Union Home Minister and Minister of Cooperation Shri Amit Shah addresses a program organized on the occasion of 'Samvidhan Hatya Diwas' in New Delhi as the Chief Guest

Press | Jun 25, 2025

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया


भविष्य में कभी भी कोई व्यक्ति अपनी तानाशाही सोच को इस देश के संविधान पर न थोप सके, इसलिए आपातकाल के दिन को याद रखना बहुत जरुरी

तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सिर्फ इतना बोलकर कि 'राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है...' पूरे संविधान की स्पिरिट को खत्म कर दिया

आपातकाल का स्मरण केवल इतिहास नहीं, चेतावनी है

आपातकाल में देश जेलखाना बना, देश की आत्मा को गूंगा, न्यायालय को बहरा बना दिया गया और लिखने वालों की कलम से स्याही निकाल ली गयी

पूरी दुनिया जानती है कि राष्ट्र की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री की कुर्सी खतरे में थी, इसलिए आपातकाल लगाया गया

आपातकाल के समय हुई Detention, Sterilisation और Demolition की घटनाओं ने पूरे देश में भय का ऐसा वातावरण कायम बनाया, जिसका उदाहरण कहीं और नहीं मिलता

आपातकाल के समय पनपे ‘राष्ट्र से बड़ी पार्टी, पार्टी से बड़ा परिवार, परिवार से बड़ा मैं और देशहित से बड़ी सत्ता’ के विचार से उलट मोदी जी के नेतृत्व में आज ‘राष्ट्र प्रथम’ की सोच जनमानस में गूंज रही है

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सूचना और प्रसारण, रेल तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा किऐसा कहते हैं कुछ बुरी घटनाओं को जीवन से भूला देना चाहिए। वह सही भी है, लेकिन जब बात सामाजिक जीवन और राष्ट्रजीवन की हो, तब बुरी घटनाओं को चिरकाल तक याद रखना चाहिए, ताकि देश का युवा और किशोर संस्कारित, संगठित और संघर्षरत हो और उन घटनाओं को फिर कभी दोहराया न जा सके। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय किया और केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी की। जिस प्रकार से आपातकाल में देश को जेलखाना बनाकर रख दिया गया था, देश की आत्मा को गूंगा कर दिया गया था, न्यायालय के कान बहरे कर दिए गए थे और लिखने वालों की कलम से स्याही निकाल दी गई थी, उन बातों को ध्यान में रख कर और सोच-विचार कर आज का दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय किया गया। इससे युवा पीढ़ी में आपातकाल के समय घटी घटनाओं के बारे में जागरूकता आएगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 24 जून 1975 की रात को आपातकाल लागू कर दिया गया और तानाशाह की सोच जमीन पर उतारने का अध्यादेश अस्तित्व में आया। बाबा साहेब आंबेडकर और अन्य संविधान निर्माताओं ने 2 लाख 66 हजार शब्द बोलकर, चर्चा करके जिस संविधान का निर्माण किया था, उन सारी चर्चाओं का अंत कर तत्कालीन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने आज के दिन आपातकाल की घोषणा की थी। एक वाक्य के जरिए संविधान की स्पिरिट खत्म करने का काम किया। उन्होंने कहा कि 12 जून 1975 को दो घटनाएं एक साथ हुई - इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री के चुनाव को खारिज कर दिया और उनके चुनाव लड़ने पर 6 साल तक की रोक लगा दी। पूरे देश में सन्नाटा छा गया और सुप्रीम कोर्ट से उस आदेश पर स्टे मिल गया। साथ ही, 12 जून को ही गुजरात में जनता मोर्चा का प्रयोग सफल हुआ और गुजरात में विपक्षी पार्टी की सत्ता का अंत होकर जनता पार्टी की सरकार बनी। इससे घबराकर 25 जून को आपातकाल लगाया गया। श्री शाह ने कहा कि कारण तो यह बताया गया कि राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में है, परन्तु पूरी दुनिया अब जानती है उनकी कुर्सी खतरे में थी।

श्री अमित शाह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण की ‘सम्पूर्ण क्रांति’ के नारे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। गुजरात से शुरू हुआ आंदोलन बिहार तक पहुंचा था। गुजरात में सरकार गिरी, चुनाव हुए और तत्कालीन सरकार सत्ता से बाहर हुई। फिर सभी विपक्षी पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी की सरकार बनाई, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री के लिए बहुत बड़ी चेतावनी थी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इमरजेंसी लागू कर स्टे देने वाली कोर्ट को चुप कर दिया, अखबारों को भी चुप कर दिया, आकाशवाणी को भी चुप किया और 1 लाख 10 हजार सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल की कालकोठरी में बंद कर दिया। सुबह चार बजे कैबिनेट बुलाई, कोई एजेंडा सर्कुलेट नहीं हुआ और इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई। शाह कमीशन ने आपातकाल के समय हुई घटनाओं की पूरी जांच के बाद कहा कि Detention (हिरासत), Sterilisation (नसबंदी) और Demolition (तोड़फोड़) की घटनाओं ने पूरे देश में भय का ऐसा वातावरण कायम कर दिया था, जिसका उदाहरण कहीं और नहीं मिलता। अखबारों के दफ्तर बंद कर दिए गए, 253 पत्रकार गिरफ्तार किए गए, 29 विदेशी पत्रकारों को देश के बाहर भेज दिया गया और कई अखबारों ने संपादकीय की जगह को खाली रखकर आपातकाल का विरोध किया। इनमें इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता प्रमुख था। उनकी बिजली काट दी गई, संसदीय कार्यवाही पर सेंसर लगा दिया गया, न्यायालयों को भी एक प्रकार ने नियंत्रित कर लिया गया और देशभर में लोकतांत्रिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे।

श्री अमित शाह ने कहा कि न्यायपालिका में सरकार के खिलाफ फैसले देने वाले जजों को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने से रोका गया। गायक किशोर कुमार और अभिनेता मनोज कुमार की फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अभिनेता देव आनंद को दूरदर्शन पर प्रतिबंधित किया गया, ‘आंधी’ फिल्म और ‘किस्सा कुर्सी का’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल के बाद हुए चुनाव में देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत से बनी। भविष्य में कोई भी व्यक्ति तानाशाही सोच को इस देश के संविधान पर थोप न दे, इसलिए इस दिन को याद रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय विचार पनपा था कि राष्ट्र से बड़ी पार्टी है, पार्टी से बड़ा परिवार है, परिवार से बड़ा मैं हूं और देशहित से बड़ी सत्ता है। उसके उलट आज मोदी जी के नेतृत्व में ‘राष्ट्र प्रथम’ की सोच पूरी जनता के जनमानस में गूंज रही है। यह परिवर्तन उन हजारों लोकतंत्र के योद्धाओं के संघर्ष के कारण संभव हुआ है, जिन्होंने 19 महीने जेल में बिताए। आज 140 करोड़ की आबादी मोदी जी के नेतृत्व में 2047 में पूरी दुनिया में भारत को हर क्षेत्र में प्रथम बनाने के लिए संघर्ष कर रही है और इस लक्ष्य के प्रति संकल्पित होकर आगे बढ़ रही है।


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