को लगा कि देश के लिए बन रही नीतियाँ पाश्चात्य नीतियों के प्रभाव में बनाई जा रही है, उसमें देश की मिट्टी की सुगंध नहीं है और इसी कारण श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया और जनसंघ की स्थापना जी नींव डाली गई।
श्री शाह ने कहा कि अगर कोई मानता है कि जनसंघ की स्थापना एक बहुत बड़े राजनीतिक दल के रूप में प्रतिस्थापित करने के लिए की गई थी, राजनीतिक वैभव प्राप्त करने के लिए की गई थी तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि उस वक्त तो दूर-दूर तक सरकार बनने की कोई संभावना भी नहीं बनती थी। उन्होंने कहा कि जन संघ की स्थापना का निर्णय सत्ता प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि देश को एक वैकल्पिक नीति देने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त कई मनीषियों को लग रहा था कि नेहरू सरकार देश के लिए जो नीतियाँ बना रही है, उन नीतियों के रास्ते पर यदि यह देश चलता रहा तो पीछे मुड़ने का भी रास्ता नहीं मिलेगा, उन्हें लगा कि इन नीतियों के सामने एक वैकल्पिक नीति रखना बहुत जरूरी है जिसमें मिट्टी की सुगंध हो।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश की कृषि नीति कैसी हो, विदेश नीति कैसी हो, अर्थ नीति कैसी हो, रक्षा नीति कैसी हो, शिक्षा नीति कैसी हो, इसके लिए जन संघ की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि आज के समय में यदि कोई जन संघ और कांग्रेस में मूलभूत अंतर स्पष्ट करने को कहे तो अंतर यह है कि कांग्रेस देश का नव-निर्माण करना चाहती थी जबकि जन संघ देश की गौरवपूर्ण विरासत के आधार पर देश का पुनर्निर्माण करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि जन संघ का मानना था कि भारतीय संस्कृति की विरासत सर्वोच्च थी, कुछ परिस्थितियाँ ऐसी आ गई कि देश को ग़ुलाम होना पड़ा, हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत की नींव पर ही देश का पुनर्निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब इस सिद्धांत को बनाने के लिए और उन सिद्धांतों के आधार पर भविष्य की राजनीति को एक नई दिशा देने के लिए जन संघ की स्थापना हुई तो कई मनीषियों ने उसमें अपना अहम् योगदान दिया, उसमें श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी, अटल जी, आडवाणी जी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी, कई सारे अग्रणी नेता थे लेकिन उन नीतियों को सुचारु रूप से शब्द देने का काम यदि किसी ने किया तो वह निस्संदेह पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी थे।
श्री शाह ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने हर क्षेत्र में अपने विचार बेबाकी से रखे, वे विचार 50 सालों बाद, आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस वक्त थे, उनके विचार आज भी शाश्वत हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार देश में यदि गैर-कांग्रेसी सरकार देश में और उत्तर प्रदेश में भी बनी थी तो इसका सम्पूर्ण श्रेय पंडित दीन दयाल जी को जाता है। उन्होंने कहा कि जन संघ की अन्य दलों के साथ बैठने की भूमिका तैयार करने का जो प्रयास हुआ, उसमें पंडित दीन दयाल जी की दूरदृष्टि थी, उनकी नजर में यह विचार प्रतिस्थापित करना बहुत जरूरी था कि देश में कांग्रेस के अलावे भी कोई अन्य पार्टी भी शासन कर सकती है, उसके बाद जनता तय करे कि सारे दलों में कौन सा दल अच्छा है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय को अलग नहीं किया जा सकता मगर एकात्म मानववाद में बहुत सारी चीजों को पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने एक भारतीय दृष्टिकोण ने का काम किया था। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल जी ने उस वक्त जलवायु समस्या को गंभीरता से रखा था, जब बहुत लोग इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं थे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रकृति का शोषण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास को लेकर भी पंडित दीन दयाल जी के विचारों में स्पष्टता थी, उनके अनुसार विकास की पंक्ति में अंतिम खड़े व्यक्ति को पंक्ति में पहले खड़े व्यक्ति के समकक्ष लाया जाना चाहिए, यदि ऐसा हुआ तो देश का विकास अपने आप हो जाएगा, इस तरह की अंत्योदय के सिद्धांत की परिकल्पना पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी।
श्री शाह ने कहा कि व्यक्ति से समष्टि तक की समग्रता से चिंतन करते हुए जो एकात्म मानव दर्शन दीन दयाल जी ने दिया है, मैं मानता हूँ कि यह न केवल भारत, न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि पूरी दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जन संघ की स्थापना के बाद इसे चलाने के लिए कार्यपद्धति के निर्माण में भी पंडित दीन दयाल जी विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि चाहे व्यक्ति निर्माण की बात हो, संगठन निर्माण की बात हो या फिर संघ की कार्यपद्धति को राजनीति में ढालने की बात हो, हर समस्या को पंडित दीन दयाल जी ने बड़ी सरलता के साथ हल करने का काम किया। उन्होंने कहा कि दीन दयाल जी ने बिना भाषण दिए लाखों कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने का काम किया। उन्होंने कहा कि संगठन, आतंरिक लोकतंत्र, सबसे पहले देश उसके बाद पार्टी, अंत में मैं और सिद्धांतों की राजनीति - इन सबकी घूंटी दीन दयाल जी ने जनसंघ के कार्यकर्ताओं को जो पिलाई, वह आज भी भाजपा के कार्यकर्ताओं को संस्कारित कर रही है। उन्होंने कहा कि उसी कार्यपद्धति पर आज भी भारतीय जनता पार्टी चल रही है और इसी विचारधारा के कारण 10 सदस्यों द्वारा जन संघ के रूप में बोया गया बीज आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के बटवृक्ष के रूप में पूरे देश के सामने खड़ा है। उन्होंने कहा कि इसी के कारण आज हम यह गर्व से कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी सभी पार्टियों से अलग है, भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसकी नींव एक ऐसे व्यक्ति ने रखी थी, जो कभी अपने लिए सोचता ही नहीं था।
श्री शाह ने कहा कि केंद्र में श्री नरेन्द्र भाई की सरकार भी दीन दयाल जी के सिद्धांतों पर ही चल रही है। उन्होंने कहा कि अंत्योदय को किस प्रकार से कोई सरकार चरितार्थ कर सकती है, उसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी की नरेन्द्र मोदी सरकार है। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के वक्त इस देश में 60 करोड़ लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं था, तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के गरीबों को देश के अर्थतंत्र से जोड़ने का आह्वान किया और एक ही साल में लगभग 20 करोड़ से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि देश में आज तक जितनी भी योजनायें बनती थी, उसमें गरीब की चिंता कभी की ही नहीं जाती थी, खैरात देकर गरीबों के वोट बटोर लिए जाते थे मगर उनके जीवन को ऊपर उठाने का प्रयास कभी नहीं किया गया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 5 सालों में देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों के घर में गैस पहुंचाने का काम किया, यह अंत्योदय का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘गिव इट अप' के माध्यम से देश के संपन्न लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की और देश के एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री के एक आह्वान पर अपनी सब्सिडी को छोड़ने का काम किया ताकि गरीबों के घरों में गैस पहुँच सके।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पंडित दीन दयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय का उत्तर प्रदेश की जनता से परिचय कराया गया है। उन्होंने कहा कि मैं इस मंच के माध्यम से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्मशती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी और विचार परिवार के कार्यकर्ताओं से अपील करता हूँ कि इस जन्मशती वर्ष में हर कार्यकर्ता गरीबों की भलाई, देश के विकास अथवा पार्टी के विकास के लिए एक संकल्प अवश्य लें। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा के 11 करोड़ कार्यकर्ता एक-एक संकल्प लेते हैं तो 11 करोड़ संकल्प की ताकत देश को बदलने में बहुत बड़ा योगदान करेगा और यही पंडित दीन दयाल जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।