Union Home and Cooperation Minister Shri Amit Shah introduces the Constitution (One Hundred and Thirtieth Amendment) Bill, 2025, the Union Territories (Amendment) Bill, 2025, and the Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2025 in the Lok Sabha

Press | Aug 20, 2025

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोक सभा में भारतीय संविधान (एक सौ तीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया


देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और जनता के आक्रोश को देख कर लाया गया संवैधानिक संशोधन बिल

महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद, जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री जेल में रहते हुए सरकार नहीं चला सकेंगे

इस बिल का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरते जा रहे नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है

विगत कुछ वर्षों में, देश में ऐसी आश्चर्यजनक स्थिति उत्पन्न हुई कि मुख्यमंत्री या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से अनैतिक रूप से सरकार चलाते रहे

देश की जनता को यह तय करना है कि क्या जेल में रहकर किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री द्वारा सरकार चलाना उचित है?

एक ओर मोदी जी ने अपने आप को कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया है और दूसरी ओर कानून के दायरे से बाहर रहने और जेल से सरकारें चलाने के लिए पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया

मुख्य विपक्षी दल की नीति है कि वे संविधान संशोधन कर प्रधानमंत्री को कानून से ऊपर करते हैं, जबकि हमारी पार्टी प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्रियों को ही कानून के दायरे में ला रही है

भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए विपक्षी गठबंधन ने जिस भद्दे व्यवहार से इस बिल का विरोध किया, उससे विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से expose हो गया है


केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोक सभा में भारतीय संविधान (एक सौ तीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने ‘X’ पर सिलसिलेवार पोस्ट्स में कहा कि देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और जनता के आक्रोश को देख कर आज मैंने संसद में लोकसभा अध्यक्ष जी की सहमति से संवैधानिक संशोधन बिल पेश किया, जिससे महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद, जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री जेल में रहते हुए सरकार न चला पाएँ। इन्होंने कहा कि इस बिल का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरते जा रहे नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है ।

श्री अमित शाह ने कहा कि इन तीनों बिल से जो कानून अस्तित्व में आएगा, वह यह है कि:

  1. कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है।
  2. संविधान जब बना, तब हमारे संविधान निर्माताओं ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे राजनीतिक व्यक्ति भी आएँगे, जो अरेस्ट होने से पहले नैतिक मूल्यों पर इस्तीफा नहीं देंगे। विगत कुछ वर्षों में, देश में ऐसी आश्चर्यजनक स्थिति उत्पन्न हुई कि मुख्यमंत्री या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से अनैतिक रूप से सरकार चलाते रहे।
  3. इस बिल में आरोपित राजनेता को गिरफ़्तारी के 30 दिन के अंदर अदालत से जमानत लेने का प्रावधान भी दिया गया है। अगर वे 30 दिन में जमानत प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो 31वें दिन या तो केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री उन्हें पदों से हटाएँगे, अन्यथा वे स्वयं ही कानूनी रूप से कार्य करने के लिए अयोग्य हो जाएँगे। क़ानूनी प्रक्रिया के बाद ऐसे नेता को यदि जमानत मिलेगी, तब वे अपने पद पर पुनः आसीन हो सकते हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अब देश की जनता को यह तय करना पड़ेगा कि क्या जेल में रहकर किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री द्वारा सरकार चलाना उचित है? उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने आप को कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया है और दूसरी ओर कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से सरकारें चलाने और कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए मुख्य विपक्षी दल के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि देश को वह समय भी याद है, जब इसी महान सदन में आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संविधान संशोधन संख्या-39 से प्रधानमंत्री को ऐसा विशेषाधिकार दिया कि प्रधानमंत्री के विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती थी। एक तरफ यह मुख्य विपक्षी दल की कार्य संस्कृति और उनकी नीति है कि वे प्रधानमंत्री को संविधान संशोधन करके कानून से ऊपर करते हैं। जबकि, दूसरी तरफ हमारी पार्टी की नीति है कि हम अपनी सरकार के प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्रियों को ही कानून के दायरे में ला रहे हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज सदन में मुख्य विपक्षी दल के एक नेता ने मेरे बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी भी की, कि जब मुख्य विपक्षी दल ने मुझे पूरी तरह से फर्जी केस में फँसाया और गिरफ़्तार कराया, तब मैंने इस्तीफा नहीं दिया। मैं मुख्य विपक्षी दल को याद दिलाना चाहता हूँ कि मैंने अरेस्ट होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था। मेरे ऊपर लगाए गए फर्जी केस को अदालत ने यह कहते हुए ख़ारिज किया कि केस political vendetta से प्रेरित है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हमारी पार्टी और NDA हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले से स्पष्ट था कि यह बिल पार्लियामेंट की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के समक्ष रखा जाएगा, जहाँ इस पर गहन चर्चा होगी, फिर भी सभी प्रकार की शर्म और हया छोड़कर, भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए विपक्षी गठबंधन ने जिस भद्दे व्यवहार से इस बिल का विरोध किया, उससे विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से expose हो गया है।

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