बूथ कार्यकर्ता से केंद्रीय गृह मंत्री तक का सफर
भाजपा की ऐहासिक यात्रा में पार्टी के द्वारा अपने वफादार और मेहनती कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने की परंपरा रही है। अपने जीवन के चार दशक तक पार्टी की सेवा के लिए समर्पित रहने वाले अमित शाह के रूप में भाजपा को एक लगनशील और गंभीरता से उत्तरदायित्त्व निर्वहण करने वाला कार्यकर्ता मिला है । गुजरात के शुष्क मैदानी इलाकों में बूथ कार्यकर्ता से केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में सत्ता के सर्वोच्च पद तक पहुँचने तक का उनका शानदार सफर अपने आप में प्रेरणादायी है। उनकी यात्रा पार्टी और उसकी विचारधारा के लिए इच्छुक, समर्पित एवं अथक रूप से सेवा की यात्रा है ।
सेवा के पथ पर उनकी यात्रा 13 साल की अल्पायु से ही शुरू हो गई थी । यह 1977 का साल था, एक ऐसा समय जब भारत की राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही थी । समूचे देश में कांग्रेस विरोधी भावना शक्तिशाली रूप में पैदा हो रही थी। इस अस्थिर समय के दौरान, युवा अमित शाह को जनसंघ के उम्मीदवार और सरदार वल्लभ भाई पटेल की बेटी मणिबेन पटेल का पोस्टर और स्टिकर लगाते हुए एक गली से दूसरी गली में भागते हुए देखा जा सकता था । उनके भीतर राष्ट्रभक्ति एवं स्वाभिमान की ज्वाला को देख आरएसएस ने उन्हें अपने छत्रछाया में ले लिया । आरएसएस में ही अमित शाह जी की अपने मार्गदर्शक श्री नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात हुई, जिन्होंने संघ के तपस्वी स्वयंसेवक के रूप में राष्ट्र निर्माण के लिए नि:स्वार्थ सेवा का चुनौतीपूर्ण मार्ग चुना था।
उस समय तक गुजरात में राम जन्मभूमि आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था। पार्टी के गुजरात के अहमदाबाद शहर के प्रभारी के रूप में, उन्होंने एकता यात्रा और आगामी आंदोलन के समर्थन के लिए विशाल जनसमूह तैयार करने का कार्य किया । इस आंदोलन की सफलता के बाद, श्री अमित शाह को पार्टी द्वारा अहमदाबाद निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के चुनाव अभियान का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई । इस उत्तरदायित्त्व को उन्होंने 2009 तक पूरी निष्ठा से निभाई थी । जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने गाँधीनगर निर्वाचन-क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, तब श्री अमित शाह उनके चुनाव प्रबंधक भी थे ।
पार्टी के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता और निरंतर काम करते रहने की भावना के कारण, अमित शाह जी की विकास-यात्रा अहमदाबाद शहर भाजपा के सचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और भाजपा के गुजरात राज्य के सचिव जैसे पदों को सुशोभित करते हुए अनवरत जारी रही । इसी श्रृंखला में उन्हें वर्ष 1999 में गुजरात भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया ।
श्री शाह चुनावी राजनीति एवं सामाजिक जीवन के समानांतर पथ पर चले । 1997 से 2017 तक विधायक के रूप में एक के बाद एक चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की । साल 2017 में वे गुजरात से राज्यसभा के सदस्य के रूप में एवं कालांतर में 2019 में अपने गृह राज्य के गाँधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में, एक दिग्गज प्रशासक के रूप में श्री अमित शाह जी ने गृह, परिवहन, मद्य-निषेध, संसदीय कार्य, कानून और आबकारी मंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी कार्यकुशलता से जनता एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं के दिल में अमिट जगह बनाई ।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री अमित शाह जी ने दो मृतप्राय सहकारी बैंकों के पुनरुद्धार का भी बीड़ा उठाया। उनकी अध्यक्षता के दौरान, गुजरात राज्य वित्तीय निगम का मुनाफा 214% बढ़ गया, और निगम ने सफलतापूर्वक अपना आईपीओ भी लॉन्च किया ।
श्री अमित शाह जी अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट एसोसिएशन, गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन और गुजरात चेस एसोसिएशन के भी प्रमुख रह चुके हैं । तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सलाह से उन्होंने अहमदाबाद के स्कूलों में शतरंज की भी शुरुआत की, ताकि बच्चों का बौद्धिक-विकास सुनिश्चित हो सके ।
2014 के लोकसभा चुनावों से एक साल पहले, श्री शाह के कार्यकारी प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में चुना गया और उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। जनता के बीच प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी जी की बढ़ती लोकप्रियता और श्री शाह के द्वारा राजनीतिक विषयों को कुशलता से संभालने के कारण, पार्टी ने राज्य में 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भाजपा की राष्ट्रव्यापी जीत में निर्णायक योगदान दिया । 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत में उनके योगदान को सम्मान देते हुए, उन्हें उसी वर्ष पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। 2016 में उसी पद पर फिर से चुने जाने के बाद, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और श्री अमित शाह जी के कौशल एवं मेहनत ने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए एक और शानदार जीत सुनिश्चित की।
केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, श्री अमित शाह जी ने मंत्रालय के पारंपरिक कामकाज के तरीकों में आवश्यक बदलाव लाया और भारत के लंबे समय से तीन अस्थिर क्षेत्रों - जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित की । इतना ही नहीं, मद्य-निषेध के क्षेत्र में उनके नव-प्रयासों की कारण, उनके कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में ही भारत में ड्रग्स की जब्ती और ड्रग्स-व्यापारियों की गिरफ्तारी में कई गुना वृद्धि देखी गई है ।
25 वर्षो से जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद (राज्यसभा) और सांसद (लोकसभा) के रूप में जनसेवा के अनूठे प्रयास
छ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नेता बनते नहीं बल्कि पैदा होते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वे उन परिस्थितियों की मजबूत एवं रचनात्मक प्रस्तुति होते हैं, जिनमें जनचेतना निर्माण और जन समस्याएँ समाधान पाती हैं । श्री अमित शाह एक ऐसे नेता हैं, जिन्हें जनता द्वारा नैसर्गिक रूप में नेता के रूप में स्वीकार एवं सम्मानित किया गया है। यही एक कारण है कि वे कभी चुनाव नहीं हारे हैं । भाजपा के उम्मीदवार के रूप में अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों से ही जनता के दिलों में जगह बनाते रहने के कारण शानदार जीत हासिल करना उनकी परंपरा रही है । वे अक्सर पिछले चुनावों की तुलना में अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीतकर राजनीतिक पंडितों को हैरान होने पर विवश कर देते हैं।
वास्तव में श्री शाह को आम जनता का प्रतिनिधि बनाने में लोगों के साथ उनके आत्मीय संबंध और उनकी समस्याओं को समझने की व्यावहारिक क्षमता प्रमुख कारक हैं । जन प्रतिनिधि के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति उनके गंभीर दृष्टिकोण के कारण जनता के साथ उनके सहज और विश्वसनीय संबंध विकसित होते गए हैं । श्री शाह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति जनचेतना और विकास कार्यों को तब से बढ़ावा देना शुरू कर दिया था, जब आम तौर पर पर्यावरण संरक्षण की बातें चर्चा के विषय नहीं हुआ करते थे । विकास के आम कार्यों के अलावा अपने चुनावी-क्षेत्र में श्मशान-घाट का निर्माण और वहाँ प्रभावी जल निकास प्रणाली की व्यवस्था जैसे उनके कार्य दिखाते हैं कि श्री शाह जनता की छोटी से छोटी जरूरतों पर भी नजर रखते हैं ।
चुनावी राजनीति में उनकी यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद के नारनपुरा वार्ड में बूथ प्रबंधक के रूप में हुई थी। वर्ष 1997 में उन्हें चुनावी राजनीति में कदम रखने का पहला अवसर मिला। उन्हें गुजरात के सरखेज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया । उन्होंने 24,689 मतों के अंतर से इस चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद श्री शाह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा एवं प्रत्येक चुनावों में उन्होंने बड़ी संख्या में जनमत हासिल करते हुए जीत हासिल की। उनके दूसरे चुनाव में जीत का अंतर बढ़कर 1,32,477 हो गया, जो उनकी पहली जीत से पाँच गुना अधिक था। उन्होंने क्रमशः 288,327 और 232,823 वोटों के रिकॉर्ड अंतर के साथ अपना तीसरा और चौथा चुनाव जीता। कालांतर में चुनावी जनक्षेत्रों के परिसीमन के बाद उनका निर्वाचन क्षेत्र नारनपुरा हो गया। भले ही यहाँ मतदाताओं की संख्या उनके पिछले निर्वाचन क्षेत्र की एक चौथाई थी, लेकिन उन्होंने 63,235 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में गाँधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से 5.57 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी बनाया है।
आठ वर्षों तक गुजरात में मंत्री के रूप में परिवर्तन के वाहक और अब मोदी सरकार में गृह एवं सहकारिता मंत्री के रूप में कर्तव्य पूर्ति का काम जारी
एक शब्द, जो श्री अमित शाह के राजनीतिक व्यक्तित्व का उचित वर्णन करता है तो वह है- परिवर्तक । प्रस्तुत समस्याओं का सहज रहते हुए प्रतिरोधी तरीके से सामना करने की उनकी संज्ञानात्मक पद्धति उन्हें इस उपाधि का सबसे योग्य व्यक्ति बनाता है ।
कश्मीर में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का रास्ता चुना । इसी तरह उनके द्वारा पूर्वोत्तर में स्थिरता एवं शांति की स्थापना के उद्देश्य से विद्रोही समूहों के साथ एक के बाद एक शांति के समझौते किए गए।
इसका नतीजा यह हुआ कि गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में जम्मू-कश्मीर की आतंकवादी घटनाओं में 32 फीसदी की कमी, नागरिकों की मौत में 14 फीसदी की कमी, सुरक्षाकर्मियों की शहादत में 52 फीसदी की कमी और आतंकवादियों की भर्ती में 14 फीसदी की कमी देखी गई। इसी प्रकार, उनके कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में पूर्वोत्तर भारत की आतंकवादी घटनाओं में 68% की कमी देखी गई है, सुरक्षाकर्मियों की शहादत में 60% की कमी आई है, और नागरिकों की मृत्यु में 83% की कमी दर्ज की गई है।
गृह मंत्री के रूप में श्री अमित शाह के तीन साल के कार्यकाल और कांग्रेस के शासन के आँकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला है कि 2009 से 2012 तक कांग्रेस शासन के दौरान, एजेंसियों के द्वारा जब्त किए गए ड्रग्स की कुल मात्रा केवल 13,54,546 किलोग्राम थी और उनका मूल्य 14018 करोड़ रुपये था । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नार्को-जाँच में अत्याधुनिक तकनीक और विशुद्ध प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देने के कारण, गृह मंत्री के रूप में श्री अमित शाह के पहले तीन वर्षों की अवधि में ही ड्रग्स जब्ती की मात्रा 39,08783 किलोग्राम और इसका कुल मूल्य 61125 करोड़ रुपये तक पहुँच गया ।
केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में श्री अमित शाह जी की भूमिका मुख्य रूप से आम आदमी के लिए सुरक्षा का सुनिश्चित परिवेश निर्मित करने के लिए समर्पित रही है । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, मुश्किल परिस्थितियों से कुशलता से निपटने की जीवटता के परिणामस्वरूप वामपंथी उग्रवाद में भारी गिरावट आई है । उन्हें असम की भौगोलिक अखंडता में हस्तक्षेप किए बिना बोडोलैंड में शांति स्थापित करते हुए त्रिपुरा में उग्रवाद को समाप्त करने का भी श्रेय दिया जाता है । उन्होंने ब्रू-रियांग शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या का समाधान करते हुए भारत की आंतरिक सुरक्षा में खतरे की संभावना को समाप्त कर दिया।
श्री शाह ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के साथ ही इसके पहले केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाला । कार्यभार संभालने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के आह्वान के साथ, उनके द्वारा सहकारिता के संरचनात्मक रूप से स्थापित श्रृंखला को एक उज्ज्वल कॉर्पोरेट के रूप में सक्षम बनाने के लिए प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए गए । यदि सहकारी चीनी मिलें उचित लाभकारी मूल्य या राज्य द्वारा परामर्शित मूल्यों के अनुरूप किसानों को अतिरिक्त गन्ना मूल्य का भुगतान करते हैं, तो ऐसे सहकारी चीनी मिलों को अतिरिक्त आयकर के भुगतान से छूट देने का प्रावधान किया गया । शहरी सहकारी बैंकों के लिए व्यक्तिगत आवास ऋण (individual housing loan) की सीमा को दोगुना कर दिया गया। ग्रामीण सहकारी बैंकों को अब वाणिज्यिक अचल संपत्ति (Commercial Real Estate) वाले आवासीय क्षेत्र को ऋण देने की अनुमति प्रदान की गई है । इतना ही नहीं, शहरी सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों के समान अपने ग्राहकों को डोरस्टेप बैंकिंग प्रदान करने की अनुमति दी गई है । नई व्यवस्था के तहत, अब गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक (एनएसयूसीबी), राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक एक योजना के तहत सदस्य उधार संस्थान (member lending institutions/एमएलआई) के रूप में रेखांकित किए गए हैं, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों को दिए गए संपार्श्विक मुक्त ऋण (collateral-free loans) के लिए गारंटी प्रदान करेंगे ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में श्री अमित शाह के पास गुजरात के गृह मंत्री के रूप में राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी । श्री शाह ने अपने कार्यकाल के दौरान दुनिया का पहला फोरेंसिक विश्वविद्यालय स्थापित किया और तटीय पुलिस (coastal police) की शुरुआत करके अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षा को मजबूती प्रदान किया । इसके अलावा, उन्होंने कानून और व्यवस्था को मजबूत करने और पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए कई अन्य आधुनिक पहलें भी कीं । गृह मंत्री के रूप में उनके कौशल की मान्यता एवं सफलता, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा उनके कार्यकाल में गुजरात को श्रम और औद्योगिक क्षेत्र के मामले में सबसे शांतिपूर्ण राज्य की घोषणा के रूप में देखा जा सकता है ।
श्री शाह की जीवन यात्रा जनसरोकार संबंधी विषयों के प्रति उनके अभिनव दृष्टिकोण, उन्हें हल करने की रचनात्मक सोच और समस्या की पुनरावृत्ति से बचने के लिए भविष्य की योजना के उदाहरणों से भरी हुई है। इस संबंध में लोकसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल भी अपवाद नहीं है।
खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए पाँच विश्वस्तरीय स्टेडियमों का निर्माण हो या प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तालाबों को जलाशय से जोड़ने का भागीरथ-प्रयास हो- उनकी अनूठी कार्यशैली जीवंत रूप में उनके निर्वाचन क्षेत्र गाँधीनगर के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में देखे जा सकते हैं।
स्वस्थ बच्चों के जन्म को सुनिश्चित करने हेतु गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन की खुराक वितरित करने के लिए उनके द्वारा शुरू की गई योजना में सामाजिक परिवर्तन के भावी-दृष्टिकोण को महसूस किया जा सकता है। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए उनके द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र में बनाए गए खिलौना बैंक और युवाओं और किशोरों को मनोरंजन के हानिकारक साधनों से बचाने के लिए उनके द्वारा 'भजन मंडली' की शुरुआत, सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं की पहचान करने और उन्हें हल करने के लिए उनके सहज दृष्टिकोण के प्रतिबिम्ब हैं ।
एक जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों की सेवा करने के लिए जनादेश की आशाओं पर खड़े उतरना अमित शाह की विशिष्ट कार्यशैली एवं दृष्टिकोण के परिणाम हैं, जो अस्पतालों में परिचारकों को मुफ्त भोजन और बालिकाओं के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए विशेष बैंक खातों जैसी उनकी योजनाओं में स्पष्ट परिलक्षित होती है ।
भारतीय संस्कृति और भारतबोध में दृढ़ विश्वास
श्री अमित शाह को उनके माता-पिता के द्वारा अंग्रेजी शिक्षा पद्धति आधारित पारंपरिक विद्यालय भेजने के बजाय, गायकवाड़ राज्य के प्रमुख विद्वानों के देखरेख में 'भारतीय मूल्य परंपरा' पर आधारित प्रारंभिक शिक्षा प्रदान की गई । उन्हें बचपन में भारतीय शास्त्र, ऐतिहासिक ग्रंथ, व्याकरण और महाकाव्य की शिक्षा दी गई थी । भारतीय मूल्यों के प्रति उनकी शुरुआती दिलचस्पी से उनमें न केवल भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था पैदा हुई, बल्कि उन्हें इस माध्यम से आम लोगों के साथ स्थायी संबंध स्थापित करने में भी मदद मिला । वे भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता के प्रति आस्थावान रहने वाले व्यक्ति के रूप में वयस्क हुए, एवं आज भी भारतीय संस्कृति, दर्शन और पौराणिक कथाओं से जुड़ी पुस्तकों के अध्ययन में उनका मन रमा हुआ रहता है । अध्ययन के प्रति उनका प्यार भाजपा में भारतीय विचारों पर केंद्रित पुस्तकों के अध्ययन-अध्यापन को बढ़ावा देने के लिए पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा शुरू की गई ‘पुस्तकालय आंदोलन’ की पहल के रूप में अच्छी तरह से परिलक्षित होता है ।
आरएसएस में उनके अनुभव ने भारतीय संस्कृति में उनके विश्वास को और मजबूत बनाया, जो पार्टी के पदों पर रहते हुए उनके कार्यों और दस्तावेजों में भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों में दिखाई देता है। वे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक होने के साथ-साथ पार्टी और जनता के बीच अंत्योदय-दर्शन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तित्त्व के रूप में भी जाने जाते हैं । श्री शाह का दृढ़ विश्वास है कि स्वतंत्र भारत में पारंपरिक सरकारें देश के विकास के लिए भारत के अपने पारंपरिक ज्ञान और आंतरिक शक्तियों को पहचानने और उपयोग करने में विफल रही है । लेकिन, 2014 के बाद से पीएम मोदी के नेतृत्व में धीरे-धीरे भारत को भारतबोध एवं भारतीयता के पथ पर लाया जा रहा है और इस प्रकार हम फिर से अपने पूर्वजों के भाँति विश्वगुरु बनने के राह पर हैं ।
अपने दौरों के दौरान श्री शाह हमेशा मंदिरों, सांस्कृतिक प्रतीकों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों से जुड़े स्थानों का भ्रमण एवं अवलोकन करते हैं । शाह नियमित रूप से महान भारतीय हस्तियों के सम्मान और स्मृति को चिह्नित करने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए अपने विचार प्रकट करने के लिए उत्साहित रहते हैं। आदि शंकराचार्य, चाणक्य, छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदि पर उनके विद्वतापूर्ण तथ्यसम्मत भाषण इन महान हस्तियों के जीवन और शिक्षण के प्रति उनके ज्ञान और प्रतिबद्धता का परिचायक है ।
संगठन निर्माता एवं उत्कृष्ट चुनावी रणनीतिकार
49 साल की उम्र में अध्यक्ष बनते हुए श्री अमित शाह भाजपा के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए थे । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल-नेतृत्व में श्री शाह को न केवल संगठनात्मक विस्तार के मामले में भाजपा की अखिल भारतीय विशाल छवि बनाने की उपलब्धि का श्रेय दिया जाता है, बल्कि पार्टी के चुनावी जीत के पदचिह्न को अब तक अजेय एवं अनछुए क्षेत्रों में भी ले जाने का श्रेय भी दिया जाता है। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए, उन्होंने देश भर में 10,23,867 किलोमीटर की यात्रा करने का भागीरथ कार्य भी किया है ।
उनके नेतृत्त्व में भाजपा के सदस्यों की संख्या 2.47 करोड़ से बढ़कर 11.2 करोड़ होते हुए भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने का कार्य भी किया गया है । 'कार्य संस्कृति वही कार्य पद्धति नई' के सिद्धांत के साथ काम करते हुए शाह ने पार्टी को आधुनिक बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण पहलें की हैं । एक संगठन के रूप में भाजपा के तीन स्तंभ- कार्यालय, बैठक, और प्रवास(यात्रा) उनकी संगठनात्मक रणनीति के केंद्र में रहे हैं । उन्होंने भारत के सभी जिलों में भाजपा कार्यालयों का निर्माण करने का संकल्प लिया, नियमित बैठकों के लिए जोर दिया, और यात्रा के अभिनव तरीकों की शुरुआत की । शाह ने भाजपा कार्यकर्ताओं की वैचारिक दृष्टि को मजबूत करने के लिए उनके नियमित अध्ययन हेतु सभी कार्यालयों में पुस्तकालयों को अनिवार्य करने और बूथ स्तर पर नियमित शैक्षणिक एवं वैचारिक कार्यक्रमों के आयोजन को बढ़ावा देने का कार्य भी किया है ।
एक विवेकशील राजनीतिज्ञ के रूप में श्री शाह समझते थे कि सत्ता के संपर्क में आने से एक संगठन कमजोर हो सकता है, क्योंकि इससे नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दूरी बढ़ने की संभावना होती है । ऐसा होने से बचने के लिए श्री शाह ने "विस्तृत प्रवास (व्यापक दौरा)" का रूपरेखा निर्मित किया और कम समय में सभी राज्यों का दौरा किया । इन महत्त्वपूर्ण दौरों का उद्देश्य पार्टी की विचारधारा का प्रसार करना, कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार की जन-समर्थक कार्यों के बारे में शिक्षित करना और जमीनी स्तर पर पार्टी के ढाँचे को मजबूत करना था । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के द्वारा पार्टी के राज्य, जिला और बूथ स्तर के अध्यक्षों के साथ मंच साझा करना इन दौरों की खूबसूरती थी । स्वतंत्र भारत में एक राजनीतिक संगठन के द्वारा पहली बार पार्टी में पदानुक्रम की पारंपरिक पद्धतियों एवं प्रतिबद्धताओं को तोड़ने के इस कदम ने सभी विचारधाराओं के राजनीतिक पर्यवेक्षकों को चकित कर दिया ।
गुजरात में श्री अमित शाह जी ने हमेशा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की अपराजेय चुनावी जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । जब 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी के ऐतिहासिक प्रदर्शन के द्वारा भाजपा के पुनरुद्धार का नेतृत्व किया, तब राष्ट्रीय परिदृश्य में वे एक कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरे । इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में एनडीए ने 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर जीत हासिल की और इस जीत में वोट शेयर 15% से बढ़कर 42% हो गया ।
2014 के आम चुनाव के तुरंत बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालते हुए श्री शाह ने प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का इस्तेमाल न केवल भाजपा को अपने पारंपरिक क्षेत्रों में चुनावी रूप से मजबूत करने के लिए किया, बल्कि नए क्षेत्रों में अपने चुनावी जीत की श्रृंखला का विस्तार करने के लिए भी किया । शाह के कार्यकाल के दौरान, भाजपा को न केवल पहली बार हरियाणा, त्रिपुरा, असम, महाराष्ट्र और मणिपुर में अपने मुख्यमंत्री प्राप्त हुए, बल्कि जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा के द्वारा उपमुख्यमंत्री का पद प्राप्त किया गया । इतना ही नहीं, भाजपा मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में सत्तारूढ़ गठबंधन की भी हिस्सा बन गई। शाह के मास्टरस्ट्रोक ने मोदी के करिश्मे को उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों तक पहुँचाया और भाजपा रातों-रात इन राज्यों में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई, जिससे इन राज्यों में पार्टी की दावेदारी और भविष्य अत्यंत मजबूत हुई । राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा के कार्यकर्ता हतोत्साहित थे । 11 जनवरी 2019 को दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में, शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना "पानीपत की तीसरी लड़ाई" से की और कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि यह चुनाव दो विचारधाराओं की लड़ाई होगी । उनके युद्ध-घोष ने कार्यकर्ताओं के उत्साह को पुनर्जीवित किया और भाजपा इस चुनाव में 303 सीटों पर विजय होकर विशाल जनादेश के साथ फिर से केंद्रीय सत्ता में स्थापित हुई ।
शाह की चुनावी रणनीति के मूल में मतदान केंद्रों को मजबूत करना, सहयोगियों से गठबंधन स्थापित करना, अन्य दलों के प्रभावशाली नेताओं को अपनी विचारधारा एवं पार्टी में शामिल करना और सबसे महत्त्वपूर्ण बात कि पीएम मोदी के व्यक्तित्व को लोगों के बीच और भी प्रभावशाली बनाना रहा है । 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' के आह्वान के साथ श्री शाह ने स्वयंसेवकों के माध्यम से बूथ कार्यकर्ताओं की टीम बनाने पर केंद्रित 'विस्तारक कार्यक्रम' की शुरुआत की । उन्होंने पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, लक्षद्वीप और गुजरात राज्यों में 'विस्तारक' के रूप में स्वयं काम किया। शाह ने एनडीए का विस्तार करने वाले छोटे दलों को शामिल करते हुए पार्टी को व्यापक सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व प्रदान किया, जिससे चुनावी जीत की संभावनाओं को बल मिला । श्री शाह ने मोदी सरकार के अच्छे कार्यों को लोकप्रिय बनाने के लिए पार्टी के कई कार्यक्रमों की रूपरेखा का निर्माण और उनका कार्यान्वयन भी किया।
गुजरात में क्रिकेट और शतरंज को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया
शतरंज के शौकीन और खेल प्रेमी श्री अमित शाह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में शतरंज को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराया और शतरंज की अनूठी प्रतियोगिताओं का आयोजन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक में भी इन प्रतियोगिताओं को स्थान दिलाया । एक क्रिकेट प्रशासक के रूप में श्री शाह ने खेल के बुनियादी ढाँचे में सुधार और खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कई आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कदम उठाए ।
गुजरात में सहकारिता आन्दोलन सुदृढ़ और अर्थव्यवस्था की धुरी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका
सहकारी आंदोलन के बारे में श्री शाह की गहरी समझ को बहुत पहले ही पहचान मिलनी शुरू हो गई थी, जब वे 2001 में भाजपा के सहकारी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किये गए थे । इस क्षेत्र में उनके उभरने से पहले, कांग्रेस पार्टी गुजरात की सहकारी राजनीति पर हावी थी। लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में श्री शाह ने हवा का रुख बदल दिया और अब पूरे सहकारी क्षेत्र की कमान भाजपा के हाथों में है। उन्हें दो मृत बैंकों - अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक और माधवपुरा बैंक, अहमदाबाद के पुनरुद्धार का श्रेय भी दिया जाता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री के रूप में बहुत कम समय में, श्री शाह ने कई नई योजनाओं को प्रस्तुत करते हुए संसद में कानून बनाकर इस क्षेत्र को राष्ट्रीय विमर्श की मुख्यधारा में ला दिया है। उनके अभिनव एवं लगनशील प्रयास और पीएम मोदी के आशीर्वाद के बदौलत"सहकार से समृद्धि" का मंत्र भारत की आर्थिक योजनाओं और प्रगति के जीवंत उदाहरण के रूप में चर्चा के विषय बन गए हैं ।
अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में श्रीमती कुसुमबेन और श्री अनिलचंद्र शाह के यहाँ हुआ। सोलह वर्ष की आयु तक वे अपने पैतृक गाँव मान्सा, गुजरात में ही रहे और वहीं स्कूली शिक्षा प्राप्त की। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उनका परिवार अहमदाबाद चला गया। बचपन में वह सदैव महान राष्ट्रभक्तों की जीवनियों से प्रेरित हुआ करते थे, इसी प्रेरणा के फलस्वरूप उन्होंने भी मातृभूमि की सेवा करने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का स्वप्न देखा।
1980 में 16 वर्ष की आयु में अमित शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा से प्रेरित होकर संघ के स्वयंसेवक बने और उसकी छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के कार्यकर्ता बन विभिन्न संगठनात्मक गतिविधियों में भाग लेकर सक्रिय हुए।
अमित शाह की कार्यकुशलताऔर सक्रियता का ही प्रमाण था कि उन्हें दो वर्ष बाद 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बनाया गया।
1987 में श्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल हुए और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। शाह ने युवा मोर्चा की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।
श्री राम जन्मभूमि आंदोलन और एकता यात्रा में सफलतापूर्वक प्रचार-प्रसारकी जिम्मेदारी निभायी। इसी दौरान अमित शाह का संपर्क श्री लालकृष्ण आडवाणी से तब हुआ जब श्री आडवाणी गाँधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। अमित शाह ने पहली बार से लेकर 2009 तक लगातार कई चुनावों में श्री आडवाणी के चुनाव-संयोजक की जिम्मेदारी का निर्वहन सफलतापूर्वक किया। जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े तो उनके चुनाव संयोजक का दायित्व भी अमित शाह ने सफलतापूर्वक निभाया।
1995 में अमित शाह गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने। अमित शाह के कार्यकाल के दौरान निगम घाटे से न सिर्फ बाहर आया बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। अमित शाह की अध्यक्षता में निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त, कार्यशील पूँजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरूआत हुई।
● गुजरात प्रदेश वित्त निगम प्रदेश के लघु उद्योगों को टर्मलोन और वर्किंग कैपिटल प्रदान करके उनकी विकास को गति देने वाला एक महत्त्वपूर्ण संस्थान है।
● अमित शाह की कार्यकाल के दौरान निगम घाटे से न सिर्फ बाहर आया बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
● इसी दौरान पब्लिक इशू के जरिए निगम की शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई और निगम को पब्लिक लिमिटिड कम्पनी का दर्जा मिला।
● अमित शाह की अध्यक्षता में निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त,कार्यशील पूँजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरूआत हुई।
अमितशाह की राजनीतिक सक्रियता और कार्यकुशलता के कारण उन्हें 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया ।
1997 में अमित शाह ने पहली बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधायक पद के लिए नामांकन भरा और भारी मतों से विजय हुए | विधानसभा क्षेत्र में अमित शाह की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आने वाले प्रत्येक चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा।
विधायक के तौर पर अमित शाह ने अपने लगभग दो दशकों के कार्यकाल के दौरान राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक राजनीतिक और गैर राजनीतिक पदों पर काम किया जिसकी वजह से वह लम्बे समय तक क्षेत्र से बाहर रहे। परन्तु इस व्यस्तता के बावजूद क्षेत्र के विकास कार्यों की रफ्तार में कमी नहीं आने दी और वे लगातार क्षेत्रवासियों के संपर्क मे रहे। विधानसभा क्षेत्र में अमित शाह की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगता है कि आने वाले प्रत्येक चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा। पहली बार जब वह चुनाव लडे़ तो जीत का अंतर 24689 था जो अगले चुनाव मे बढ़कर 132477 हो गया और अगले दो चुनावो में अमित शाह रिकॉर्ड 288327 और 232823 वोटों / मतों से जीते। परिसीमन के बाद नई बनी विधानसभा नारणपुरा से जब वह पांचवी बार विधानसभा का चुनाव लड़े तो मतदाताओं की संख्या पूर्व से एक चौथाई रह जाने के बावजूद जीत का अंतर 63235 वोट रहा। अपनी स्वयं की विधायक निधि के अलावा AUDA, राज्य सरकार, और अन्य स्त्रोतों द्वारा हजारों करोड़ रूपये की व्यवस्था करके अमित शाह ने निम्नलिखित जनकल्याण की योजनाओं को कार्यान्वयित करके अपने क्षेत्र के निवासियों की लगातार सेवा की है।
● अमित शाह का विधानसभा क्षेत्र गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र था जो कि तीन ताल्लुकों में फैला था। इस सारे क्षेत्र का पानी फ्लोराइड से प्रदूषित था जिसकी वजह से क्षेत्रवासी तरह - तरह की बीमारियों से पीड़ित थे। विधायक बनने के बाद अमित शाह ने 1400 करोड़ की लागत की योजनाओं द्वारा सारे क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराकर वर्षों पुरानी पेयजल की समस्या का समाधान कर लोगों को राहत दी।
● युवा शक्ति को देश का भविष्य मानने वाले अमित शाह ने विधानसभा क्षेत्र में एक अत्याधुनिक खेल संकुल का निर्माण किया। इस खेल सकुंल में बैडमिंटन, टेबल टेनिस, तैराकी, स्केटिंग,वालीबॉल और क्रिकेट जैसी कई खेल सुविधायें उपलब्ध हैं।
● पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अमित शाह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में 75 उद्यानों का निर्माण और सवा लाख सें अधिक वृक्षों का रोपण करवाया।
● स्वच्छता को ध्यान में रखते हुये 80 करोड़ की लागत से 30 किमी। लम्बी नालियों का निर्माण कराकर क्षेत्र को जलभराव की समस्या से राहत दी।
● “जल ही जीवन’’ की महत्ता को बहुत पहले ही समझ कई जलाशयों का निर्माण करके “रेन वाटर हारवेस्टिंग’’ को बढ़ावा दिया।
● अपने स्वच्छता के अभियान को आगे बढ़ाते हुए ’डोर स्टेप’ पर कचरा एकत्र करा के ‘सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट प्लांट’ का निर्माण किया।
● घनी आबादी वालें क्षेत्रो में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए अमित शाह ने कई फ्लाईओवरों, ब्रिजों, अन्डरब्रिजों और एक रिंग रोड का निर्माण कराया। इस आधुनिक यातायात व्यवस्था की वजह से न सिर्फ लोगों का समय बचा बल्कि क्षेत्र को प्रदूषण से भी राहत मिली।
● विधानसभा क्षेत्र में श्मशान न होने की वजह से आम जनता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अमित शाह के उपक्रम ने AUDA, सांसद निधि, विधायक निधि द्वारा संसाधन उपलब्ध करा के एक आधुनिक श्मशान गृह की स्थापना कर के जनता को भारी राहत दी।
● प्राकृतिक सौन्दर्य से मानसिक विकास की महत्ता को समझते हुए अमित शाह ने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में “गौरव पथ’’ और फव्वारों का निर्माण करवाया।
● विधानसभा क्षेत्र की अनेक झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीबों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करवाकर खाली हुई जमीन का सौन्दर्यीकरण करवाया।
अमित शाह की संगठनात्मक कुशलता के कारण उन्हें 1998 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई का प्रदेश सचिव बनाया गया ।
1998 के मात्र एक वर्ष बाद ही 1999 में अमित शाह को संगठन द्वारा भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई ।
अमित शाह सिर्फ 36 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (ADCB) के सबसे युवा अध्यक्ष बने। मात्र एक साल में अमित शाह ने न सिर्फ 20।28 करोड़ का घाटा पूरा किया बल्कि बैंक को 6.60 करोड़ के लाभ में लाकर 10 प्रतिशत लाभांश का वितरण भी किया।
अध्यक्ष, अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के रूप में उपलब्धियाँ
● अमित शाह सिर्फ 36 वर्ष की उम्र में ADCB के सबसे युवा अध्यक्ष बने।
● जब उन्होंने ADCB की कमान सम्भाली, बैंक 20.28 करोड़ के घाटे में था और जमा कर्ताओं को वर्षो से लाभांश नहीं दिया गया था। अमित शाह ने बैंक के पुनरुद्धार का प्रस्ताव रखा। उनके इस प्रस्ताव का सार्वजनिक उपहास किया गया। परन्तु अपनी कार्यकुशलता के जरिये सिर्फ एक साल में अमित शाह ने न सिर्फ 20.28 करोड़ का घाटा पूरा किया बल्कि बैंक को 6.60 करोड़ के लाभ में लाकर 10 प्रतिशत लाभांश का वितरण भी किया। इस सफलता को जारी रखते हुये अगले साल ’’शेयर होल्डर्स’’ को 13.77 प्रतिशत का लाभांश मिला। उनके कार्यकाल में ADCB गुजरात का नबंर 1 बैंक बना।
● उनके कार्यकाल के दौरान बैंक के कार्य क्षेत्र का विस्तार करके सरकारी सुरक्षा निधि के क्रेडिट के द्वारा बैंक ने 262 प्रतिशत लाभ का इतिहास रचा।
● इसी दौरान स्टेट बैंक आफ इंडिया ने सहकारी बैंको की FD पर दी जाने वाली ओवर ड्राफ्टिंग की सुविधा बन्द कर दी थी जिससे सहकारिता आन्दोलन के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया। परन्तु अमित शाह की लगन और अथक प्रयासो के कारण सिर्फ 48 घंटों में स्टेट बैंक को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा जिसका लाभ ADCB के साथ-साथ अन्य सहकारी बैकों को भी मिला।
● कृषि से जुड़े मजदूरों और किसानों की वेदना समझते हुए अमित शाह ने इस वर्ग को दी जाने वाली 2 हजार रुपये की बीमा सुरक्षा को बढ़ाकर 10 हजार और 500 वाली बीमा सुरक्षा को बढ़ाकर 2500 किया।
● अमित शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात के माधेपुरा बैंक के बंद हो जाने की वजह से 3 लाख खातेदारों, डिपोजिटर्स और सहकारी बैंकों के 800 करोड़ रूपये डूबने की कगार पर थे। इस घटना ने गुजरात के सभी सहकारी बैंकों की विश्वसनियता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। परिणाम स्वरूप सहकारी बैंकों से जुड़े लाखों लोगों ने बैंक से पैसा निकालने की कोशिश की जिससे गुजरात में सहकारी बैंकों का अस्तित्व खतरे में आ गया था।
● यहाँ तक कि इस सदमे की वजह से अमित शाह की विधानसभा क्षेत्र के एक निवासी ने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने अमित शाह को इतना द्रवित किया कि उन्होंने माधेपुरा बैंक के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाते हुये लक्ष्य प्राप्ति तक दाढ़ी ट्रिम न करने का प्रण किया। इस प्रयास में उन्होंने राज्य के सहकारिता से जुड़े प्रमुख लोगों, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय संस्थाओं से सम्पर्क साध कर एक प्रभावी योजना बनायी और माधेपुरा बैंक को वापस पटरी पर लाने में सफलता प्राप्त की। बैंक के पुनरुद्धार के साथ-साथ उन्होंने “डिपाजिट इंश्योरेंस योजना’’ लाकर बैंक के खातेदारों और डिपोजिटर्स के 400 करोड़ रूपये वापस भी दिलाये।
2001 में अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया। अमित शाह के कार्यकाल के दौरान उनके काम को इतना सराहा गया कि कुछ लोगों ने उन्हें सहकारिता आन्दोलन के पितामह तक की उपाधि दे डाली।
अमित शाह ने 2002 में पहली बार मंत्री पद की शपथ ली और गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में अमित शाह को गृह, यातायात, निषेध, संसदीय कार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी।
गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में अमित शाह को गृह, यातायात, निषेध, संसदीय कार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए अमित शाह ने मंत्री के रूप अपनी जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निभाते हुए सभी विभागों में दर्ज़नो अभूतपूर्व काम किये, परन्तु विशेष रूप से गृह विभाग में उनके द्वारा किये गए कई कामों को गुजरात में आज तक सराहा जाता है। शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात की अपराध दर में अभूतपूर्व गिरावट आयी। इसका संज्ञान लेते हुए भारत सरकार के “नेशनल क्राइम ब्यूरो” ने श्रम और औद्योगिक सुरक्षा के मामले में गुजरात को सबसे शांत प्रदेश माना। अमित शाह ने गुजरात पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए ढेरों महत्त्वपूर्ण कदम उठाये, इनमेसे सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली अत्याधुनिक फोरेंसिक प्रयोगशाला का निर्माण था। सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्राथमिकता देते हुए अमित शाह ने अपने कार्यकाल के दौरान गुजरात में सांप्रदायिक उन्माद की एक भी घटना नहीं होने दी। विकास और आधुनिकता का प्रतीक माने जाने वाले हाईवे सड़कों पर आनेजानेवालों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए अमित शाह ने हाईवे ट्राफिक पुलिस का पुनर्गठन करके हाइवे पर होने वाली दुर्घटनाओं और अपराधों को लगभग शून्य पर पहुँचा दिया।
2006 में अमित शाह “गुजरात चेस संघ” के अध्यक्ष बने और उनके कार्यकाल के दौरान गुजरात में पहली बार शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता ‘नेशनल बी’ आयोजित हुई।
● अमित शाह की सोच है कि शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मानसिक व्यायाम भी सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिये आवश्यक है। इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिये उन्होंने अहमदाबाद के प्राथमिक विद्यालयों में शतरंज को प्रयोग के तौर पर शामिल करवाया। इस प्रयोग के बाद किये गये एक अध्ययन से पता लगा कि शतरंज के अभ्यास से बच्चों का मानसिक स्तर सामान्य से अधिक गति से विकसित हुआ। तदुपरान्त गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के सुझाव पर शतरंज को प्रदेश स्तर पर सरकारी स्कूलों के अभ्यासक्रम में सम्मिलित कर लिया गया।
● अमित शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात में पहली बार शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता ’’नेशनल बी’’ आयोजित हुई।
● इसी दौरान अहमदाबाद में एक शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 20,000 खिलाड़ियों ने एक साथ भाग लेकर मैक्सिको में 18000 की भागीदारी वाली “साइमल चेस प्रतियोगिता’’ के विश्व कीर्तिमान को तोड़ कर “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स” में गुजरात का नाम दर्ज कराया।
● उल्लेखनीय है कि ऐसी ही एक प्रतियोगिता में एक साथ 4000 महिला खिलाड़ियों की हिस्सेदारी होने से गुजरात चेस एसोसिएशन को “लिमका बुक आफ रिकार्ड्स’’ में भी शामिल होने का गौरव मिला।
● अमित शाह के कार्यकाल में गुजरात के कई शतरंज खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया जिनमें प्रमुख खिलाड़ी ‘तेजस बाकरे’ और ‘अंकित राजपरा’ ग्राण्ड मास्टर बने और सुश्री ‘ध्यानी दबे’ अंतरराष्ट्रीय महिला मास्टर बनी।
श्री अमित शाह को 2009 में अहमदाबाद सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष और गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया ।
● अमित शाह के प्रयासों से “गुजरात साईंस कालेज क्रिकेट ग्राउण्ड” राज्य सरकार से निकल कर GCA के अधिकार क्षेत्र में आया। उल्लेखनीय है कि अब इस मैदान में प्रतिवर्ष 200 से भी अधिक क्रिकेट मैचों का आयोजन होता है। जिसके परिणाम स्वरूप अभी तक IPL में गुजरात के एक दर्जन से भी अधिक खिलाड़ियों की भागीदारी संभव हुई है।
● अमित शाह ने GCA के कार्य को प्रभावी बनाने के लिये अकेडमी में निदेशक, उपनिदेशक और प्रशिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान करवाया, जिसके फलस्वरूप गुजरात से कई युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को भारत की “अण्डर-19’’ टीम में जगह मिली।
● अपनी आर्थिक नियोजन की प्रतिभा का भरपूर उपयोग करके अमित भाई ने GCA की आर्थिक स्थिति में भारी सुधार लाया और इसकी 22.25 करोड़ की डिपोजिट राशि को 163 करोड़ तक पहुँचा दिया।
● अमित शाह ने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिये गुजरात के उन सभी खिलाड़ियों को पेंशन योजना में शामिल किया, जिन्होंने सिर्फ एक ही रणजी ट्राफी मैच खेला था। पूर्व में BCCI के मानकों के अनुसार पेंशन का लाभ कम से कम 24 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को ही मिलता था। अमित भाई ने खिलाड़ियों की पत्नियों को भी पेंशन दिलवा कर खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा देने का नया इतिहास रचा।
● आपके के प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
राजनीतिक द्वेष के चलते 2010 में फर्जी एनकाउंटर के मामले में श्री अमित शाह को जेल भेज दिया गया। 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस फर्जी एनकाउंटर केस में अमित भाई को इस रिमार्क के साथ बरी कर दिया कि “यह पूरा का पूरा केस राजनीतिक रूप से प्रेरित था”।
“यह पूरा का पूरा केस राजनैतिक रूप से प्रेरित था”
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में अमित भाई ने जिस तरह से गुजरात प्रदेश से कांग्रेस पार्टी का सफाया किया उससे वह शुरू से ही राजनीतिक विरोधियों की आँख की किरकिरी बन गये। गृहमंत्री के रूप में आपने गुजरात पुलिस के आधुनिकरण के नये कीर्तिमान स्थापित किये थे। इसी कार्यकाल के दौरान 2005 में कुख्यात आतंकवादी सोहराबुद्दीन शेख का गुजरात में एनकाउन्टर हुआ। परन्तु द्वेष-भाव से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की केन्द्र सरकार ने अमित भाई के ऊपर 2006 में फर्जी एनकाउंटर का केस जड़ दिया। उल्लेखनीय है कि गत कुछ वर्षों में गुजरात में 19 और देश भर में 1200 एनकाउंटर हुये थे, परन्तु कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने जाँच के लिये गुजरात के सारे के सारे 19 केस और देश के बाँकी 1181 केसों में सिर्फ 1 केस को चुना।
इस फर्जी एनकाउंटर के मामले में अमित भाई को 2010 में जेल भेज दिया गया। परन्तु 90 दिनों के बाद “There is no prima facie evidence against Amit Shah” के रिमार्क के साथ उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। उन्हें जमानत मिलने के बाद भी दो वर्षों तक गुजरात प्रदेश के बाहर रहना पड़ा। कहते हैं कि झूठ के पैर नहीं होते, 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस फर्जी एनकाउंटर केस में अमित भाई को इस रिमार्क के साथ बरी कर दिया कि “यह पूरा का पूरा केस राजनीतिक रूप से प्रेरित था”।
अमित भाई की कार्यक्षमता को पहचानते हुये भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीती।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (उत्तर प्रदेश प्रभारी) के रूप में उपलब्धियां
● अमित शाह की कार्यक्षमता को पहचानते हुये भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। उत्तर प्रदेश का कमान जिस समय आपके हाथों में आयी, उस समय प्रदेश में पार्टी की दशा दयनीय थी, जिसका प्रमाण 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले सिर्फ 12% वोट थे।
● अमित शाह ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश के संगठन को पुनः जीवित किया बल्कि पार्टी में ऐसे नये सामाजिक वर्गों को भी जोड़ा जो कि पूर्व में कभी भी भाजपा के साथ नहीं थे।
● संगठन को मजबूती देने के साथ-साथ अमित भाई ने बसपा और सपा जैसे स्थापित राजनीतिक दलों से जमीनी लड़ाई के लिये प्रभावी कार्यक्रम बनाया। उनके अथक प्रयासों और मजबूत रणनीति का ही परिणाम था कि भाजपा को श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का पूरा फायदा मिला और इतिहास रचते हुये अपने सहयोगी दलों के साथ भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीती। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 42.6% था जो कि अब तक का सर्वाधिक है।
2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री अमित शाह को “गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन” का अध्यक्ष नियुक्त किया गया । उनके प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
गुजरात क्रिक्केट एसोसिएशन केअध्यक्ष के रूप में उपलब्धियां
● अमित शाह के प्रयासों से “गुजरात साईंस कालेज क्रिकेट ग्राउण्ड” राज्य सरकार से निकल कर GCA के अधिकार क्षेत्र में आया। उल्लेखनीय है कि अब इस मैदान में प्रतिवर्ष 200 से भी अधिक क्रिकेट मैचों का आयोजन होता है। जिसके परिणामस्वरूप अभी तक IPL में गुजरात के एक दर्जन से भी अधिक खिलाड़ियों की भागीदारी संभव हुई है।
● अमित शाह ने GCA के कार्य को प्रभावी बनाने के लिये अकेडमी में निदेशक, उपनिदेशक और प्रशिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान करवाया। जिसके फलस्वरूप गुजरात से कई युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को भारत की “अण्डर-19’’ टीम में जगह मिली।
● अपनी आर्थिक नियोजन की प्रतिभा का भरपूर उपयोग करके अमित भाई ने GCA की आर्थिक स्थिति में भारी सुधार लाया और इसकी 22.25 करोड़ की डिपोजिट राशि को 163 करोड़ तक पहुँचा दिया।
● पूर्व-क्रिकेट खिलाड़ियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिये गुजरात के उन सभी खिलाड़ियों को पेंशन योजना में शामिल किया जिन्होंने सिर्फ एक ही रणजी ट्राफी मैच खेला था। पूर्व में BCCI के मानकों के अनुसार पेंशन का लाभ कम से कम 24 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को ही मिलता था। अमित भाई ने खिलाड़ियों की पत्नियों को भी पेंशन दिलवा कर खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा देने का नया इतिहास रचा।
● आपके के प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
श्री अमित शाह की कार्यक्षमता और पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को पहचानते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हे जुलाई 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। मात्र 49 वर्ष के अमित शाह पार्टी के इतिहास में सबसे युवा अध्यक्ष बने।
● अमित शाह की कार्यक्षमता और पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को पहचानते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें जुलाई 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।
● जिस समय अमित भाई ने पार्टी की कमान संभाली उनकी उम्र सिर्फ 49 वर्ष थी, जो कि अभी तक के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षों में सबसे कम है। उनकी कम उम्र के अनुभवों और क्षमताओं को आँकना गलत होगा, क्योंकि उन्होंने अल्प आयु से ही RSS के स्वयंसेवक के रूप में जन-सेवा और राष्ट्र-निर्माण में वृहत भागीदारी की थी।
● तीस वर्षों के बाद केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बावजूद भाजपा से राजनीतिक और वैचारिक मतभेद रखने वाला अभिजात्य वर्ग भौगोलिक रूप से पार्टी को अभी भी राष्ट्रीय दल मानने को तैयार नहीं था। अमित भाई ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान चला कर भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने का बीड़ा उठा लिया। कहते हैं जब मन सुदृढ़ और विचार अडिग हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता। कठिन परिश्रम, पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं के सहयोग और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ लेते हुए श्री अमित शाह जी ने 11 करोड़ से भी अधिक सदस्यों के साथ भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। इस दौरान अमित भाई के कठिन परिश्रम का अंदाजा इस तथ्य से लगता है कि इतने कम समय में देश के सभी राज्यों का दौरा करने वाले भाजपा के पहले अध्यक्ष बने। उल्लेखनीय है कि इस सदस्यता अभियान के दौरान अमित भाई ने 160634 कि.मी. से भी अधिक दूरी की यात्रा की, जिसका औसत प्रतिदिन 541 कि.मी. से भी अधिक है।
● भाजपा को दुनिया की सबसे बडी़ पार्टी बनाने के बाद अपने “सशक्त भाजपा’’ के अभियान को और मजबूती देते हुए अमित भाई ने राष्ट्रीय स्तर पर “महा-जनसम्पर्क अभियान” शुरू किया। इस जनसम्पर्क अभियान के अंतर्गत भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता विभिन्न कायक्रमों और व्यक्ति से व्यक्ति सम्पर्क के द्वारा नये बने सदस्यों को पार्टी की मुख्यधारा से जोडने का काम किया गया।
वर्ष 2016 में श्री अमित शाह को श्री सोमनाथ मंदिर के ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया । आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और श्री लाल कृष्ण अडवाणी भी इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं ।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित (2016)
24 जनवरी 2016 को श्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित हुए । श्री अमित शाह की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी का निरंतर विस्तार होता रहा।
2017 में गुजरात से राज्यसभा सदस्य बने।
2019 - केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में प्रभार ग्रहण किया
2019 में दुबारा चुनकर आई मोदी सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बने। वर्तमान में वे देश के गृहमंत्री के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
लोकसभासदस्य के रूप में शपथ ली
2019 में दुबारा चुनकर आई मोदी सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बने। वर्तमान में वे देश के गृहमंत्री के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
गृह मंत्री के रूप में अब तककी प्रमुख उपलब्धियां
गुजरात में गृहमंत्री रहते हुए देश की सुरक्षा व सम्प्रभुता के लिए बाधक विषयों पर अमित शाह लगातार ध्यान बनाए रखते थे। आज जब वे देश के गृह मंत्री हैं, तब श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उठाये जा रहे गंभीर क़दमों में अहम भागीदार बन रहे हैं। अपने कार्यकाल के आरंभिक दिनों में ही श्री शाह ने ऐसे कई काम किये हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
· अनुच्छेद 370 का उन्मूलन और कश्मीर का विकास: अमित शाह सुरक्षा को देश की प्रगति में अहम् कारक मानते हैं। अनुच्छेद-370 जैसी दशकों से लंबित समस्या का स्थायी समाधान होने से कश्मीर घाटी में शान्ति और प्रगति की राह खुली है। अनेक कानूनी अड़चनों और राज्यसभा में बहुमत में कमी के कारण अनुच्छेद 370 को हटाने का राह आसान नहीं था। परन्तु, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में श्री शाह ने अपनी रणनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए इन सभी अड़चनों को पार करके अनुच्छेद-370 को हटाने का काम सफलता पूर्वक किया। इस मुद्दे पर संसदीय प्रक्रिया के तहत श्री शाह द्वारा संसद के दोनों सदनों में दिया गया भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के मंसूबों को इस ऐतिहासिक निर्णय ने हतोत्साहित और कमजोर किया है। वहाँ नवाचार की संभावनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं और आज कश्मीर का देश की मुख्य धारा में पूर्ण समावेश हो चुका है। आज जम्मू और कश्मीर देश विकास के लिए देश के अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
· नागरिकता संशोधन कानून (CAA): लम्बे समय से CAA भाजपा के चुनावी घोषणा पत्रों का हिस्सा रहा है, परन्तु मोदी जी के प्रधानमंत्री और शाह के गृह मंत्री बनने तक यह मुद्दा सिर्फ घोषणा पत्रों तक ही सीमित रहा। श्री शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में CAA कानून लाने का न सिर्फ निर्णय लिया, बल्कि सफलतापूर्वक संसद के दोनों सदनों में इसे पारित करवा कर विदेशों में रह रहे लाखों ऐसे भारतीयों को उम्मीद दी जो दशकों से धर्म आधारित भेदभाव और प्रतारणा का दंश झेल रहे थे।
· पूर्वोत्तर में शांति और विकास की राह खोली: पूर्वोत्तर के राज्यों की सीमाओं तथा वहाँ की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी लंबित समस्याओं का शान्तिपूर्वक हल भी गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह ने किया। इस संदर्भ में ब्रू-रियांग समझौता, असम-ब्रू-मेघालय सीमा-विवाद का हल, बोडो-समस्या का निराकरण जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं।
· वामपंथी उग्रवाद पर नकेल: वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर अमित शाह ने ठोस रणनीति बनाई। उनके प्रयासों से आज वामपंथी उग्रवाद का क्षेत्रफल तुलनातमक रूप से बहुत कम हुआ है। आतंकवाद को लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की मुस्तैदी का परिणाम है कि आतंकवादी मंसूबे छिटपुट बाह्य सीमाओं तक सीमित हैं।
· आपदा प्रबंधन पर नया दृष्टिकोण: गृहमंत्री बनने के बाद श्री अमित शाह ने आपदा प्रबन्धन के नए दृष्टिकोण को श्री नरेंद्र मोदी जी के दस सूत्रीय एजेंडे के अनुरूप व्यवस्थित करने का पूरा खाका तैयार किया। उन्होंने आपदा प्रबन्धन हेतु आपदा पूर्व की योजना से लेकर राहत एवं पुनर्वास तक का समेकित दृष्टिकोण रखा। नशा-मुक्त भारत की राह, समाज में व्याप्त नशे के कारोबार की चुनौती तथा इसपर नियंत्रण को लेकर गृह मंत्री रहते श्री अमित शाह ने नीतिगत स्तर पर अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाये, जो प्रभावी होने के साथ-साथ युगानुकूल भी सिद्ध हो रहे हैं।
· नशा मुक्त भारत की राह: समाजमें व्याप्त नशे के कारोबार की चुनौती तथा ड्रग्स कंट्रोल को लेकर गृहमंत्री रहतेअमित शाह ने नीतिगत स्तर पर अनेक कदम उठाये, जो युगानुकूल भी हैं और प्रभावी भीसिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई, 2021 को जब सहकारिता मंत्रालय का गठन किया तो अमित शाह को सहकारिता मंत्री का दायित्व भी मिला। सहकारिता क्षेत्र में श्री अमित शाह का अनुभव विस्तृत एवं व्यापक रहा है। इस मंत्रालय के माध्यम से श्री शाह "सहकारिता से समृद्धि" के मन्त्र के साथ काम कर रहे हैं। शाह का मानना है कि सहकारिता क्षेत्र की देश के जीडीपी को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। सहकारिता आंदोलन को आज के समय की चुनौतियों के लिए तैयार करने, इस क्षेत्र से अस्थिरता को समाप्त करने, पारदर्शितायुक्त व्यवस्था का निर्माण करने तथा सहकारिता के क्षेत्र में छोटे से छोटे किसान का भरोसा बहाल करने के लक्ष्य के साथ अमित शाह इस मंत्रालय के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।
PACs में पारदर्शिता और एफिशिएंसी बढ़ने के उद्देश्य से शाह ने देश की 63000 PACs के कम्प्युटराईजेशन का महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है। सहकारिता के आधुनिकीकरण की राह में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है। सहकारी बैंकों को अन्य बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धी और आधुनिक बनाने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय की संस्तुति पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने सहकारी बैंकों की आवासी लोन की सीमा को दो गुना करने की इजाजत दे दी है। इसके अतिरिक्त अब सहकारी बैंक भी अन्य बैंकों की तर्ज पर डोर स्टेप सेवा दें सकेंगे।