UNION HOME MINISTER SHRI AMIT SHAH AWARDS RAJBHASHA GAURAV PURASKAR AND RAJBHASHA KIRTI PURASKAR ON OCCASION OF HINDI DIVAS SAMAROH 2019

Press, Share | Sep 14, 2019

14 September 2019

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने हिंदी दिवस समारोह 2019 के अवसर पर राजभाषा कीर्ति तथा राजभाषा गौरव पुरस्‍कार प्रदान किए केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा अनेक भाषा और बोलियां हमारी ताकत किंतु देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सब लोग समझते हों गुलामी के कालखंड से लंबे समय तक लघुताग्रंथी पनपती रही परंतु पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने यूएन में हिंदी में भाषण देकर हिंदी भाषा को गौरव प्रदान किया - केंद्रीय गृह मंत्री देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी डकें की चोट पर वैश्विक मंच पर भी हिंदी में भाषण देते हैं - श्री अमित शाह श्री अमित शाह ने कहा कि संविधान सभा में देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्‍व था और उनका वह निर्णय आज भी एकता और अखंडता को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है भाषा ही व्यक्ति को अपने देश, संस्कृति और मूल के साथ जोड़ती है – केंद्रीय गृह मंत्री हिंदी दिवस का कार्यक्रम सभागारों का नहीं बल्कि जनता का कार्यक्रम होना चाहिए – श्री अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने हिंदी दिवस 2019 के अवसर पर विज्ञान भवन में बोलते हुए कहा कि संविधान निर्माता जब राजभाषा को आकार दे रहे थे तब कई तरह के मत-मतांतर थे लेकिन विभिन्‍न भाषाओं और संस्कृतियों को देखकर, समझकर तथा उस समय की स्थिति का आकलन, अवलोकन और चिंतन कर, संविधान निर्माता एकमत पर पहुंचे और हिंदी को संविधान सभा ने राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। श्री शाह ने कहा कि संविधान सभा में देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्‍व था और उनका वह निर्णय आज भी एकता और अखंडता को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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श्री अमित शाह का कहना था कि भाषा की समृद्धि का वरदान सबसे ज्यादा भारत को प्राप्‍त है। देश में लगभग 122 भाषाएं और 19500 से अधिक बोलियां शामिल हैं जिनका समृद्ध इतिहास है। श्री शाह ने कहा कि भारत की भाषा सबसे समृद्ध है और हमें गुलामी के कालखंड के भाव को छोड़ना होगा। बच्चों से अपनी भाषा में बात करनी होगी। उनका कहना था कि भाषा तभी जीवित रहती है जब समाज उसका उपयोग करता है इसलिए हमें नई पीढ़ी को अपनी भाषा के साथ जोड़ कर गौरवान्वित महसूस कराना होगा।
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श्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया के कई देश अपनी भाषा छोड़ चुके हैं और वह देश अपना अस्तित्व भी खो चुके हैं। उनका कहना था कि भाषा ही व्यक्ति को अपने देश, संस्कृति और मूल के साथ जोड़ती है। श्री शाह का कहना था कि आज आत्म चिंतन और आत्मावलोकन की जरूरत है। उनका कहना था कि बुद्धि, ज्ञान और मेधा ही संस्कृति की रचना करते हैं इसलिए आवश्‍यक है कि हमें इस दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। श्री शाह का यह भी कहना था कि अगर भाषा और बोलियां खोते हैं तो विचार प्रवाह से भी कटाव हो जाता है।
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श्री अमित शाह ने कहा कि अनेक भाषा और बोलियां हमारी ताकत है किंतु देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सब लोग समझते हों। देश में हिंदी भाषा को प्रचारित, प्रसारित तथा लगातार संशोधित करना और उसके साहित्य को लगातार समृद्ध करना हमारा राष्ट्रीय दायित्व है। श्री शाह ने कहा कि यह कार्यक्रम सभागारों का नहीं बल्कि जनता का कार्यक्रम होना चाहिए । उनका कहना था कि हिंदी के आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाना होगा। श्री अमित शाह ने कहा कि अगले वर्ष हिंदी दिवस का कार्यक्रम राजधानी के बाहर सार्वजनिक स्‍थान पर केवल एक दिन का नहीं बल्कि सप्ताह भर मनाया जाए।
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श्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के आंदोलन में स्‍वतंत्रता सेनालियों ने हिंदी को ताकत दी। आचार्य विनोबा भावे को याद करते हुए श्री शाह ने कहा कि विश्व की सभी भाषाओं का सम्मान करते हुए आचार्य विनोबा भावे ने हिंदी को प्रबल समर्थक के रूप में सहयोग दिया। श्री शाह ने कहा कि महात्मा गांधी, राम मनोहर लोहिया, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि कई विद्वानों ने हिंदी का प्रचार-प्रसार किया। उनका कहना था कि शासन की भाषा वह होनी चाहिए जो लोकजन की भाषा हो।
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श्री अमित शाह ने कहा कि गुलामी के कालखंड से लंबे समय तक लघुताग्रंथी पनपती रही परंतु पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने यूएन में हिंदी में भाषण देकर हिंदी भाषा को गौरव प्रदान किया। उन्होंने कहा कि श्रीमती सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी समाचार बुलेटिन शुरू करवाया तथा हिंदी टि्वटर अकाउंट खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री शाह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी डकें की चोट पर वैश्विक मंच पर भी हिंदी में भाषण देते हैं और दाहोश में अंग्रेजी के अलावा अपने देश की भाषा में बोलने वाले पहले राष्‍ट्राध्‍यक्ष हैं। श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व को समझाया कि भारत में अर्थव्यवस्था के साथ संस्कृति का चिंतन मूल है।
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श्री अमित शाह का कहना था कि उत्तर-पूर्व काउंसिल में यह जानकर प्रसन्नता हुई कि वहां के बच्चे हिंदी सीखना चाहते हैं। श्री शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों से उसे सुनिश्चित किया जाएगा। उन्‍होंने शिक्षाविदों को हिंदी के प्रयोग संबंधी प्रतियोगिताएं रखने को कहा। श्री शाह का कहना था कि कानून, विज्ञान तथा औषधि के क्षेत्र में अभी बहुत काम बाकी है लेकिन हम यहां तक आ गए हैं तो आगे की लड़ाई भी जीतेंगे। श्री अमित शाह ने कहा कि 2024 तक हिंदी एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी और हिंदी को बढ़ाने का मतलब कभी यह नहीं है कि दूसरी भाषा की उपेक्षा हो। उनका कहना था कि सभी भाषाओं को साथ रखते हुए हिंदी को सर्व-स्वीकृत भाषा बनाया जाएगा।
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कार्यक्रम में बोलते हुए गृह राज्‍य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने कहा कि भाषा किसी भी राष्ट्र की पहचान होती है और भाषा वह परिधान है जिसमें हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। उनका कहना था कि हिंदी अधिकांश देशवासियों की अभिलाषाओं की अभिव्यक्ति है और अपनी व्यापकता और लोकप्रियता के कारण हिंदी लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। श्री नित्‍यानंद ने कहा कि संविधान ने हम सब पर हिंदी के विकास और प्रचार-प्रसार का दायित्व सौंपा है। देश के एक कोने से दूसरे कोने तक सामंजस्‍य बिठाने में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है तथा प्रांतीय भाषाओं के साथ हिंदी का विकास करना समय की आवश्यकता है।
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इस मौके पर बोलते हुए गृह राज्‍य मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि मेरी मातृभाषा तेलुगु है लेकिन हिंदी से भी उतना ही प्रेम है। उनका कहना था कि सरकार का प्रयास मातृभाषा और राजभाषा का साथ-साथ विकास करना है। श्री रेड्डी का कहना था कि हिंदी शुरू से ही देश के अलग-अलग प्रांतों में बोली जा रही है और हिंदी राष्ट्र की पहचान होने के साथ-साथ हमारा स्वाभिमान भी है। श्री रेड्डी का कहना था कि हमारी पहचान अनेकता में एकता है तथा दक्षिण भारतीयों ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में सदैव महत्‍वपूर्ण कार्य किए है। उनका यह भी कहना था कि आज विदेशी कंपनियां व्यापार बढ़ाने के लिए हिंदी भाषा का सहारा ले रही हैं।
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कार्यक्रम में सचिव, राजभाषा श्रीमती अनुराधा मित्रा ने कहा कि हमारा देश अनेक भाषाओं और विविध संस्कृतियों का देश है और हिंदी सभी भाषाओं के साथ आगे बढ रही है। राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव श्री जय प्रकाश अग्रवाल का कहना था कि हिंदी सरल तथा वैज्ञानिक भाषा है और मन के संकोच को हटाकर ज्‍यादा से ज्‍यादा हिंदी का प्रयोग करने की आवश्‍यकता है। उनका यह भी कहना था कि इससे देश के विकास को ग‍ति मिलेगी। कार्यक्रम में संसदीय समिति के सदस्‍यों सहित बडी संख्‍या में केंद्र सरकार/मत्रालयों/विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारी तथा हिंदी प्रेमी उपस्थित रहे।
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