Press, Share | Aug 18, 2019
18 August 2019
केन्द्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में “Abolition of Triple Talaq - Correcting a Historic Wrong” विषय पर आयोजित परिचर्चा में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
ट्रिपल तलाक देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए ईश्वर प्रदत्त समानता के अधिकारों एवं गरिमा से वंचित रखने की कुप्रथा थी जिसे ख़त्म कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुस्लिम महिलाओं एवं बहनों को सम्मान से जीने का अधिकार देते हुए उनका सशक्तिकरण किया है। मैं इसके लिए उन्हें कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूँ
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राजा राममोहन राय, ज्योतिबा फूले, महात्मा गांधी, वीर सावरकर और वीर नर्मद जैसे महान समाज सुधारकों ने समाज को नई दिशा दिखाई है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नाम भी इन समाज सुधारकों की सूची में आयेगा और देश की जनता उन्हें एक महान समाज सुधारक के रूप में याद करेगी
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जब 18 से अधिक प्रमुख इस्लामिक देशों ने ट्रिपल तलाक को तलाक देने का काम आज से 56 साल पहले ही कर दिया, तो हमें आखिर इसे ख़त्म करने में 56 वर्ष क्यों लगे? इसका एकमात्र मुख्य कारण कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति है
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वास्तव में ट्रिपल तलाक का समर्थन करने वालों को ना तो मुस्लिम महिलाओं की चिंता है, ना मुस्लिम महिला के बच्चों की चिंता है, उन्हें तो केवल और केवल अपने वोट बैंक की चिंता है, इसलिए ऐसे लोग ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने वाले कानून का विरोध कर रहे हैं
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यदि ट्रिपल तलाक शरीयत का हिस्सा होता, इस्लामिक संस्कृति का हिस्सा होता तो इतने सारे इस्लामिक देश भला इसे क्यों बैन करते? उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह गैर-इस्लामिक है और इसे कुरआन का समर्थन प्राप्त नहीं है और जो कुरआन में नहीं है तो उसका समर्थन निश्चित रूप से गैर-इस्लामी भी है
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शाहबानो केस में कांग्रेस की राजीव गाँधी सरकार ने मुस्लिम सोच और वोट बैंक के दबाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त कर मुस्लिम महिलाओं को फिर से ट्रिपल तलाक के अभिशाप से जूझने के लिए छोड़ दिया
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जब-जब ट्रिपल तलाक के समर्थन में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल खड़े हुए, उस वक्त पूरी दुनिया ने देख लिया कि लिबरल, सेक्युलर, वामपंथी और अपने आप को प्रोग्रेसिव कहने वाले लोग कैसे रूढ़िवादी लोगों से डरते हैं और रूढ़िवादियों का समर्थन करते हैं
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कुछ सरकारें 25-30 सालों तक चलती हैं, तब जाकर 4-5 महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जबकि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने पांच वर्ष में ही 25 से भी अधिक ऐतिहासिक निर्णय कर देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है, यह मोदी जी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचायक है
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देश के विकास, सामाजिक समरसता और देशभक्ति की भावना की राह में तुष्टीकरण की राजनीति हमेशा दीवार बन कर खड़ी रही और इसके कारण हम कई मायनों में पिछड़ते चले गए। शॉर्ट-कट लेकर सत्ता प्राप्त करने की पॉलिटिक्स ने देश का बड़ा नुकसान किया
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जिनके मन में वोट का लालच है, जिसके अंदर किसी भी तरह सत्ता प्राप्त करने की भूख है, जिसके मन में गरीबों और भूखों के लिए संवेदना नहीं है, वही तुष्टीकरण जैसे शॉर्ट-कट अपनाते हैं
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मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ट्रिपल तलाक केवल और केवल मुस्लिम समाज के फायदे के लिए है क्योंकि किसी और समाज में इसकी प्रताड़ना सहनी ही नहीं पड़ती। देश की 50% मुस्लिम आबादी को इससे गरिमा से जीवन यापन और समानता का अधिकार मिला है। यदि हम इसे ख़त्म करने का कदम नहीं उठाते तो यह हमारे प्रगतिशील लोकतंत्र पर बहुत बड़ा धब्बा होता
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यदि ट्रिपल तलाक कुरआन के तहत पाप है तो यह फिर संवैधानिक कैसे हो सकता है? हमने तीन-तीन बार इसके लिए प्रयास किया क्योंकि हमारा स्पष्ट मानना था कि करोड़ों मुस्लिम माताओं और बहनों को समानता का अधिकार मिलना चाहिए और इसके लिए ट्रिपल तलाक का खत्म होना आवश्यक है
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इस देश ने सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों को ख़त्म किया और किसी ने इसका विरोध नहीं किया। यदि समय के साथ समाज नहीं बदलता है तो वह समाज कभी प्रगतिशील नहीं हो सकता। कुप्रथाओं का अंत होना ही चाहिए
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ट्रिपल तलाक में सजा का प्रावधान शिक्षात्मक नहीं, शिक्षणात्मक है और इससे गलत कार्य करने के प्रति एक डर बना रहता है। सजा का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि शादी बची रहे, टूटे नहीं
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एक मुस्लिम होते हुए भी गुलाम नबी आजाद साहब को यह मालूम ही नहीं है कि ट्रिपल तलाक में मेंटेनेंस का प्रोविजन ही नहीं है लेकिन मेंटेनेंस तो अब देना पड़ेगा क्योंकि ट्रिपल तलाक वैलिड है ही नहीं
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मैं ट्रिपल तलाक के सभी समर्थकों को बताना चाहता हूं कि ट्रिपल तलाक के ख़त्म करने का क़ानून बनने के बाद बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी, उनको इसका मेंटेनेंस करना पड़ेगा
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क़ानून में हमने ऐसा प्रावधान किया है कि या तो पीड़ित महिला केस कर सकती है या तो उसके ब्लड रिलेशन के लोग ही केस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जब तक महिला की सुनवाई कोर्ट में नहीं होगी, तब तक ट्रिपल तलाक देने वाले को जमानत नहीं मिलेगी
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भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम की एक एनजीओ द्वारा 2015 में एक सर्वे किया गया था जिससे यह तथ्य सामने आया कि लगभग 92.1% महिलाएं ट्रिपल तलाक से मुक्ति चाहती है। मुझे इस बात की संतुष्टि और गौरव है कि इस पवित्र कार्य के लिए मेरा भी एक वोट काम आया है
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इस देश की राजनीति में जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण के तीन अभिशापों ने हमारे महान लोकतंत्र के पूरा शंकाओं का वातावरण बना दिया था लेकिन हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक सुधारक के नाते जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को समाप्त करने का काम किया है
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यह देश जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण के आधार पर नहीं बल्कि क्षमताओं के आधार पर चलनी चाहिए। जिसमें क्षमता है, उसे मंच मिलना चाहिए, उसे देश के लिए काम करने का मौका मिलना चाहिए। जो पीड़ित हैं, जिनके अधिकारों का हनन होता हो चाहे वे किसी भी जाति अथवा धर्म के क्यों न हो, उनके अधिकारों का संरक्षण हमारे संविधान के तहत होना चाहिए
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आपका एक वोट देश का भविष्य बनाता है, अतः किसी भावावेश आये बिना वोट उसी पार्टी को दें, उसी नेता को दें, उसी नेतृत्व को दें जो देश को एक प्रगतिशील रास्ते पर अग्रसर करे और जो देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित करने की क्षमता रखता हो
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज जींद (हरियाणा) के एकलव्य स्टेडियम में आयोजित विशाल “आस्था रैली" को संबोधित किया और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में हरियाणा की भाजपा सरकार की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रदेश की जनता से राज्य में एक बार पुनः भारतीय जनता पार्टी की लोक-कल्याणकारी सरकार बनाने का आह्वान किया।
अबकी बार, 75 पार
केन्द्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली स्थित कंस्टीट्यूशन क्लब के मावलंकर सभागार में श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के तत्वाधान में आयोजित ‘Abolition of Triple Talaq - Correcting a Historic Wrong’ विषय पर परिचर्चा को संबोधित किया और इसे मुस्लिम महिलाओं के सम्मान एवं अधिकारों की रक्षा में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए इस अभिशाप से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में भाजपा के उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू, पार्टी महासचिव श्री अरुण सिंह, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के निदेशक डॉ अनिर्बान गांगुली सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
श्री शाह ने कहा कि ट्रिपल तलाक देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए ईश्वर प्रदत्त समानता के अधिकारों एवं गरिमा से वंचित रखने की कुप्रथा थी जिसे ख़त्म कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुस्लिम महिलाओं एवं बहनों को सम्मान से जीने का अधिकार देते हुए उनका सशक्तिकरण किया है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि ट्रिपल तलाक के अभिशाप से मुक्ति दिलाने को लेकर किसी के मन में कोई भी संदेह नहीं था, न तो उनके मन में जो इस के विरोध में थे और न ही उन लोगों के मन में जो इसके पक्ष में भी थे। कई राजनीतिक दलों ने संसद के पटल पर ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाये गए विधेयक की खिलाफत की थी लेकिन मन से उनकी भी इच्छा थी कि यह कुप्रथा जल्द से जल्द ख़त्म होनी चाहिए हालांकि ऐसा करने के लिए न तो उन लोगों के पास दृढ़ इच्छाशक्ति थी और न ही साहस, इसलिए ये कुप्रथा वर्षों तक चलती रही। किसी भी कुप्रथा को समाज से जब हटाया जाता है तो इसका स्वाभाविक तौर पर स्वागत होता है लेकिन ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने के लिए इसका विरोध और आंदोलन क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पीछे कुछ छोटी सोच वाले राजनीतिक दलों की तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति जिम्मेदार थी। ये तुष्टीकरण की ही राजनीति थी जो भारत के विभाजन का कारण बनी और 60 के दशक के बाद धीरे-धीरे इस वोट बैंक में तब्दील कर, इसके आधार पर सत्ता में काबिज होने की आदत कुछ दलों को पड़ती चली गई। इस तुष्टीकरण की राजनीति ने कई दृष्टि से देश का बड़ा नुकसान किया, ट्रिपल तलाक इसका एक उदाहरण है। देश के विकास, सामाजिक समरसता और देशभक्ति की भावना की राह में तुष्टीकरण की राजनीति हमेशा दीवार बन कर खड़ी रही और इसके कारण हम कई मायनों में पिछड़ते चले गए। शॉर्ट-कट लेकर सत्ता प्राप्त करने की पॉलिटिक्स ने देश का बड़ा नुकसान किया।
श्री शाह ने कहा कि जब आप समग्र राष्ट्र और पूरे समाज के विकास की परिकल्पना को साकार करने का बीड़ा उठाते हैं तो आपको परिश्रम करना पड़ता है, इसकी डिटेल प्लानिंग करनी पड़ती है और इसके लिए वोट बैंक का लालच नहीं बल्कि गरीबों और पिछड़ों के कल्याण के लिए मन में संवेदना होनी चाहिए। जिनके मन में वोट का लालच है, जिसके अंदर किसी भी तरह सत्ता प्राप्त करने की भूख है, जिसके मन में गरीबों और भूखों के लिए संवेदना नहीं है, वही तुष्टीकरण जैसे शॉर्ट-कट अपनाते हैं। देश के विकास के लिए प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब है, जो विकास की राह में पीछे छूट गया है चाहे वह किसी भी धर्म अथवा सम्प्रदाय का हो, उसे ऊपर उठाया जाय और विकास की अग्रिम पंक्ति में शामिल कराया जाए। यदि आप ऐसा करने में सफल होते हैं तो समाज अपने आप विकास के रास्ते पर आगे बढ़ पड़ता है। इसी से सर्वस्पर्शी एवं सर्व-समावेशी विकास का सफ़र शुरू होता है। गरीबी का कोई धर्म नहीं होता लेकिन 60 के दशक के बाद कांग्रेस ने जो तुष्टीकरण की राजनीति शुरू की और बाकी पार्टियों ने इसका अनुसरण करना शुरू किया, इसने ग़रीबों के उत्थान के साथ-साथ देश के लोकतंत्र की जड़ों और समाज सुधार पर भी बहुत बुरा असर डाला।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब 2014 में देश की जनता ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत का जनादेश दिया, तब जाकर देश से तुष्टीकरण की राजनीति के अंत की सही मायनों में शुरुआत हुई और बिना किसी तुष्टीकरण के सर्वस्पर्शीय एवं सर्व-समावेशी विकास के आधार पर भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार पांच वर्षों तक चली जिसका परिणाम यह रहा कि 2019 में देश की जनता ने पिछली बार से भी अधिक बहुमत के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को दोबारा जनादेश दिया। इसी जनादेश के बल पर प्रधानमंत्री जी ने ट्रिपल तलाक की कुप्रथा को हमेशा के लिए ख़त्म करने में सफलता पाई।
श्री शाह ने कहा कि ट्रिपल तलाक के समर्थन में खड़े होने वाले दुहाई देते हैं कि यह शरीयत का अंग है, हमारे रीति-रिवाजों में दखलंदाजी न हो लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, टर्की, मिश्रा, ईरान, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, सीरिया और मलेशिया जैसे कई इस्लामिक देशों ने 1922 से 1963 के दौरान इस पर बैन लगा दिया। इन प्रमुख इस्लामिक देशों ने ट्रिपल तलाक को तलाक देने का काम आज से 56 साल पहले ही कर दिया, हमें आखिर इसे ख़त्म करने में 56 वर्ष क्यों लगे? इसका एकमात्र मुख्य कारण कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति है। यदि ट्रिपल तलाक शरीयत का हिस्सा होता, इस्लामिक संस्कृति का हिस्सा होता तो इतने सारे इस्लामिक देश भला इसे क्यों बैन करते? उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह गैर-इस्लामिक है और इसे कुरआन का समर्थन प्राप्त नहीं है और जो कुरआन में नहीं है तो उसका समर्थन निश्चित रूप से गैर-इस्लामी भी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कुछ सरकारें 25-30 सालों तक चलती हैं, तब जाकर 4-5 महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जबकि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने पांच वर्ष में ही 25 से भी अधिक ऐतिहासिक निर्णय कर देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है, यह मोदी जी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचायक है। उन्होंने कहा कि कई विरोधी हम पर यह आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार का ट्रिपल तलाक को बैन करने का यह कार्य मुस्लिम विरोधी है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ट्रिपल तलाक केवल और केवल मुस्लिम समाज के फायदे के लिए है क्योंकि किसी और समाज में ट्रिपल तलाक की प्रताड़ना सहनी ही नहीं पड़ती। इससे देश की 50% मुस्लिम आबादी को गरिमा से जीवन यापन और समानता का अधिकार मिला है। अगर हम ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने का कदम नहीं उठाते तो यह हमारे प्रगतिशील लोकतंत्र पर बहुत बड़ा धब्बा होता।
श्री शाह ने कहा कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ लड़ाई आज की नहीं है बल्कि कई मुस्लिम बहनों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सालों से संघर्ष जारी रखा है। ऐतिहासिक शाहबानो केस इस मामले में मील का पत्थर है जब इंदौर की रहने वाली शाहबानो को ट्रिपल तलाक दे दिया गया था तो उन्होंने मेंटिनेंस और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट में 23 अप्रैल 1985 को चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शाहबानो के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबको आशा थी कि अब सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी क्योंकि कोर्ट का आदेश है लेकिन सर्वाधिक बहुमत वाली कांग्रेस की राजीव गाँधी सरकार ने मुस्लिम सोच और वोट बैंक के दबाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त कर मुस्लिम महिलाओं को फिर से ट्रिपल तलाक के अभिशाप से जूझने के लिए छोड़ दिया। वास्तव में वह दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी निरस्त कर मुस्लिम महिलाओं से सम्मान के साथ जीने का भी अधिकार छीन लिया गया। यही नहीं, कांग्रेस पार्टी आज भी ट्रिपल तलाक के पक्ष में है, उन्हें इस पर कोई शर्म नहीं है। क्यों ट्रिपल तलाक रहना चाहिए, इसके पीछे उनके पास कोई तर्क नहीं है। जब हमारे क़ानून मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद इस विधेयक को लेकर संसद में आये तो उन्होंने संसद के पटल पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों से पूछा था कि आप बताएं ट्रिपल तलाक क्यों रहना चाहिए लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं था। केवल इसलिए विरोध दर्ज करा देना ताकि पने वोट बैंक को संभाल कर रखें, यह निहायत ही छोटी सोच है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने राजीव गाँधी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे आरिफ़ मोहम्मद ख़ान जी की तारीफ़ करते हुए कहा कि मैं आरिफ़ मोहम्मद ख़ान जी को दिल की गहराइयों से धन्यवाद करना चाहूंगा कि राजीव गांधी की सरकार में एक ऐसा बंदा था जिसने मुसलमान होने के बावजूद करोड़ों मुस्लिम महिलाओं और बहनों के अधिकार की रक्षा के लिए सत्ता का त्याग कर दिया। आज भी जब ट्रिपल तलाक का मामला आता है, आरिफ मोहम्मद खान जी ट्रिपल तलाक के विरोध में मुखर होकर बोलते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब ट्रिपल तलाक के समर्थन में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल खड़े हुए, उस वक्त पूरी दुनिया ने देख लिया कि लिबरल, सेक्युलर, वामपंथी और अपने आप को प्रोग्रेसिव कहने वाले लोग कैसे रूढ़िवादी लोगों से डरते हैं और रूढ़िवादियों का समर्थन करते हैं।
श्री शाह ने कहा कि शाहबानो प्रकरण के बाद भी यह लड़ाई लगातार चलती रही और अक्टूबर 2015 में एक और मुस्लिम बहन सायरा बानो को स्पीड पोस्ट से तलाक दे दिया। इसके खिलाफ सायरा बानो ने कोर्ट में केस किया। 2017 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और पांच जजों की संवैधानिक खंडपीठ ने 3-2 के बहुमत से ट्रिपल तलाक को गैर-इस्लामिक और गैर-संवैधानिक घोषित कर पुनः न्याय की जीत सुनिश्चित की। इस बार केंद्र में कांग्रेस की नहीं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और जन-जन के नेता श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री थे, उन्होंने तय किया कि हम इस कुप्रथा को हमेशा के लिए समाप्त कर देंगे। उसी वक्त कैबिनेट में प्रस्ताव लाया गया और ट्रिपल तलाक को हमेशा के लिए समाप्त करने का निर्णय लिया गया लेकिन इसका रास्ता इतना आसान नहीं था। इस प्रस्ताव की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट के पाँचों जजों ने बहुमत से यह कहा है कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 अर्थात् समानता के अधिकार का उल्लंघन है। दो जजों ने यह भी कहा कि यदि ट्रिपल तलाक कुरआन के तहत पाप है तो यह फिर संवैधानिक कैसे हो सकता है? हम इस विधेयक को लेकर लोक सभा में आये। लोक सभा में हमारा बहुमत होने के कारण यह पारित हो गया लेकिन राज्य सभा में कांग्रेस ने इसे पारित नहीं होने दिया। मोदी सरकार इसके बाद अध्यादेश लेकर आई और फिर इसे कानूनी मान्यता देने के लिए लोक सभा में बिल लाया गया। एक बार पुनः यह लोक सभा से पारित हो गया लेकिन कांग्रेस ने राज्य सभा में इसे फिर से लटका दिया। हम जब दोबारा चुनकर आए और श्री नरेन्द्र मोदी जी पुनः प्रधानमंत्री बने, तब हमने विधेयक को लोक सभा और राज्य सभा से पारित करके इस कुप्रथा का हमेशा के लिए अंत दिया। हमारा स्पष्ट मानना था कि हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करेंगे बल्कि करोड़ों मुस्लिम माताओं और बहनों को समानता का अधिकार मिलना चाहिए और इसके लिए ट्रिपल तलाक का खत्म होना आवश्यक है।
ट्रिपल तलाक के समर्थकों पर करारा प्रहार करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जब लोक सभा और राज्य सभा में ट्रिपल तलाक पर चर्चा हुई तो मैंने दोनों सदनों में विरोधियों की सभी खोखली दलीलें सुनीं और आज मैं उन सभी खोखले दलीलों का जवाब देने इस सभागार में आया हूँ।
श्री शाह ने कहा कि सबसे पहले ट्रिपल तलाक के समर्थकों की दलील थी कि सिविल लॉ को क्रिमिनल क्यों बनाया जा रहा है। असदुद्दीन ओवैसी तो दो कदम और आगे बढ़ गए और कहा कि मैरिज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अंदर एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट है तो फिर इसे क्रिमिनल पनिशमेंट में कैसे बदला जा सकता है? मैं उनको उदाहरण देना चाहता हूँ कि इससे पहले भी बहुत सारे सामाजिक सुधारों को लागू करने के लिए क्रिमिनल पनिशमेंट की व्यवस्था की गई है। इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिशें की गई, यह भी कहा गया कि बाकी समाजों में, हिन्दुओं के रीति-रिवाजों में सुधार क्यों नहीं होते? मैं कहना चाहता हूँ कि इस देश ने सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों को ख़त्म किया और किसी ने इसका विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है जिसके तहत विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल तय की गई है और यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो माता-पिता समेत शादी कराने वाले पंडित तक को भी 2 साल की जेल की सजा होती है। इतना ही नहीं, एक पत्नी रहते हुए दूसरी शादी करने पर 7 साल की सजा होती है। उन्होंने कहा कि समाज जीवन के साथ-साथ कुछ कुप्रथा रीति-रिवाजों के अंग बन जाते हैं तो क्या उसे नहीं बदला जाएगा? उन्होंने समाज को सावधान करते हुए कहा कि यदि समय के साथ समाज नहीं बदलता है तो वह समाज कभी प्रगतिशील नहीं हो सकता। कुप्रथाओं का अंत होना ही चाहिए। दहेज के ख्लिआफ़ क़ानून 1961 में लाया गया, इसके तहत दहेज़ लेने वाले और देने वाले, दोनों को 5 साल की सजा होती है, साथ ही केवल दहेज की डिमांड करने वालों को भी 2 साल की सजा होती है जिसे बाद में गैर जमानती और non-compoundable भी बनाया गया। क्रिश्चियन, सिख हिंदू - सभी समाज में कानूनों के अंदर सुधार के लिए सजा को समाहित किया गया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि ट्रिपल तलाक के समर्थक एक तथ्य यह भी रखते हैं कि ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी घोषित करने के बावजूद ट्रिपल तलाक हो रहे हैं तो फिर सजा का क्या मतलब? मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूँ कि चोरी और हत्या के अपराध पर भी कठोर सजा का प्रावधान है लेकिन इसके बावजूद ये अपराध बंद नहीं हो रहे तो क्या हम सजा के प्रावधान को ही ख़त्म कर दें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक में सजा का प्रावधान शिक्षात्मक नहीं, शिक्षणात्मक है और इससे गलत कार्य करने के प्रति एक डर बना रहता है। उन्होंने कहा कि सजा का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि शादी बची रहे, टूटे नहीं। अब सवाल आता है कि जेल में पति चला जाएगा तो महिलाओं का मेंटेनेंस कौन देगा? मुझे तो गुलाम नबी आजाद साहब की इस दलील पर हंसी आती है कि एक मुस्लिम होते हुए भी उन्हें मालूम ही नहीं है कि ट्रिपल तलाक में मेंटेनेंस का प्रोविजन ही नहीं है लेकिन मेंटेनेंस तो अब देना पड़ेगा क्योंकि ट्रिपल तलाक वैलिड है ही नहीं। एक सवाल यह भी उठाया गया कि पति जेल चला जाएगा तो बच्चों की परवरिश कैसे होगी? मैं पूछना चाहता हूँ - जब स्पीड पोस्ट से आप तलाक दे देते हो, रोटी जल जाने के कारण घर से पत्नी को निकाल देते हो, पत्नी के मोटी होने का भद्दा और बेहूदा कारण देकर जब आप अपनी धर्मपत्नी को ट्रिपल तलाक दे देते हो, तब बच्चों का होता है और आज जब ट्रिपल तलाक को खत्म करने का विधेयक आता है तो आपको बच्चों को याद आ जाती है? मैं ट्रिपल तलाक के सभी समर्थकों को बताना चाहता हूं कि ट्रिपल तलाक के ख़त्म करने का क़ानून बनने के बाद बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी, उनको इसका मेंटेनेंस करना पड़ेगा। इस क़ानून के दुरूपयोग की बात आई तो मैं इतना कहना चाहता हूँ कि क़ानून में हमने ऐसा प्रावधान किया है कि या तो पीड़ित महिला केस कर सकती है या तो उसके ब्लड रिलेशन के लोग ही केस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जब तक महिला की सुनवाई कोर्ट में नहीं होगी, तब तक ट्रिपल तलाक देने वाले को जमानत नहीं मिलेगी। वास्तव में ट्रिपल तलाक का समर्थन करने वालों को ना तो मुस्लिम महिलाओं की चिंता है, ना मुस्लिम महिला के बच्चों की चिंता है, उन्हें तो केवल और केवल अपने वोट बैंक की चिंता है, इसलिए ऐसे लोग ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने वाले कानून का विरोध कर रहे हैं।
श्री शाह ने कहा कि ट्रिपल तलाक का समर्थन कर रहे सभी सांसदों से मैंने संसद के कॉरीडोर में कहा था कि आप एक बार ओपन फोरम में मीडिया के सामने चर्चा के लिए आइये लेकिन उनकी दिलचस्पी तो राजनीतिक रोटियाँ सेंकने में है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण करने का महती कार्य किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद और संसद द्वारा कानून बनने के बीच लगभग 345 महिलाओं ने ट्रिपल तलाक की कंप्लेंट दी थी हालांकि बहुत सारे केस रजिस्टर ही नहीं हो पाते। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम की एक एनजीओ द्वारा 2015 में एक सर्वे किया गया था जिससे यह तथ्य सामने आया कि लगभग 92.1% महिलाएं ट्रिपल तलाक से मुक्ति चाहती है। मुझे इस बात की संतुष्टि है कि इस पवित्र कार्य के लिए मेरा भी एक वोट काम आया है। इस क़ानून के पारित होने में मेरा भी एक वोट शामिल है, इस बात का मुझे गौरव है।
गृह मंत्री ने कहा कि इस देश की राजनीति में जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण के तीन अभिशापों ने हमारे महान लोकतंत्र के पूरा शंकाओं का वातावरण बना दिया था लेकिन हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक सुधारक के नाते जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को समाप्त करने का काम किया है। 2018 में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री जी ने कहा था - “मैं मुस्लिम बहनों और बेटियों को भरोसा देता हूं कि उनके अधिकारों को हम सुरक्षित रखें। सरकार उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मैं भरोसा देता हूं। मैं उनकी आकांक्षाओं को पूर्ण करूंगा और ट्रिपल तलाक को समाप्त करूंगा।” जो वादा प्रधानमंत्री जी ने 2018 में लाल किले की प्राचीर से किया था, आज वह ऐतिहासिक सुधार के रूप में सामने आया है।
श्री शाह ने देश के महान समाज सुधारकों राजा राममोहन राय, ज्योतिबा फूले, महात्मा गांधी, वीर सावरकर और वीर नर्मद के सुधार कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि कई सारे समाज सुधारकों ने अपने शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण समाज के बदलाव के लिए समर्पित करते हुए नई दिशा दिखाई है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नाम भी इन समाज सुधारकों की सूची में आयेगा और देश की जनता उन्हें एक महान समाज सुधारक के रूप में याद करेगी। उन्होंने कहा कि यह यात्रा यहाँ रुकनी नहीं चाहिए। यह देश जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण के आधार पर नहीं बल्कि क्षमताओं के आधार पर चलनी चाहिए। जिसमें क्षमता है, उसे मंच मिलना चाहिए, उसे देश के लिए काम करने का मौका मिलना चाहिए। जो पीड़ित हैं, जिनके अधिकारों का हनन होता हो चाहे वे किसी भी जाति अथवा धर्म के क्यों न हो, उनके अधिकारों का संरक्षण हमारे संविधान के तहत होना चाहिए। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने संविधान के तहत करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों के अधिकार का संरक्षण किया है, इसलिए मैं इस मंच से प्रधानमंत्री जी को लाख-लाख बधाइयाँ और साधुवाद देना चाहता हूं। उन्होंने दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ बिना धैर्य खोए हुए बिल को पारित कराया और कानून में परिवर्तित करके मुस्लिम महिलाओं को समानता का अधिकार दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देश के नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा कि आपका एक वोट देश का भविष्य बनाता है, अतः किसी भावावेश आये बिना वोट उसी पार्टी को दें, उसी नेता को दें, उसी नेतृत्व को दें जो देश को एक प्रगतिशील रास्ते पर अग्रसर करे और जो देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित करने की क्षमता रखता हो। इतने सालों तक देश के करोड़ो मुस्लिम-माताओं बहनों को जो तकलीफ सहनी पड़ी, एक नागरिक के नाते मैं उनसे क्षमा माँगता हूँ और उन्हें इस बात की बधाई भी देता हों कि आपका आगे का जीवन सुखद रहने वाला है क्योंकि आपको भी अधिकार है अपने अस्तित्व की रक्षा करने का, अपनी पहचान कायम करने का और अन्याय के सामने खड़े होकर बच्चों के भविष्य के लिए संघर्ष करने का और यह अधिकार आपको द मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 ने दिया है।