SALIENT POINTS OF SPEECH BY BJP NATIONAL PRESIDENT, SHRI AMIT SHAH ADDRESSING A PUBLIC GATHERING AT SULABH GRAM, PALAM DABRI ROAD, MAHAVIR ENCLAVE, NEW DELHI

Press, Share | Dec 20, 2016

Tuesday, 20 December 2016

Salient Points of Speech Given by BJP National President, Shri Amit Shah in a Public Programme at Sulabh Gram, New Delhi

स्वच्छता के कार्यक्रम को पहले से यदि जन-आंदोलन बनाया गया होता तो आज यह समस्या नहीं होती: अमित शाह
*********
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी ने समाज की समस्याओं को आम नागरिकों का आंदोलन बनाया, बेटी बचाओ - बेटी पढाओ, नमामि गंगे और स्वच्छता अभियान इसी आंदोलन का हिस्सा है: अमित शाह
*********
मोदी सरकार की सबसे टॉप मोस्ट प्रायोरिटी यही है कि सिर पर मैला ढोने के इस घृणास्पद अभिशाप से लोगों को मुक्ति दिलाई जाए: अमित शाह
*********
दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के इतने सालों बाद भी स्वच्छता के संस्कार को सिंचित करने के लिए किसी को आगे आना पड़ता है: अमित शाह
*********
जब एक व्यक्ति एक विचार को आंदोलन बनाता है तो उसका लक्ष्य इतना सरल नहीं होता, रास्ते में काफी सारी कठिनाइयाँ होती है क्योंकि यहाँ पर सिर्फ देना ही देना होता है: अमित शाह
*********
मैं हृदय से और मेरी समग्र पार्टी की ओर से श्रीमान पाठक जी को साधुवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने स्वच्छता के इस पवित्र कार्य को अपने जीवन का मंत्र बनाया है: अमित शाह
*********
संस्कारित जीवन देने और स्वच्छता से जुड़े हुए लोगों का सामाजिक सशक्तिकरण करना बहुत जरूरी है: अमित शाह
*********
अब तक 2502 गांव, 67 जिले और तीन राज्य खुले में शौच और सिर पर मैला ढोने की प्रक्रिया से मुक्त हो चुके हैं हालांकि यह कार्य काफी कठिन है लेकिन हम जल्द ही देश को इस अभिशाप से मुक्त कराने में सफल होंगें: अमित शाह
*********

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के महावीर इन्क्लेव में सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया और लोगों से स्वच्छता को जीवन का अंग बनाने का आह्वान किया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज मैं ऐसी संस्था में खड़े होकर बात कर रहा हूँ जहां पूरी सृष्टि में सबसे पवित्र काम में जुड़े हुए लोग हैं। उन्होंने कहा कि सुलभ इंटरनेशनल और श्री बिन्देश्वर पाठक जी ने जो स्वच्छता का जो काम हाथ में लिया है, वह अपने आप में विराट है हालांकि इस कार्य को बहुत पहले ही समाप्त हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पाठक जी ने सन 1968 में स्वच्छता का बीड़ा उठाया था, यह दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के 20 साल बाद किसी को वैचारिक आंदोलन शुरू करना पड़ा ताकि इस देश में शौचालय की व्यवस्था को सर्व-स्वीकृति मिले। उन्होंने कहा कि तीन तरह के आंदोलन होते हैं - धार्मिक आंदोलन, राजनीतिक आंदोलन और वैचारिक आंदोलन। उन्होंने कहा कि धार्मिक आंदोलन के अंदर व्यक्ति की भावनाओं को साथ में लेकर आगे बढ़ना होता है, राजनीतिक आंदोलन में एक लक्ष्य को सामने रखकर आगे बढ़ना होता है लेकिन जब एक व्यक्ति एक विचार को आंदोलन बनाता है तो उसका लक्ष्य इतना सरल नहीं होता, रास्ते में काफी सारी कठिनाइयाँ होती है क्योंकि यहाँ पर सिर्फ देना ही देना होता है। उन्होंने कहा कि मैं हृदय से और मेरी समग्र पार्टी की ओर से श्रीमान पाठक जी को साधुवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने स्वच्छता के इस पवित्र कार्य को अपने जीवन का मंत्र बनाया है।

गांधी जी का जिक्र करते हुए श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में जुड़ने के साथ ही गांधी जी ने पूरे देश में घूमना और देश की समस्याओं को समझना शुरू किया, यदि अफ्रीका से आने के बाद गांधी जी का भारत भ्रमण न हुआ होता तो गाँधीजी ने इतनी मूलभूत चीजों को पकड़ा न होता और आज़ादी भी न मिली होती। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से कामरूप तक फैले हुए इस विराट देश की समस्याओं को धैर्य के साथ समझते हुए आज़ादी के आंदोलन के साथ-साथ अनेक प्रकार के ऐसे विचारों को गांधी जी ने अपने कर्म के माध्यम से देशवासियों को एक संदेश दिया ताकि आने वाली सदियों तक हिंदुस्तान का उत्थान होता रहे। उन्होंने कहा कि गांधी जी के इन्हीं विचारों में से एक स्वच्छता का विचार था चाहे वह सादगी की बात हो, चाहे भारतीयता की बात हो या फिर खादी की बात हो। उन्होंने कहा कि इन सारी चीजों का आज़ादी के आंदोलन से कोई सीधा लेना-देना नहीं था लेकिन गाँधीजी का लक्ष्य सिर्फ आज़ादी नहीं था बल्कि उनका लक्ष्य देश को सामाजिक रूप से सशक्त करना और सामाजिक कुरीतियों को एक-एक करके पीछे छोड़ते जाना था और इसलिए गांधी जी ने स्वच्छता को एक अहम् मुद्दा बनाया था।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के इतने सालों बाद भी स्वच्छता के संस्कार को सिंचित करने के लिए किसी को आगे आना पड़ता है, शौचालय के प्रचार-प्रसार और उसकी आदत लगाने के लिए अभियान चलाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब श्री नरेन्द्र भाई देश के प्रधानमंत्री बने तब देश के सामने महँगाई, सीमा-सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार, गिरते विकास दर जैसी बहुत सारी समस्याएं थी, कई ऐसी समस्याएं भी थी जो दिखाई नहीं दे रही थी लेकिन जिसका उन्मूलन आवश्यक था। उन्होंने कहा कि दिखाई देने वाली समस्याओं को तो श्री नरेन्द्र भाई ने बखूबी निभाया ही लेकिन जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से शौचालय और मैला ढोने के अभिशाप से देश को मुक्त करने का आह्वान किया तो उन्होंने पूरे देश को एक ऐसी समस्या पर सोचने को मजबूर किया कि जिसे अगर हम आज एड्रेस नहीं कर पाते हैं तो समाज के नाते हम अपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के कार्यक्रम को पहले से यदि जन-आंदोलन बनाया गया होता तो आज यह समस्या नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी ने समाज की समस्याओं को आम नागरिकों का आंदोलन बनाया, बेटी बचाओ - बेटी पढाओ, नमामि गंगे और स्वच्छता अभियान इसी आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस देश को खुले में शौच से मुक्त करने के साथ-साथ सिर पर मैला ढोने के घृणास्पद व्यवसाय से देश को मुक्ति दिलाने का एक बहुत बड़ा आंदोलन मोदी सरकार ने चलाया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सबसे टॉप मोस्ट प्रायोरिटी यही है कि सिर पर मैला ढोने के इस घृणास्पद अभिशाप से लोगों को मुक्ति दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि इस काम को नरेन्द्र भाई ने लाल किले के भाषण में सिर्फ कहा ही नहीं बल्कि इसे सरकार की प्रायोरिटी का एजेंडा बनाया और समाज सेवा के फंड को शौचालयों की ओर निर्देशित किया।

श्री शाह ने कहा कि 29 करोड से अधिक शौचालयों के निर्माण का बीड़ा उठाया गया, उसके साथ-साथ इसके रख-रखाव और इसका उपयोग करने की आदत डालने का प्रचार-प्रसार करने का अभियान भी भारत सरकार ने उठाया है। उन्होंने कहा कि अब तक 2502 गांव, 67 जिले और तीन राज्य खुले में शौच और सिर पर मैला ढोने की प्रक्रिया से मुक्त हो चुके हैं हालांकि यह कार्य काफी कठिन है लेकिन हम जल्द ही देश को इस अभिशाप से मुक्त कराने में सफल होंगें।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि स्वच्छता का संस्कार मुझे मेरी माता जी से मिला, वे गांधी जी की बहुत बड़ी अनुयायी थी। उन्होंने कहा कि हंड्रेड परसेंट वेस्ट को ज़ीरो परसेंट वेस्ट तक कैसे लाया जा सकता है, यह पूरी दुनिया को बताने का काम पाठक जी ने किया है। उन्होंने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री पाठक जी से आग्रह करते हुए कहा कि स्वच्छता के लिए पाठक जी को मिले सारे अवार्ड एक तरफ और सिर पर मैला ढोने की प्रथा को मुक्त करने पर लोगों का जो आशीर्वाद उन्हें मिलेगा - वह दूसरी तरफ। उन्होंने कहा कि संस्कारित जीवन देने वाले और स्वच्छता से जुड़े हुए लोगों का सामाजिक सशक्तिकरण करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए संस्थाओं को किस तरह से काम करना चाहिए, अगर वह देखना है तो सुलभ इंटरनेशनल इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने एक बार फिर देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प लेने और इसके लिए अनवरत कार्य करते रहने के लिए श्री बिन्देश्वर पाठक जी को सहृदय साधुवाद दिया।

TTToggle Large Font Size

Share this post:

or Copy link: