Press, Share | Aug 30, 2015
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्री।य अध्य क्ष श्री अमित शाह ने 13 कानूनों को 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे में लाने का स्वातगत किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रट मोदी के नेतृत्वन में राजग सरकार ने किसानों के हित में महत्व पूर्ण कदम उठाते हुए तेरह कानूनों को 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे में लाने का फैसला किया है। राजग सरकार के इस निर्णय से पूरे देश के किसानों को फायदा होगा। अब इन तेरह कानूनों के तहत भी जमीन का अधिग्रहण होने पर किसानों को ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में दोगुना मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीगय अध्य्क्ष श्री अमित शाह ने राजग सरकार के किसान हित के इस फैसले का स्वाागत करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र् मोदी का आभार प्रकट किया है।
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इन तेरह कानूनों को ‘‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुन:अधिवास में पारदर्शिता और उचित मुआवजा अधिकार अधिनियम-2013’’ के दायरे से बाहर रखा था जिससे किसानों का बहुत अहित हो रहा था।
श्री शाह ने कहा, ‘‘यह कदम किसानों के हित में उठाया गया है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्य वाद देता हूं।’’
दरअसल पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने 2013 में जो भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था उसमें कई विषंगतियां और त्रुटियां थीं। राज्य सरकारों की मांग पर इन विषंगतियों को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश 31 अगस्त 2013 को समाप्त हो रहा है। चूंकि संसद के मानसून सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है, इसलिए कोई ताजा अध्यादेश जारी नहीं किया जा सकता। अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक संसद की स्थायी समिति के समक्ष लंबित है। स्थायी समिति द्वारा इस विधेयक पर विचार किया जाएगा और हमारा प्रयास होगा कि इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आम सहमति बनाई जाए जिससे कि इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल सके।
असल में संप्रग शासन में बने 2013 के भूमि अधिग्रहण क़ानून का मसौदा त्रुटिपूर्ण है। लगभग सभी राज्य सरकारें इस मसौदे के खिलाफ हैं और उन सबने इसमें संशोधन के लिए केन्द्र सरकार से अनुरोध किया था। नीति आयोग ने फिर से इस मसले पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी जिसमें मुख्यमंत्रियों की राय थी कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव आवश्यक है। मुख्यमंत्रियों का मानना था कि राजनीतिक गतिरोध के कारण यदि सरकार उन परिवर्तनों को लाने में असमर्थ होती है तो इसको राज्य सरकारों पर छोड़ दिया जाए और राज्य सरकारें स्वयं अपने यहां संशोधन लाकर केन्द्र सरकार के अनुमोदन के लिए भेज सकती हैं। एक राज्य सरकार ने तो पहले से ही ऐसा कर दिया है।
राज्य सरकारों के अनुरोध पर अध्यादेश को लाया गया। दुर्भाग्य से तब से कुछ राजनीतिक दल इस अध्यादेश पर राजनीति कर रहे हैं। हकीकत यह है कि किसानों के खेतों तक पानी पहुँचाने के लिए नहरें बनाने, गाँव में बिजली पहुँचाने, सड़क बनाने, गाँव के ग़रीबों के लिए घर बनाने और ग़रीब नौजवानों के रोज़गार के लिए व्यवस्थाएं करने के इरादे से राजग सरकार ने यह अध्याँदेश जारी किया था। लेकिन विपक्षी दलों ने इसके संबंध में किसानों को भ्रमित और भयभीत किया।
वास्तेव में राजग सरकार ने 2015 में जो संशोधन का प्रस्ता।व किया है उसकी 10 (ए) के तहत अधिग्रहण के लिए पांच श्रेणियां बनाई गई जिसमें राज्य सरकारों को उन पांच श्रेणियों के लिए भूमि अधिग्रहण में सहमति और सामाजिक प्रभाव आकलन के प्रावधानों से छूट देने का अधिकार दिया गया। राज्यर सरकारों को जो अधिकार दिए गए उसकी चर्चा नीति आयोग की बैठक में की गई। मुख्यरमंत्रियों की राय थी कि अब भी केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ उन्हें यह अधिकार रहेगा। इस तरह दोनों का वास्तिविक प्रभाव बिल्कुकल समान रहेगा।
इस तरह राजग सरकार ने किसानों को अधिक मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दिलाने के मकसद से उन तेरह कानूनों को भी भूमि अधिग्रहण अधिनियम के दायरे में लाने का फैसला किया है जो संप्रग कानून ने छोड़ दिए थे। राजग सरकार ने 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 105 और 113 के तहत अधिसूचना जारी की है जिससे अब इन तेरह कानूनों के तहत जमीन अधिग्रहण होने पर किसानों को अधिक मुआवजा मिलेगा। इस तरह राजग सरकार ने किसानों के हित में यह कदम उठाया है। राजग सरकार गरीब और किसानों के लिए समर्पित है।