PRESS: CENTRAL BJP DELEGATION REPORT SUBMITTED TO SHRI AMIT SHAH ON VIOLENCE IN WEST BENGAL

Press, Share | Jul 29, 2014

श्री बलबीर पुंज जी के नेतृत्व वाली केन्द्रीय टीम द्वारा पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा के संबंध में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी को सौंपी गई रिपार्ट के प्रमुख अंश

पश्चिम बंगाल में 34 साल के बाद माक्र्सवादियों को हराकर टीएमसी की सरकार परिवर्तन के नाम पर आई। लेकिन पश्चिम बंगाल को परिवर्तन नहीं मिला। क्योंकि माक्र्सवादी के पेशेवर गुंडों ने तृणमूल का चोला पहन लिया।

पश्चिम बंगाल के 2014 लोकसभा परिणाम के बाद सुश्री ममता बैनर्जी घबरा गईं है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का जनाधार 6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 17 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने बंगाल सरकार के संरक्षण के तहत भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति हिंसात्मक रूख अपना लिया।

विगत 7 जून को इलम बाजार के कानूर गांव में स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व में उत्पातियों ने भाजपा समर्थन 55 वर्षीय शेख रहीम को पकड़ा, उसके कपड़े फाड़ दिए और उसे बिजली के खंभे से बांधकर लाठी-डंडों से पीटा जब तक वह मर नहीं गया। दुभाग्यपूर्ण यह घटना बंगाल पुलिस की मौजूदगी में हुई।

गांव के जिन लोगों ने लोकसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में काम किया, उनके घरों को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने तोड़ा और लूट-पाट की।

इस घटना की जानकारी लेने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने श्री बलबीर पुंज जी के नेतृत्व में एक केन्द्रीय टीम भेजी, जिसके अन्य सदस्य थे श्री कीर्ति आजाद, श्री सिद्धार्थनाथ सिंह, श्री राहुल सिन्हा व श्री अब्दुल रसीद अंसारी।

आज बलबीर पुंज जी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधि दल ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी को अपनी रिपार्ट प्रस्तुत की।

प्रतिनिधि दल के प्रमुख सुझाव

केन्द्रीय गृहमंत्रालय को ऐसी हिंसक घटनाओं का संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से अविलंब कार्रवाई करने का निर्देश देने के साथ रिपोर्ट तलब करनी चाहिए।

पार्टी के राष्ट्रीय विधि और मानवाधिकार प्रकोष्ठ को ऐसी घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए और केंद्र में मानवाधिकर के जो निकाय हैं, उनसे संपर्क कर पीडि़तों को समुचित राहत दिलाने का प्रयास करना चाहिए।

अल्पसंख्यक समुदाय में भी भय का माहौल है और वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पार्टी को इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग के हस्तक्षेप का प्रयास करना चाहिए।

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