Press, Share | Jul 31, 2018
31 July 2018
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी द्वारा भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के मुख्य बिंदु
कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी स्पष्ट करें कि ‘एनआरसी' पर उनका स्टैंड क्या है? तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी और बाकी तमाम विपक्षी पार्टियों को स्पष्ट करना चाहिए कि इस विषय पर उनका स्टैंड क्या है?
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देश की सुरक्षा, देश की सीमाओं की सुरक्षा और अपने नागरिकों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, यह हमारा कमिटमेंट है। कांग्रेस स्पष्ट करे कि देश की सुरक्षा कांग्रेस के लिए मुद्दा है या नहीं?
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जो लोग मानवाधिकारों की बात कर रहे हैं, उन्हें असम के लोगों के मानवाधिकार की चिंता पहले करनी चाहिए। क्या असम के लोगों का मानवाधिकार नहीं है?
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मानवाधिकार की रक्षा के लिए ही ‘एनआरसी’ बना है लेकिन यह भारतीय नागरिकों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए बना है। जो लोग ‘एनआरसी' का विरोध कर रहे हैं, वे यह बताएं कि क्या वे बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ हैं?
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असम एकॉर्ड’ की आत्मा नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (एनआरसी) है। हमारा स्पष्ट मानना है कि यह देश की सुरक्षा और हमारे नागरिकों के हित में है। भाजपा का दृढ़ निश्चय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एनआरसी को पूरी दृढ़ता के साथ इम्प्लीमेंट किया जाना चाहिए
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असम में आये दिन होने वाले घुसपैठ से जनजीवन प्रभावित होने के कारण असम की जनता ने खासकर छात्रों ने बड़े पैमाने में आंदोलन किया, सैकड़ों युवा शहीद हुए और तब जाकर ‘असम एकॉर्ड’ अस्तित्व में आया और इस पर 14 अगस्त, 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गाँधी ने हस्ताक्षर किये
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‘एनआरसी’ पर काम कांग्रेस ने ही शुरू किया था और 2005 में भी कांगेस ने ही इसे फिर से शुरू किया लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने के कारण कांग्रेस में इसे इम्प्लीमेंट करने की हिम्मत नहीं थी। हमने हिम्मत दिखाई और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में और उनके आदेश पर यह कार्य पूरा किया गया
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‘एनआरसी' से संदिग्ध बंगलादेशी घुसपैठियों के नाम हटाये गए हैं या फिर वैसे नाम जो प्राथमिक तौर पर अपने भारतीय होने का सबूत नहीं दे पाए। जिनके नाम रजिस्टर में छूट गए हैं, वे फिर से आवेदन कर सकते हैं और अपने आप को सत्यापित कर सकते हैं
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कुछ पार्टियों द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है कि ‘एनआरसी’ के कारण असम में रह रहे दूसरे राज्य के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि किसी भी भारतीय नागरिक के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ है, देश के किसी भी प्रांत के लोगों को वहां रहने और बसने में कोई दिक्कत नहीं है
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विपक्षी पार्टियां यह भी भ्रम फैला रही हैं कि ‘एनआरसी’ के कारण प्रांत-प्रांत में झगड़े होंगे जबकि सच्चाई कुछ और ही है। विपक्ष भ्रांतियां फैलाकर देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है, मैं इसकी घोर निंदा करता हूँ
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कांग्रेस की स्टैंड बदलने की आदत है। कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में होती है तब उनका स्टैंड कुछ और होता है और जब सत्ता से बाहर होती है तब कुछ और। भारतीय जनता पार्टी का स्टैंड बिलकुल स्पष्ट है कि ‘एनआरसी' पूरी तरह दृढ़ता के साथ इम्प्लीमेंट होना चाहिए
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जब हम विपक्ष में थे, तब भी और आज जब हम सत्ता में है, तब भी, हम अपने सिद्धांतों पर अडिग हैं कि इस देश में घुसपैठियों के लिए कोई जगह नहीं है और देश के संसाधनों पर अधिकार केवल और केवल भारतीय नागरिकों का है
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लोगों में भय फैलाया जा रहा है कि ‘एनआरसी’ के कारण गृहयुद्ध होगा। तृणमूल अध्यक्षा को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी बातों का आधार क्या है? यह एक कानूनी प्रक्रिया है जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है और क़ानून अपना काम करेगा
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय (नई दिल्ली) में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पूर्व में केंद्र सरकार के समझौतों एवं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में व उच्चतम न्यायालय की ही निगरानी में असम के लिए जारी किये गए ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन' पर बोलते हुए कांग्रेस पर घुसपैठियों का बचाव करने को लेकर करारा प्रहार किया। इससे पहले उन्होंने संसद के उपरि सदन राज्य सभा में बोलते हुए ‘एनआरसी' का विरोध कर रहे कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया और कहा कि कांग्रेस के पास असम समझौते को लागू करने की हिम्मत नहीं थी और बीजेपी सरकार ने हिम्मत दिखाकर यह काम किया है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि आज राज्य सभा में माननीय सभापति महोदय की अनुमति से ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन' (एनआरसी) के विषय पर चर्चा का समय निश्चित हुआ था। उन्होंने कहा कि सभी दलों के सदस्यों ने अपनी बात सदन के पटल पर रखी लेकिन जब मैंने इस विषय पर बोलना शुरू किया तो कांग्रेस एवं उसके सहयोगी पार्टियों द्वारा एक मिनट में ही सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाकर मुझे अपनी बात नहीं रखने दिया गया। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा के लिए और मेरे लिए भी यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण था कि संसद का सदस्य होते हुए भी मैं अपनी बात सदन के पटल पर नहीं रख पाया। उन्होंने कहा कि जिस विषय को मैं सदन में कहना चाहता था, उसे मैं इस प्रेस वार्ता के माध्यम से देश की जनता को अवगत कराना चाहता हूँ।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि दो दिनों से ‘एनआरसी' पर बहस छिड़ी हुई है और चर्चा केवल यह है कि 40 लाख भारतीय नागरिकों को अवैध घोषित कर दिया गया है जबकि वास्तविकता काफी अलग है। उन्होंने कहा कि ‘एनआरसी' से संदिग्ध बंगलादेशी घुसपैठियों के नाम हटाये गए हैं या फिर वैसे नाम जो प्राथमिक तौर पर अपने भारतीय होने का सबूत नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि जिनके नाम रजिस्टर में छूट गए हैं, वे फिर से आवेदन कर सकते हैं और अपने आप को सत्यापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है - एक तो 40 लाख का आंकड़ा कोई अंतिम आंकड़ा नहीं है और दूसरा तथ्य यह कि भारतीय नागरिकों के नाम काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि एक भी भारतीय नागरिक का नाम काटा नहीं गया है। उन्होंने कहा कि जो अपने भारतीय नागरिक होने का सबूत नहीं दे पाए हैं, उनके ही नाम हटाये गए हैं हालांकि यह एक प्राथमिक सूची है, इसमें संशोधन भी बांकी है, इस पर उनकी सुनवाई भी बांकी है।
श्री शाह ने कहा कि सदन में चर्चा के दौरान एक-एक कर सभी पार्टियों के सदस्यों ने अपने विचार रखे लेकिन किसी भी पार्टी ने यह तथ्य नहीं रखा कि यह अंतिम लिस्ट नहीं है और किसी ने भी एनआरसी की शुरुआत या इसकी जरूरत के बारे में कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा के दौरान विपक्षी पार्टियों की ओर से झूठे तथ्यों द्वारा भारतीय जनता पार्टी की ऐसी छवि गढ़ने की कोशिश की गई कि भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए की सरकार नागरिकों के साथ भेद-भाव कर रही है, अन्याय कर रही है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मैं इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से देश की जनता को यह बताना चाहता हूँ कि ‘एनआरसी’ कहाँ से आया। उन्होंने कहा कि असम में आये दिन होने वाले घुसपैठ के कारण राज्य का जनजीवन प्रभावित होता था। इसे लेकर असम की जनता ने और खासकर असम के छात्रों ने इसको लेकर बड़े पैमाने में आंदोलन किया, सैकड़ों युवा इसके लिए शहीद हुए और तब जाकर ‘असम एकॉर्ड’ अस्तित्व में आया। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त, 1985 को ‘असम एकॉर्ड’ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गाँधी ने हस्ताक्षर किये। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार थी। उन्होंने कहा कि ‘असम एकॉर्ड’ की आत्मा नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (एनआरसी) है। उन्होंने कहा कि एनआरसी में असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची को बनाने के काम को व्याख्यायित किया गया है और इसमें कहा गया है कि एक-एक अवैध घुसपैठियों को चुन-चुन कर कर देश की मतदाता सूची से बाहर किया जाएगा।
श्री शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस पार्टी एवं उसके सहयोगी दलों द्वारा एनआरसी पर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि ‘एनआरसी’ पर काम कांग्रेस ने ही शुरू किया था और 2005 में भी कांगेस ने ही इसे फिर से शुरू किया लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति करने के कारण कांग्रेस में इसे इम्प्लीमेंट करने की हिम्मत नहीं थी। उन्होंने कहा कि हमने हिम्मत दिखाई और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में और उनके आदेश पर यह कार्य पूरा किया गया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एनआरसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल किया गया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एवं उनकी निगरानी में मोदी सरकार ने एक समय सीमा के भीतर इस कार्य को संपन्न करने का काम शुरू किया। उन्होंने कहा कि ‘एनआरसी' के फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख संदिग्ध लोगों के नाम सूची से बाहर है लेकिन वे फिर से एनआरसी में शामिल होने के लिए अपना दावा पेश कर सकते हैं और उसे सत्यापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया हुआ है और सभी कार्यवाही माननीय उच्चतम न्यायालय की ही निगरानी में चल रही है।
श्री शाह ने कहा कि घुसपैठियों के लिए भारत में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग मानवाधिकारों की बात कर रहे है, उन्हें असम के लोगों के मानवाधिकार की चिंता पहले करनी चाहिए। क्या असम के लोगों का मानवाधिकार नहीं है? उन्होंने कहा कि जब अवैध घुसपैठ के कारण राज्य के नागरिकों का रोजगार छिन जाता है, उनका हक छिन जाता है, देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, घुसपैठियों के हमले में हमारे नागरिकों की मौत हो जाती है तब हमारे नागरिकों का मानवाधिकार नहीं है क्या? उन्होंने कहा कि मानवाधिकार की रक्षा के लिए ही ‘एनआरसी’ बना है लेकिन यह भारतीय नागरिकों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए बना है। उन्होंने कहा कि मुद्दा भारत की सुरक्षा का है और यह भी कि क्या हम अपने सीमित संसाधनों को अवैध घुसपैठियों के साथ साझा करेंगे? उन्होंने कहा कि जो लोग ‘एनआरसी' का विरोध कर रहे हैं, वे यह बताएं कि क्या वे बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ हैं?
विपक्षी पार्टियों पर पलटवार करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को ‘एनआरसी' के मामले पर अपना स्टैंड साफ़ करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस को और बाकी तमाम विपक्षी पार्टियों को स्पष्ट करना चाहिए कि इस विषय पर उनका स्टैंड क्या है? उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के मन में कोई दुविधा नहीं है - देश की सुरक्षा, देश की सीमाओं की सुरक्षा और अपने नागरिकों का हित हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, यह हमारा कमिटमेंट है। कांग्रेस स्पष्ट करे कि देश की सुरक्षा कांग्रेस के लिए मुद्दा है या नहीं? उन्होंने कहा कि देश के किसी भी नागरिक के साथ अन्याय होने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि सारी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है।
श्री शाह ने कहा कि कुछ पार्टियों द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है कि ‘एनआरसी’ के कारण असम में रह रहे तमिल, बिहारी और बंगाली भाइयों के साथ भेदभाव और अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि भारत के किसी भी प्रांत के लोगों को वहां रहने और बसने में कोई दिक्कत नहीं है, बस उन्हें अपने भारतीय नागरिक होने का प्रमाण देना होगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां यह भी भ्रम फैला रही हैं कि ‘एनआरसी’ के कारण प्रांत-प्रांत में झगड़े होंगे जबकि सच्चाई कुछ और ही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रांतियां फैलाकर देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है, मैं इसकी घोर निंदा करता हूँ।
कांग्रेस पर करारा हमला जारी रखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की स्टैंड बदलने की आदत है। उन्होंने कहा कि स्वयं इंदिरा गाँधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि देश में एक भी घुसपैठियों के लिए जगह नहीं है। इतना ही नहीं, कांग्रेस की सोनिया-मनमोहन सरकार में गृह मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने भी कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर किया जाएगा तो इसका मतलब यह है कि कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में होती है तब उनका स्टैंड कुछ और होता है और जब सत्ता से बाहर होती है तब कुछ और। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्टैंड बिलकुल स्पष्ट है कि ‘एनआरसी' पूरी तरह दृढ़ता के साथ इम्प्लीमेंट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने अस्तित्व, धर्म और अस्मिता को बचाने के लिए दूसरे देशों में शरण लेते हैं, वे शरणार्थी हैं और जो अवैध तरीके से देश में दाखिल कर उस देश के संसाधनों पर कब्जा करते हैं, वे घुसपैठिये हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर पूरी तरह से स्पष्ट है, इसलिए ‘सिटिजनशिप एक्ट’ का विधेयक लोक सभा में पास हो गया है और अब यह राज्य सभा में लंबित है। उचित समय पर इस पर निर्णय लिया जाएगा।
श्री शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी आरोप लगा रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक के लिए ‘एनआरसी' का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि ममता जी, जब हम विपक्ष में थे, तब भी और आज जब हम सत्ता में है, तब भी हम अपने सिद्धांत पर अडिग हैं कि इस देश में घुसपैठियों के लिए कोई जगह नहीं है और देश के संसाधनों पर अधिकार केवल और केवल भारतीय नागरिकों का है। उन्होंने कहा कि लोगों में भय फैलाया जा रहा है कि ‘एनआरसी’ के कारण गृहयुद्ध होगा। उन्होंने कहा कि तृणमूल अध्यक्षा को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी बातों का आधार क्या है? उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है और क़ानून अपना काम करेगा।
अंत में श्री शाह ने कहा कि मेरा स्पष्ट मानना है - एनआरसी फॉर सिक्योरिटी। एनआरसी देश की सुरक्षा के लिए है। भाजपा का दृढ़ निश्चय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एनआरसी को पूरी दृढ़ता के साथ इम्प्लीमेंट किया जाना चाहिए।