SALIENT POINTS OF SPEECH : BJP NATIONAL PRESIDENT, SHRI AMIT SHAH ADDRESSING "ARYA YUVA MAHA-SAMMELAN" AT GURUKUL KURUKSHETRA, KURUKSHETRA (HARYANA)

Press, Share | Oct 22, 2016

Saturday, 22 October 2016

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा कुरुक्षेत्र, हरियाणा में आयोजित "आर्य युवा महा सम्मलेन" में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

ऋषि दयानंद सरस्वती जी ने हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए, वेदों के पुनरुद्धार के लिए और हमारे ज्ञान पर पड़ी धूल को साफ़ करने के लिए जो काम किया, वह अप्रतिम है: अमित शाह
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ऋषि दयानंद सरस्वती जी ने एक नारा दिया था - “पुनः चलें वेदों की ओर”। भारतीय संस्कृति को अपने मूल स्वरूप में दुनिया के सामने रखने का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह श्री दयानंद सरस्वती को जाता है: अमित शाह
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यह श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रयासों का ही परिणाम है कि दुनिया ने भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर को ‘योग दिवस' के रूप में स्वीकार किया है: अमित शाह
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यह श्री नरेन्द्र भाई मोदी हैं जो विदेशों से आने वाले महानुभावों को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करते हैं और संदेश देते हैं कि श्रीमद्भागवद्गीता में ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है: अमित शाह
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ऋषि दयानंद जी ने न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत किया बल्कि इस बात को जागृत करने का काम किया कि तब तक आध्यात्मिक चेतना का कोई महत्व नहीं है जब तक देश आजाद नहीं हो जाता और हम देश को गुलामी की दासता से मुक्त नहीं कर देते: अमित शाह
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार चाहती है कि देश में समृद्धि तो आये, शक्ति भी आये, देश सुरक्षित भी रहे मगर इस देश की आध्यात्मिक उंचाई एक इंच भी कम न हो बल्कि दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जाए: अमित शाह
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्त्व में जो सरकार चल रही है, वह देश को आगे बढ़ाने के लिए अहर्निश काम कर रही है: अमित शाह
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यह वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशती का वर्ष है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार ने इस वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है: अमित शाह
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व्यक्ति से लेकर परमेष्टि तक को एकात्मता से कैसे जोड़ा जा सकता है, प्रकृति का शोषण किये बगैर संतुलित तरीके से अर्थतंत्र को कैसे गतिमान किया जा सकता है और अंतिम से अंतिम व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा मंल शामिल कैसे किया जा सकता है, इस तरह के अंत्योदय के सिद्धांत पर विकास की बात पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी: अमित शाह
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दुनिया के अंदर जो समस्याएँ हैं, उन सभी समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति और वेदों में छुपा हुआ है: अमित शाह
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यह हमारा दायित्त्व है कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने जो मार्ग प्रशस्त किया है, वेदों का पुनरुद्धार किया है, अर्वाचीन तरीके से हमारे प्राचीन संस्कारों को समाहित कर जो शिक्षा पद्धति बनाई है, उसका हम संरक्षण व संवर्द्धन करें: अमित शाह
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अस्पृश्यता, बाल विवाह निषेध, दहेज उन्मूलन, विधवा विवाह की शुरूआत, पुरातन संस्कारों के साथ स्वदेशी और आधुनिक शिक्षा इत्यादि कई ऐसे सामाजिक सुधार कार्यक्रम आर्य समाज के तत्त्वाधान में हुए: अमित शाह
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जो रास्ता महर्षि दयानंद ने हमें बताया है, उस रास्ते पर न केवल भारत का बल्कि विश्व का कल्याण सुरक्षित है, हम उसी रास्ते पर चलते जाएँ और देश के साथ-साथ विश्व कल्याण के रास्ते पर भी आगे बढ़ें: अमित शाह
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित "आर्य युवा महा सम्मलेन" में भाग लिया और देश के युवाओं से राष्ट्र के पुनर्निर्माण में भागीदार बनने का आह्वान किया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री अनिल जैन भी उपस्थित थे। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत काल में यहाँ श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से विश्व को जो एक अनूठी भेंट दी थी, उस धर्म क्षेत्र को मैं प्रणाम करता हूँ। उन्होंने कहा कि आज मैं कुरुक्षेत्र गुरुकुल में खडा हूँ, स्वामी श्रद्धानंद जी ने जो बीज बोया था, आज वह एक बट वृक्ष के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर ऋषि दयानंद सरस्वती को याद करना जरूरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऋषि दयानंद जी ने जन्म भले गुजरात में लिया था पर उनकी कर्मभूमि यही पुराना पंजाब और उत्तर भारत का क्षेत्र रही है। उन्होंने कहा कि 19वीं शताब्दी में जब भारत औद्योगिक क्रांति और भौतिकता की परम सीमा की ओर आगे बढ़ रही थी, उसी समय यह ईश्वर निर्मित नियति ही थी कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अनेक महात्माओं ने एक साथ अवतरित होकर हमारी आध्यात्मिक विरासत को फिर से नई ऊंचाई पर ले जाने का काम किया। उन्होंने कहा कि सदियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के कारण हमारी आध्यात्मिक विरासत पर जिस प्रकार से धूल जमी हुई थी, उस को साफ कर हमारी विरासत को प्रतिस्थापित करने का काम उन पुण्यात्माओं ने किया। उन्होंने कहा कि इस कड़ी में स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, ऋषि दयानंद सरस्वती, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी जैसे कई पुण्यात्माओं ने मूल भारतीय संस्कृति की आत्मा को जागृत करने का काम किया। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूँ कि ऋषि दयानंद सरस्वती जी ने हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए, वेदों के पुनरुद्धार के लिए और हमारे ज्ञान पर पड़ी धूल को साफ़ करने के लिए जो काम किया, वह अप्रतिम है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को अपने मूल स्वरूप में दुनिया के सामने रखने का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह श्री दयानंद सरस्वती को जाता है। श्री शाह ने कहा कि ऋषि दयानंद जी ने न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत किया बल्कि उन्होंने इस बात को जागृत करने का काम किया कि तब तक आध्यात्मिक चेतना का कोई महत्व नहीं है जब तक देश आजाद नहीं हो जाता और हम देश को गुलामी की दासता से मुक्त नहीं कर देते। उन्होंने कहा कि ऋषि जी के बताये रास्ते पर चलते हुए कई लोगों ने देश की आजादी के लिए बहुत बड़े-बड़े काम किये। उन्होंने कहा कि सशस्त्र क्रांति के सहारे देश को आजाद कराने वाले युवाओं की फ़ौज हो या फिर अहिंसा के रास्ते पर देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने का सपना देखने वाले युवा हों, अगर हम गहराई से इनका अध्ययन करेंगें तो कई लोगों के मूल आर्य समाज में ही निकलेंगें। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना आर्य धर्म और हमारे हिन्दू धर्म के एक अर्वाचीन अवतरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि 1875 में मुंबई में ऋषि दयानंद ने जो आर्य समाज की स्थापना की थी, वह आज न केवल पूरे देश बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक ने श्री दयानंद सरस्वती के लिए कहा था, “ऋषि दयानंद भारतीय आकाश के एक ऐसे जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं जिनकी आभा के कारण ही स्वराज का विचार आज जनमानस के अंदर प्रतिस्थापित हो पाया है।” उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता की बलिवेदी पर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल जी को भी प्रेरणा आर्य समाज से प्राप्त हुई थी। इतना ही नहीं, अस्पृश्यता, बाल विवाह निषेध, दहेज उन्मूलन, विधवा विवाह की शुरूआत, पुरातन संस्कारों के साथ स्वदेशी और आधुनिक शिक्षा इत्यादि कई ऐसे सामाजिक सुधार कार्यक्रम आर्य समाज के तत्त्वाधान में हुए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्त्व बढ़ाने में भी आर्य समाज की बहुत बड़ी भूमिका रही है। श्री शाह ने कहा कि ऋषि दयानंद सरस्वती जी ने एक नारा दिया था - “पुनः चलें वेदों की ओर" और इसी नारे के बल पर हम यहाँ पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद और महात्मा हंसराज ने इस कुरुक्षेत्र गुरुकुल की शुरुआत की थी, मुझे बताया गया कि कम से कम एक लाख युवा वर्तमान में आर्य समाज के तत्वाधान में हमारी मूल भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा के साथ आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो एक बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि आचार्य देवव्रत जी ने इस गुरुकुल के लिए जो किया है, वह अप्रतिम है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति सालों तक किसी भी प्रसिद्धि की इच्छा किये बगैर निस्वार्थ भाव से समाज के युवाओं को सही रास्ते पर ले जाने के लिए तपस्या करता है, तब इस प्रकार का कुरुक्षेत्र गुरुकुल जैसा वटवृक्ष दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई आचार्यों ने गुरुकुल और आर्य समाज की परंपरा को आत्मसात करते हुए देश की आध्यात्मिक धरोहर को संभालने का काम किया है, उसे और उंचाई देने का काम किया है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज देश में एक ऐसी सरकार है जो चाहती है कि भारत विश्व का सबसे समृद्ध, ताकतवर और सुरक्षित देश बने। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार चाहती है कि देश में समृद्धि तो आये, शक्ति भी आये, देश सुरक्षित भी रहे मगर इस देश की आध्यात्मिक उंचाई एक इंच भी कम न हो बल्कि दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जाए। उन्होंने कहा कि यदि देश में समृद्धि लाने के मोह में, ताकतवर बनने की आस में और देश को सुरक्षित बनाने की ललक में हम अपने आध्यात्मिक धरोहर को गँवा बैठे तो आने वाली पीढ़ी और पूरे विश्व को देने के लिए हमारे पास जो सबसे बड़ी पूंजी है, हम उसको गँवा बैठेंगें। उन्होंने कहा - “मैं मानता हूँ कि दुनिया को देने के लिए वेदों में बहुत कुछ पड़ा है, भारतीय संस्कृति में बहुत कुछ पडा है और दुनिया के अंदर जो समस्याएँ हैं, उन सभी समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति और वेदों में छुपा हुआ है। विश्व को इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए कभी न कभी भारतीय संस्कृति के द्वारा प्रशस्त किये गए रास्ते पर चलना ही पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि यह हम सबका दायित्त्व बनता है कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने जो मार्ग प्रशस्त किया है, वेदों का पुनरुद्धार किया है, अर्वाचीन तरीके से हमारे प्राचीन संस्कारों को समाहित कर जो शिक्षा पद्धति बनाई है, उसका हम संरक्षण व संवर्द्धन करें। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्त्व में जो सरकार चल रही है, वह देश को आगे बढ़ाने के लिए अहर्निश काम कर रही है। उन्होंने कहा कि संयोग से यह वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशती का भी वर्ष है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का प्रादुर्भाव पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के दर्शन से ही हुआ है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से लेकर परमेष्टि तक को एकात्मता से कैसे जोड़ा जा सकता है, प्रकृति का शोषण किये बगैर संतुलित तरीके से अर्थतंत्र को कैसे गतिमान किया जा सकता है और अंतिम से अंतिम व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा में शामिल कैसे किया जा सकता है, इस तरह के अंत्योदय के सिद्धांत पर विकास की बात पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार ने इस वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि ढ़ाई साल के अल्पकाल के अंदर ही श्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्त्व ने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है, भारतीय अर्थतंत्र को आश्चर्यचकित कर देने वाली गति दी है एवं देश को पूरे विश्व में गौरव दिलाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि यह श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रयासों का ही परिणाम है कि दुनिया ने भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर को ‘योग दिवस' के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यह श्री नरेन्द्र भाई मोदी हैं जो विदेशों से आने वाले महानुभावों को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करते हैं और संदेश देते हैं कि श्रीमद्भागवद्गीता में ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आर्य समाज के विचार एवं कार्यक्रमों का ह्रदय की गहराइयों से समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि जो रास्ता ऋषि दयानंद ने हमें बताया है, उस रास्ते पर न केवल भारत का बल्कि विश्व का कल्याण सुरक्षित है, हम उसी रास्ते पर चलते जाएँ और देश के साथ-साथ विश्व कल्याण के रास्ते पर भी आगे बढ़ें।

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