भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह का जन्म 22 अक्तूबर 1964 को मुंबई में रह रहे एक गुजराती परिवार में, श्रीमती कुसुम बेन और श्री अनिलचंद्र शाह के घर, हुआ। अमित शाह के दादा गायकवाड़ के बड़ौदा स्टेट की एक छोटी रियासत मानसा के नगर सेठ थे। '16 साल की आयु तक अमित शाह अपने पैतृक गांव मानसा, गुजरात में ही रहे और वहीँ से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। अमित शाह की प्रारंभिक शिक्षा गायकवाड़ स्टेट के प्रमुख शास्त्रियों की देख रेख में 'भारतीय मूल्य परंपरा' के अनुसार हुई। भारतीय शास्त्रों, ऐतिहासिक ग्रंथों, व्याकरण तथा महाकाव्यों का अध्ययन उन्हें बचपन में कराया गया। भारतीय दर्शन और ग्रंथों के प्रति उनकी अध्ययनशीलता आगे भी बनी रही।
अमित शाह की प्राथमिक शिक्षा पूरी होने के बाद उनका परिवार अहमदाबाद चला गया। 'शाह के जीवन पर उनकी माँ का विशेष प्रभाव रहा। उनकी माँ गांधीवादी थीं। खादी पहनने की प्रेरणा अमित शाह को उन्हीं से मिली। युवाकाल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के दौरान तथा अनेक राष्ट्र प्रेमियों की जीवनियों को पढने के बाद उनके मन में राष्ट्प्रेम व राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा हुई। वे के.एम मुंशी के लेखन से काफी प्रभावित रहे हैं। आपातकाल के दौर में जब देश में 1977 के आम चुनाव हो रहे थे, तब शाह 13 साल के थे। वे मेहसाणा लोकसभा सीट से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल की बेटी मणिबेन पटेल के लिए गलियों में पोस्टर-स्टीकर लगाने निकल पड़े थे।
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अमित शाह का सार्वजनिक जीवन संघ के तरुण स्वयंसेवक के रूप में 1980 में 16 साल की आयु में शुरू होता है। इस बीच वे अखिल भारतीय विद्यार्थी से भी जुड़े। 1982 में शाह को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बनाया गया। परिषद कार्यकर्ता के साथ-साथ उन्होंने 1984 में भाजपा के लिए नारायणपुर वार्ड के सांघवी बूथ के पोलिंग एजेंट के नाते भी काम किया। वे इस वार्ड के वे पार्टी सचिव भी बने। वर्ष 1987 मेंअमित शाह भाजपा के युवा मोर्चा से जुड़े।
अध्ययनशील स्वभाव का होने के कारण अमित शाह अस्सी के दशक में दीनदयाल शोध संस्थान से भी जुड़े। वे इस संस्थान के प्रदेश इकाई में आठ वर्षों तक कोषाध्यक्ष के नाते जुड़े रहे। इस दौरान राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के निकट रहने तथा उनकी कार्यशैली को देखें और सीखने का अवसर अमित शाह को मिला।
साल 1989 में अमित शाह भाजपा के अहमदाबाद नगर सचिव बने। इसी दौर में देशभर में श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन की हवा चल रही थी। अमित शाह ने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन और आगे चलकर एकता यात्रा में पार्टी द्वारा दिए अपने दायित्व को निभाया। श्री लालकृष्ण अडवाणी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी जब-जब गांधीनगर लोकसभा से चुनाव लड़े तो उनके चुनाव प्रबंधनका दायित्व अमित शाह ने बखूबी संभाला। अडवाणी के लोकसभा चुनाव के प्रबंधन का यह दायित्व उन्होंने 2009 तक संभाला।
नब्बे के दशक में गुजरात में भाजपा का उभार तेजी से हो रहा था। श्री नरेंद्र मोदी भाजपा, गुजरात के संगठन सचिव थे। संगठन कार्य में ही अमित शाह का संपर्क श्री नरेंद्र मोदी से हुआ था। गुजरात में भाजपा द्वारा शुरू किये गये सदस्यता अभियान को व्यापक बनाने तथा उसका दस्तावेजीकरण करने के कार्य में शाहपार्टी नेतृत्व के साथ जुड़े रहे।
व्यापारिक पृष्ठभूमि से आने वाले अमित शाह की वित्तीयव्यवस्था को लेकर समझ शुरूआती दौर में ही बहुत परिपक्व थी। राजनीति में प्रवेश केशुरूआती दिनों तक वे अपने व्यवसाय से जुड़े रहे। किंतु राजनीति में अधिक सक्रीय होने के बाद वे व्यवसाय कार्यों को समय नहीं दे सके। "वर्ष 1995 में जब अमित शाह गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने, तब उन्हें निगम की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए अपने व्यवसायिक समझ के सही उपयोग का अवसर मिला। उनकी वित्तीय सूझबूझ के कारण उनके कार्यकाल में निगम घाटे से न सिर्फ बाहर आया बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। उनके कार्यकाल में ही निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त, कार्यशील पूंजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरूआत हुई।"
साल 1997 में अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चे का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया। इसी साल गुजरात की सरखेज विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और वे पहली बार 25,000 मतोंके अंतर से जीतकर विधायक बने। तबसे लेकर 2012 के विधानसभा चुनाव तक हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा और वे लगातार विधायक के नाते चुनकर आते रहे। नारणपुरा से जब वह पांचवी बार विधानसभा का चुनाव लडे तो मतदाताओं की संख्या पूर्व से एक चौथाई रह जाने के बावजूद जीत का अंतर 63235 वोट रहा। विधायक के नाते अपने लंबे कार्यकाल में अमित शाह ने विधायक निधि के अलावा अन्य स्रोतों से क्षेत्र में विकास कार्यों को गति दी। 1998 में वे गुजरात भाजपा का प्रदेश सचिव बने तथा महज एक साल के अंदर उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी।
"वर्ष 2000 में अमित शाह 36 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (ADCB) के सबसे युवा अध्यक्ष बने। एक साल के उनके कार्यकाल में इस बैंक ने 20.28 करोड का घाटा पूरा किया तथा बैंक ने 6.60 करोड के लाभ में आकर 10 प्रतिशत लाभांश वितरण भी किया। " इसके ठीक एक साल बाद 2001 में अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया।
श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार गुजरात में हुए 2002 के विधानसभा चुनाव में आयोजित 'गौरव-यात्रा' में शाह को पार्टी द्वारा महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई और अमित शाह सरकार में मंत्री बने। वे 2010 तक गुजरात सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। उन्हें गृह विभाग, यातायात, निषेध, संसदीयकार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी। गृहमंत्री रहते उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण, सड़कों की सुरक्षा, अपराध में कमी को लेकर उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये।
क्रिकेट और शतरंज में रुचि रखने वाले अमित शाह ने 2006 में मंत्री रहते हुए चेस एसोसिएशन के चेयरमैन का पदभार ग्रहण किया। 'उन्होंने अहमदाबाद के प्राथमिक विद्यालयों में शतरंज को प्रयोग के तौर पर शामिल करवाया। ' यह प्रयोग बच्चों के मानसिक क्षमता के विकास में काफी उपयोगी साबित हुआ। आगे चलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर इसे प्रदेश भर के स्कूलों में शामिल कर लिया गया। इस दौरान गुजरात में पहली बार शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता ’’नेशनल बी’’ आयोजित हुई। 20 हजार खिलाड़ी प्रतियोगिता में शामिल हुए और यह गिनीजबुक ऑफ़ वर्ल्ड में दर्ज हुआ। 4 हजार महिला शतरंज खिलाड़ियों की प्रतियोगिता भी लिम्का बुक में दर्ज हुई।
2009 में श्री नरेंद्र मोदी कीअध्यक्षता में उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन का वाईस-चेयरमैन बनने का भी मौकामिला। वे अहमदाबाद सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान क्रिकेट के क्षेत्र में गुजरात को कई ख्यातियां मिली। श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमित शाह गुजरात क्रिकेट एसोसीएशन के अध्यक्ष बने।
अमित शाह के पास गुजरात के गृहमंत्री होने के नाते सुरक्षा का दायित्व था। एक सजग और सचेत प्रशासक के रूप में अमित शाह कमजोर और लुंज-पुंज सुरक्षा को वे समाज और देश-प्रदेश के विकास में बड़ा बाधक मानते हैं। गुजरात में मंत्री रहते सुरक्षा से जुड़े विषयों पर वे गंभीरता से काम करते रहे। गुजरात में मंत्री रहते सोहराबुद्दीन एनकाउन्टर का फर्जी आरोप अमित शाह पर लगा। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया। मुकदमे के दौरान उन्हें तीन महीने जेल में भी रहना पड़ा। फिर उन्हें जमानत देते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि ‘‘अमित शाह के विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता।" आगे चलकर 2015 में विशेष सीबीआई अदालत ने अमित शाह को इस टिप्पणी के साथ सभी आरोपों से बरी किया कि उनका केस ’’राजनीति से प्रेरित’’ था।
2012 में अमित शाह नारनपूरा से फिर विधायक चुने गये। भाजपा ने उनकी सांगठनिक क्षमता को राष्ट्रीय कार्य में उपयोग करने के लिए 2013 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री बना दिया। 2014 के चुनाव में भाजपा ने जब श्री नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा गया। श्री नरेंद्र मोदी को देश ने बहुमत का जनादेश दिया तो यूपी से भाजपा को 73 सीटें मिलीं। यह एक बड़ी सफलता थी।
अमित शाह 9 जुलाई 2014 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये गये। उनका पहला कार्यकाल 2016 तक चला। अपने पहले कार्यकाल में अमित शाह ने नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को संगठन की मजबूती का माध्यम बनाकर एक के बाद एक कई राज्यों में भाजपा के सांगठनिक आधार को मजबूत किया। महा सदस्यता अभियान चलाकर भाजपा के सदस्यों की संख्या को सिर्फ पांच महीनों में 11 करोड़ तक पहुँचाया। पार्टी को युगानुकुल चलाने के लिए अमित शाह ने अध्यक्ष रहते अनेक नवाचार किये। विभागों और प्रकल्पों की रचना की। प्रवासों के चक्र को सघन बनाया। बैठकों को व्यवस्थित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुए। कार्यालयों में पुस्तकालय और ई-पुस्तकालय पर उन्होंने विशेष जोर दिया। आज भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय सहित अनेक कार्यालयों में पुस्तकालय चल रहे हैं। उनके अध्यक्ष रहते हरियाणा, महाराष्ट्र,असम सहित नार्थ ईस्ट के राज्यों में पहली बार भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी। इसके बाद भाजपा ने 2016 में उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किया। 2016 में वे सोमनाथ मंदिर न्यास के न्यासी भी बने।
साल 2017 में अमित शाह गुजरात से राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह ने पार्टी की विचारधारा, कार्यशैली को आगे बढ़ाने लिए देश के हर राज्य में संगठनात्मक प्रवास किया। इस दौरान भाजपा को कई महत्वपूर्ण चुनावी सफलताएं भी मिली।
2019 का लोकसभा चुनाव आते-आते पार्टी का आधार देश भर में व्यापक हो चुका था। श्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का आधार और मजबूत हो चुका था। श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा 2019 के चुनाव में गयी तो 2014 सेभी बड़ा जनादेश हासिल किया।
1997 से लागतार 2017 तक गुजरात विधानसभा सदस्य के के रूप में जन प्रतिनिधि रहे अमित शाह 2019 में पहली गांधीनगर से लोकसभा का चुनाव लड़े. उन्हें गांधीनगर से विराट जीत मिली. लगभग 70 फीसद वोट हासिल कर 5 लाख 57 हजार वोटों के अंतर से उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी से जीत हासिल की.
2019 में दुबारा चुनकर आई मोदी सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बने। वर्तमान में वे देश के गृहमंत्री के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। गुजरात में गृहमंत्री रहते देश की सुरक्षा वसम्प्रभुता के लिए बाधक विषयों पर अमित शाह लगातार ध्यान आकर्षित करते थे। आज जबवे देश के गृहमंत्री हैं तब श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन विषयों पर उठाये जा रहे गंभीर क़दमों में अहम भागीदार बन रहे हैं। उनके गृहमंत्री रहते केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370, समाननागरिक संहिता सहित देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्द्य बनाने से जुड़े अनेक ऐतिहासिक और दशकों से लंबित विषयों पर समाधानपरक निर्णय लिए हैं।
अमित शाह सुरक्षा को देश की प्रगति में अहम् कारक मानते हैं. अनुच्छेद-370 जैसी दशकों से लंबित समस्या का स्थायी समाधान होने से कश्मीर घाटी में शान्ति और प्रगति की राह खुली है. कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के मंसूबों को इस ऐतिहासिक निर्णयने हतोत्साहित और कमजोर किया है. वहां नवाचार की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.
पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं तथा वहां की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी लंबित समस्याओं का शान्ति पूर्वक हल भी गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह ने किया. ब्रू-रियांग समझौता, असम-मेघालय सीमाविवाद का हल, बोडो समस्या का निराकरण जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं. वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर अमित शाह ने ठोस रणनीति बनाई. आज वामपंथी उग्रवाद का क्षेत्रफल दायरा तुलनातमक रूप से बहुत कम हुआ है. आतंकवाद को लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की मुस्तैदी का परिणाम है कि आतंकवादी मंसूबे छिटफुटवाह्य सीमाओं तक सीमित हैं.
गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह ने आपदा प्रबन्धन के नए दृष्टिकोण को नरेंद्र मोदी जी के दस सूत्रीय एजेंडे के अनुरूप व्यवस्थित करने का पूरा खाका तैयार किया. आपदा प्रबन्धन को आपदा पूर्व की योजना से लेकर राहत एवं पुनर्वास तक का दृष्टिकोण रखा.
समाज में व्याप्त नशे के कारोबार की चुनौती तथा ड्रग्स कंट्रोल को लेकर गृहमंत्री रहते अमित शाह ने नीतिगत स्तर पर अनेक कदम उठाये, जो युगानुकूल भी हैं और प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई, 2021 को जब सहकारिता मंत्रालय का गठन किया तो अमित शाह को सहकारिता मंत्री का दायित्व भी मिला. सहकारिता क्षेत्र में अमित शाह का अनुभव विस्तृत एवं व्यापक है. सहकारिता आंदोलनको आज के समय की चुनौतियों के लिए तैयार करने, अस्थिरता को समाप्त करने, पारदर्शिता युक्त व्यवस्था का निर्माण करने तथा सहकारिता क्षेत्र में छोटे से छोटे किसान का भरोसा बहाल करने लक्ष्य के साथ अमित शाह इस मंत्रालय के माध्यम से कार्य कर रहे हैं.
अलग-अलग तरह के खानों के शौक़ीन अमित शाह को साहिर लुधियानवी की लिखी गजलें पसंद हैं। साथ ही, उन्हें चेस खेलना पसंद है। 2006 के बाद से अब तक वे कभी विदेश यात्रा पर नहीं गये हैं। वे अपनी अनुशासित कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। इतिहास के अध्ययन में उनकी खास रुचि है तथा अध्यात्म के चिंतन में उनका नजरिया बड़ा स्पष्ट है। समग्रतः कर्मठता ही उनकी पहचान है।
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अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में श्रीमती कुसुमबेन और श्री अनिलचंद्र शाह के यहाँ हुआ। सोलह वर्ष की आयु तक वे अपने पैतृक गाँव मान्सा, गुजरात में ही रहे और वहीं स्कूली शिक्षा प्राप्त की। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उनका परिवार अहमदाबाद चला गया। बचपन में वह सदैव महान राष्ट्रभक्तों की जीवनियों से प्रेरित हुआ करते थे, इसी प्रेरणा के फलस्वरूप उन्होंने भी मातृभूमि की सेवा करने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का स्वप्न देखा।
1980 में 16 वर्ष की आयु में अमित शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा से प्रेरित होकर संघ के स्वयंसेवक बने और उसकी छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के कार्यकर्ता बन विभिन्न संगठनात्मक गतिविधियों में भाग लेकर सक्रिय हुए।
अमित शाह की कार्यकुशलताऔर सक्रियता का ही प्रमाण था कि उन्हें दो वर्ष बाद 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बनाया गया।
1987 में श्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल हुए और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। शाह ने युवा मोर्चा की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।
श्री राम जन्मभूमि आंदोलन और एकता यात्रा में सफलतापूर्वक प्रचार-प्रसारकी जिम्मेदारी निभायी। इसी दौरान अमित शाह का संपर्क श्री लालकृष्ण आडवाणी से तब हुआ जब श्री आडवाणी गाँधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। अमित शाह ने पहली बार से लेकर 2009 तक लगातार कई चुनावों में श्री आडवाणी के चुनाव-संयोजक की जिम्मेदारी का निर्वहन सफलतापूर्वक किया। जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े तो उनके चुनाव संयोजक का दायित्व भी अमित शाह ने सफलतापूर्वक निभाया।
1995 में अमित शाह गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने। अमित शाह के कार्यकाल के दौरान निगम घाटे से न सिर्फ बाहर आया बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। अमित शाह की अध्यक्षता में निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त, कार्यशील पूँजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरूआत हुई।
● गुजरात प्रदेश वित्त निगम प्रदेश के लघु उद्योगों को टर्मलोन और वर्किंग कैपिटल प्रदान करके उनकी विकास को गति देने वाला एक महत्त्वपूर्ण संस्थान है।
● अमित शाह की कार्यकाल के दौरान निगम घाटे से न सिर्फ बाहर आया बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
● इसी दौरान पब्लिक इशू के जरिए निगम की शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई और निगम को पब्लिक लिमिटिड कम्पनी का दर्जा मिला।
● अमित शाह की अध्यक्षता में निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त,कार्यशील पूँजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरूआत हुई।
अमितशाह की राजनीतिक सक्रियता और कार्यकुशलता के कारण उन्हें 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया ।
1997 में अमित शाह ने पहली बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधायक पद के लिए नामांकन भरा और भारी मतों से विजय हुए | विधानसभा क्षेत्र में अमित शाह की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आने वाले प्रत्येक चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा।
विधायक के तौर पर अमित शाह ने अपने लगभग दो दशकों के कार्यकाल के दौरान राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक राजनीतिक और गैर राजनीतिक पदों पर काम किया जिसकी वजह से वह लम्बे समय तक क्षेत्र से बाहर रहे। परन्तु इस व्यस्तता के बावजूद क्षेत्र के विकास कार्यों की रफ्तार में कमी नहीं आने दी और वे लगातार क्षेत्रवासियों के संपर्क मे रहे। विधानसभा क्षेत्र में अमित शाह की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगता है कि आने वाले प्रत्येक चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा। पहली बार जब वह चुनाव लडे़ तो जीत का अंतर 24689 था जो अगले चुनाव मे बढ़कर 132477 हो गया और अगले दो चुनावो में अमित शाह रिकॉर्ड 288327 और 232823 वोटों / मतों से जीते। परिसीमन के बाद नई बनी विधानसभा नारणपुरा से जब वह पांचवी बार विधानसभा का चुनाव लड़े तो मतदाताओं की संख्या पूर्व से एक चौथाई रह जाने के बावजूद जीत का अंतर 63235 वोट रहा। अपनी स्वयं की विधायक निधि के अलावा AUDA, राज्य सरकार, और अन्य स्त्रोतों द्वारा हजारों करोड़ रूपये की व्यवस्था करके अमित शाह ने निम्नलिखित जनकल्याण की योजनाओं को कार्यान्वयित करके अपने क्षेत्र के निवासियों की लगातार सेवा की है।
● अमित शाह का विधानसभा क्षेत्र गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र था जो कि तीन ताल्लुकों में फैला था। इस सारे क्षेत्र का पानी फ्लोराइड से प्रदूषित था जिसकी वजह से क्षेत्रवासी तरह - तरह की बीमारियों से पीड़ित थे। विधायक बनने के बाद अमित शाह ने 1400 करोड़ की लागत की योजनाओं द्वारा सारे क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराकर वर्षों पुरानी पेयजल की समस्या का समाधान कर लोगों को राहत दी।
● युवा शक्ति को देश का भविष्य मानने वाले अमित शाह ने विधानसभा क्षेत्र में एक अत्याधुनिक खेल संकुल का निर्माण किया। इस खेल सकुंल में बैडमिंटन, टेबल टेनिस, तैराकी, स्केटिंग,वालीबॉल और क्रिकेट जैसी कई खेल सुविधायें उपलब्ध हैं।
● पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अमित शाह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में 75 उद्यानों का निर्माण और सवा लाख सें अधिक वृक्षों का रोपण करवाया।
● स्वच्छता को ध्यान में रखते हुये 80 करोड़ की लागत से 30 किमी। लम्बी नालियों का निर्माण कराकर क्षेत्र को जलभराव की समस्या से राहत दी।
● “जल ही जीवन’’ की महत्ता को बहुत पहले ही समझ कई जलाशयों का निर्माण करके “रेन वाटर हारवेस्टिंग’’ को बढ़ावा दिया।
● अपने स्वच्छता के अभियान को आगे बढ़ाते हुए ’डोर स्टेप’ पर कचरा एकत्र करा के ‘सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट प्लांट’ का निर्माण किया।
● घनी आबादी वालें क्षेत्रो में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए अमित शाह ने कई फ्लाईओवरों, ब्रिजों, अन्डरब्रिजों और एक रिंग रोड का निर्माण कराया। इस आधुनिक यातायात व्यवस्था की वजह से न सिर्फ लोगों का समय बचा बल्कि क्षेत्र को प्रदूषण से भी राहत मिली।
● विधानसभा क्षेत्र में श्मशान न होने की वजह से आम जनता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अमित शाह के उपक्रम ने AUDA, सांसद निधि, विधायक निधि द्वारा संसाधन उपलब्ध करा के एक आधुनिक श्मशान गृह की स्थापना कर के जनता को भारी राहत दी।
● प्राकृतिक सौन्दर्य से मानसिक विकास की महत्ता को समझते हुए अमित शाह ने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में “गौरव पथ’’ और फव्वारों का निर्माण करवाया।
● विधानसभा क्षेत्र की अनेक झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीबों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करवाकर खाली हुई जमीन का सौन्दर्यीकरण करवाया।
अमित शाह की संगठनात्मक कुशलता के कारण उन्हें 1998 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई का प्रदेश सचिव बनाया गया ।
1998 के मात्र एक वर्ष बाद ही 1999 में अमित शाह को संगठन द्वारा भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई ।
अमित शाह सिर्फ 36 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (ADCB) के सबसे युवा अध्यक्ष बने। मात्र एक साल में अमित शाह ने न सिर्फ 20।28 करोड़ का घाटा पूरा किया बल्कि बैंक को 6.60 करोड़ के लाभ में लाकर 10 प्रतिशत लाभांश का वितरण भी किया।
अध्यक्ष, अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के रूप में उपलब्धियाँ
● अमित शाह सिर्फ 36 वर्ष की उम्र में ADCB के सबसे युवा अध्यक्ष बने।
● जब उन्होंने ADCB की कमान सम्भाली, बैंक 20.28 करोड़ के घाटे में था और जमा कर्ताओं को वर्षो से लाभांश नहीं दिया गया था। अमित शाह ने बैंक के पुनरुद्धार का प्रस्ताव रखा। उनके इस प्रस्ताव का सार्वजनिक उपहास किया गया। परन्तु अपनी कार्यकुशलता के जरिये सिर्फ एक साल में अमित शाह ने न सिर्फ 20.28 करोड़ का घाटा पूरा किया बल्कि बैंक को 6.60 करोड़ के लाभ में लाकर 10 प्रतिशत लाभांश का वितरण भी किया। इस सफलता को जारी रखते हुये अगले साल ’’शेयर होल्डर्स’’ को 13.77 प्रतिशत का लाभांश मिला। उनके कार्यकाल में ADCB गुजरात का नबंर 1 बैंक बना।
● उनके कार्यकाल के दौरान बैंक के कार्य क्षेत्र का विस्तार करके सरकारी सुरक्षा निधि के क्रेडिट के द्वारा बैंक ने 262 प्रतिशत लाभ का इतिहास रचा।
● इसी दौरान स्टेट बैंक आफ इंडिया ने सहकारी बैंको की FD पर दी जाने वाली ओवर ड्राफ्टिंग की सुविधा बन्द कर दी थी जिससे सहकारिता आन्दोलन के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया। परन्तु अमित शाह की लगन और अथक प्रयासो के कारण सिर्फ 48 घंटों में स्टेट बैंक को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा जिसका लाभ ADCB के साथ-साथ अन्य सहकारी बैकों को भी मिला।
● कृषि से जुड़े मजदूरों और किसानों की वेदना समझते हुए अमित शाह ने इस वर्ग को दी जाने वाली 2 हजार रुपये की बीमा सुरक्षा को बढ़ाकर 10 हजार और 500 वाली बीमा सुरक्षा को बढ़ाकर 2500 किया।
● अमित शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात के माधेपुरा बैंक के बंद हो जाने की वजह से 3 लाख खातेदारों, डिपोजिटर्स और सहकारी बैंकों के 800 करोड़ रूपये डूबने की कगार पर थे। इस घटना ने गुजरात के सभी सहकारी बैंकों की विश्वसनियता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। परिणाम स्वरूप सहकारी बैंकों से जुड़े लाखों लोगों ने बैंक से पैसा निकालने की कोशिश की जिससे गुजरात में सहकारी बैंकों का अस्तित्व खतरे में आ गया था।
● यहाँ तक कि इस सदमे की वजह से अमित शाह की विधानसभा क्षेत्र के एक निवासी ने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने अमित शाह को इतना द्रवित किया कि उन्होंने माधेपुरा बैंक के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाते हुये लक्ष्य प्राप्ति तक दाढ़ी ट्रिम न करने का प्रण किया। इस प्रयास में उन्होंने राज्य के सहकारिता से जुड़े प्रमुख लोगों, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय संस्थाओं से सम्पर्क साध कर एक प्रभावी योजना बनायी और माधेपुरा बैंक को वापस पटरी पर लाने में सफलता प्राप्त की। बैंक के पुनरुद्धार के साथ-साथ उन्होंने “डिपाजिट इंश्योरेंस योजना’’ लाकर बैंक के खातेदारों और डिपोजिटर्स के 400 करोड़ रूपये वापस भी दिलाये।
2001 में अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया। अमित शाह के कार्यकाल के दौरान उनके काम को इतना सराहा गया कि कुछ लोगों ने उन्हें सहकारिता आन्दोलन के पितामह तक की उपाधि दे डाली।
अमित शाह ने 2002 में पहली बार मंत्री पद की शपथ ली और गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में अमित शाह को गृह, यातायात, निषेध, संसदीय कार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी।
गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में अमित शाह को गृह, यातायात, निषेध, संसदीय कार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए अमित शाह ने मंत्री के रूप अपनी जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निभाते हुए सभी विभागों में दर्ज़नो अभूतपूर्व काम किये, परन्तु विशेष रूप से गृह विभाग में उनके द्वारा किये गए कई कामों को गुजरात में आज तक सराहा जाता है। शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात की अपराध दर में अभूतपूर्व गिरावट आयी। इसका संज्ञान लेते हुए भारत सरकार के “नेशनल क्राइम ब्यूरो” ने श्रम और औद्योगिक सुरक्षा के मामले में गुजरात को सबसे शांत प्रदेश माना। अमित शाह ने गुजरात पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए ढेरों महत्त्वपूर्ण कदम उठाये, इनमेसे सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली अत्याधुनिक फोरेंसिक प्रयोगशाला का निर्माण था। सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्राथमिकता देते हुए अमित शाह ने अपने कार्यकाल के दौरान गुजरात में सांप्रदायिक उन्माद की एक भी घटना नहीं होने दी। विकास और आधुनिकता का प्रतीक माने जाने वाले हाईवे सड़कों पर आनेजानेवालों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए अमित शाह ने हाईवे ट्राफिक पुलिस का पुनर्गठन करके हाइवे पर होने वाली दुर्घटनाओं और अपराधों को लगभग शून्य पर पहुँचा दिया।
2006 में अमित शाह “गुजरात चेस संघ” के अध्यक्ष बने और उनके कार्यकाल के दौरान गुजरात में पहली बार शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता ‘नेशनल बी’ आयोजित हुई।
● अमित शाह की सोच है कि शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मानसिक व्यायाम भी सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिये आवश्यक है। इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिये उन्होंने अहमदाबाद के प्राथमिक विद्यालयों में शतरंज को प्रयोग के तौर पर शामिल करवाया। इस प्रयोग के बाद किये गये एक अध्ययन से पता लगा कि शतरंज के अभ्यास से बच्चों का मानसिक स्तर सामान्य से अधिक गति से विकसित हुआ। तदुपरान्त गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के सुझाव पर शतरंज को प्रदेश स्तर पर सरकारी स्कूलों के अभ्यासक्रम में सम्मिलित कर लिया गया।
● अमित शाह के कार्यकाल के दौरान गुजरात में पहली बार शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता ’’नेशनल बी’’ आयोजित हुई।
● इसी दौरान अहमदाबाद में एक शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 20,000 खिलाड़ियों ने एक साथ भाग लेकर मैक्सिको में 18000 की भागीदारी वाली “साइमल चेस प्रतियोगिता’’ के विश्व कीर्तिमान को तोड़ कर “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स” में गुजरात का नाम दर्ज कराया।
● उल्लेखनीय है कि ऐसी ही एक प्रतियोगिता में एक साथ 4000 महिला खिलाड़ियों की हिस्सेदारी होने से गुजरात चेस एसोसिएशन को “लिमका बुक आफ रिकार्ड्स’’ में भी शामिल होने का गौरव मिला।
● अमित शाह के कार्यकाल में गुजरात के कई शतरंज खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया जिनमें प्रमुख खिलाड़ी ‘तेजस बाकरे’ और ‘अंकित राजपरा’ ग्राण्ड मास्टर बने और सुश्री ‘ध्यानी दबे’ अंतरराष्ट्रीय महिला मास्टर बनी।
श्री अमित शाह को 2009 में अहमदाबाद सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष और गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया ।
● अमित शाह के प्रयासों से “गुजरात साईंस कालेज क्रिकेट ग्राउण्ड” राज्य सरकार से निकल कर GCA के अधिकार क्षेत्र में आया। उल्लेखनीय है कि अब इस मैदान में प्रतिवर्ष 200 से भी अधिक क्रिकेट मैचों का आयोजन होता है। जिसके परिणाम स्वरूप अभी तक IPL में गुजरात के एक दर्जन से भी अधिक खिलाड़ियों की भागीदारी संभव हुई है।
● अमित शाह ने GCA के कार्य को प्रभावी बनाने के लिये अकेडमी में निदेशक, उपनिदेशक और प्रशिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान करवाया, जिसके फलस्वरूप गुजरात से कई युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को भारत की “अण्डर-19’’ टीम में जगह मिली।
● अपनी आर्थिक नियोजन की प्रतिभा का भरपूर उपयोग करके अमित भाई ने GCA की आर्थिक स्थिति में भारी सुधार लाया और इसकी 22.25 करोड़ की डिपोजिट राशि को 163 करोड़ तक पहुँचा दिया।
● अमित शाह ने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिये गुजरात के उन सभी खिलाड़ियों को पेंशन योजना में शामिल किया, जिन्होंने सिर्फ एक ही रणजी ट्राफी मैच खेला था। पूर्व में BCCI के मानकों के अनुसार पेंशन का लाभ कम से कम 24 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को ही मिलता था। अमित भाई ने खिलाड़ियों की पत्नियों को भी पेंशन दिलवा कर खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा देने का नया इतिहास रचा।
● आपके के प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
राजनीतिक द्वेष के चलते 2010 में फर्जी एनकाउंटर के मामले में श्री अमित शाह को जेल भेज दिया गया। 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस फर्जी एनकाउंटर केस में अमित भाई को इस रिमार्क के साथ बरी कर दिया कि “यह पूरा का पूरा केस राजनीतिक रूप से प्रेरित था”।
“यह पूरा का पूरा केस राजनैतिक रूप से प्रेरित था”
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में अमित भाई ने जिस तरह से गुजरात प्रदेश से कांग्रेस पार्टी का सफाया किया उससे वह शुरू से ही राजनीतिक विरोधियों की आँख की किरकिरी बन गये। गृहमंत्री के रूप में आपने गुजरात पुलिस के आधुनिकरण के नये कीर्तिमान स्थापित किये थे। इसी कार्यकाल के दौरान 2005 में कुख्यात आतंकवादी सोहराबुद्दीन शेख का गुजरात में एनकाउन्टर हुआ। परन्तु द्वेष-भाव से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की केन्द्र सरकार ने अमित भाई के ऊपर 2006 में फर्जी एनकाउंटर का केस जड़ दिया। उल्लेखनीय है कि गत कुछ वर्षों में गुजरात में 19 और देश भर में 1200 एनकाउंटर हुये थे, परन्तु कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने जाँच के लिये गुजरात के सारे के सारे 19 केस और देश के बाँकी 1181 केसों में सिर्फ 1 केस को चुना।
इस फर्जी एनकाउंटर के मामले में अमित भाई को 2010 में जेल भेज दिया गया। परन्तु 90 दिनों के बाद “There is no prima facie evidence against Amit Shah” के रिमार्क के साथ उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। उन्हें जमानत मिलने के बाद भी दो वर्षों तक गुजरात प्रदेश के बाहर रहना पड़ा। कहते हैं कि झूठ के पैर नहीं होते, 2015 में CBI की एक विशेष अदालत ने इस फर्जी एनकाउंटर केस में अमित भाई को इस रिमार्क के साथ बरी कर दिया कि “यह पूरा का पूरा केस राजनीतिक रूप से प्रेरित था”।
अमित भाई की कार्यक्षमता को पहचानते हुये भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीती।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (उत्तर प्रदेश प्रभारी) के रूप में उपलब्धियां
● अमित शाह की कार्यक्षमता को पहचानते हुये भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। उत्तर प्रदेश का कमान जिस समय आपके हाथों में आयी, उस समय प्रदेश में पार्टी की दशा दयनीय थी, जिसका प्रमाण 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले सिर्फ 12% वोट थे।
● अमित शाह ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश के संगठन को पुनः जीवित किया बल्कि पार्टी में ऐसे नये सामाजिक वर्गों को भी जोड़ा जो कि पूर्व में कभी भी भाजपा के साथ नहीं थे।
● संगठन को मजबूती देने के साथ-साथ अमित भाई ने बसपा और सपा जैसे स्थापित राजनीतिक दलों से जमीनी लड़ाई के लिये प्रभावी कार्यक्रम बनाया। उनके अथक प्रयासों और मजबूत रणनीति का ही परिणाम था कि भाजपा को श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का पूरा फायदा मिला और इतिहास रचते हुये अपने सहयोगी दलों के साथ भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीती। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 42.6% था जो कि अब तक का सर्वाधिक है।
2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री अमित शाह को “गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन” का अध्यक्ष नियुक्त किया गया । उनके प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
गुजरात क्रिक्केट एसोसिएशन केअध्यक्ष के रूप में उपलब्धियां
● अमित शाह के प्रयासों से “गुजरात साईंस कालेज क्रिकेट ग्राउण्ड” राज्य सरकार से निकल कर GCA के अधिकार क्षेत्र में आया। उल्लेखनीय है कि अब इस मैदान में प्रतिवर्ष 200 से भी अधिक क्रिकेट मैचों का आयोजन होता है। जिसके परिणामस्वरूप अभी तक IPL में गुजरात के एक दर्जन से भी अधिक खिलाड़ियों की भागीदारी संभव हुई है।
● अमित शाह ने GCA के कार्य को प्रभावी बनाने के लिये अकेडमी में निदेशक, उपनिदेशक और प्रशिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान करवाया। जिसके फलस्वरूप गुजरात से कई युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को भारत की “अण्डर-19’’ टीम में जगह मिली।
● अपनी आर्थिक नियोजन की प्रतिभा का भरपूर उपयोग करके अमित भाई ने GCA की आर्थिक स्थिति में भारी सुधार लाया और इसकी 22.25 करोड़ की डिपोजिट राशि को 163 करोड़ तक पहुँचा दिया।
● पूर्व-क्रिकेट खिलाड़ियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिये गुजरात के उन सभी खिलाड़ियों को पेंशन योजना में शामिल किया जिन्होंने सिर्फ एक ही रणजी ट्राफी मैच खेला था। पूर्व में BCCI के मानकों के अनुसार पेंशन का लाभ कम से कम 24 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को ही मिलता था। अमित भाई ने खिलाड़ियों की पत्नियों को भी पेंशन दिलवा कर खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा देने का नया इतिहास रचा।
● आपके के प्रयासों से GCA का “मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम” आज दुनिया के सबसे आधुनिक स्टेडियमों की श्रेणी में आने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
श्री अमित शाह की कार्यक्षमता और पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को पहचानते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हे जुलाई 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। मात्र 49 वर्ष के अमित शाह पार्टी के इतिहास में सबसे युवा अध्यक्ष बने।
● अमित शाह की कार्यक्षमता और पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को पहचानते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें जुलाई 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।
● जिस समय अमित भाई ने पार्टी की कमान संभाली उनकी उम्र सिर्फ 49 वर्ष थी, जो कि अभी तक के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षों में सबसे कम है। उनकी कम उम्र के अनुभवों और क्षमताओं को आँकना गलत होगा, क्योंकि उन्होंने अल्प आयु से ही RSS के स्वयंसेवक के रूप में जन-सेवा और राष्ट्र-निर्माण में वृहत भागीदारी की थी।
● तीस वर्षों के बाद केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बावजूद भाजपा से राजनीतिक और वैचारिक मतभेद रखने वाला अभिजात्य वर्ग भौगोलिक रूप से पार्टी को अभी भी राष्ट्रीय दल मानने को तैयार नहीं था। अमित भाई ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान चला कर भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने का बीड़ा उठा लिया। कहते हैं जब मन सुदृढ़ और विचार अडिग हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता। कठिन परिश्रम, पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं के सहयोग और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ लेते हुए श्री अमित शाह जी ने 11 करोड़ से भी अधिक सदस्यों के साथ भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। इस दौरान अमित भाई के कठिन परिश्रम का अंदाजा इस तथ्य से लगता है कि इतने कम समय में देश के सभी राज्यों का दौरा करने वाले भाजपा के पहले अध्यक्ष बने। उल्लेखनीय है कि इस सदस्यता अभियान के दौरान अमित भाई ने 160634 कि.मी. से भी अधिक दूरी की यात्रा की, जिसका औसत प्रतिदिन 541 कि.मी. से भी अधिक है।
● भाजपा को दुनिया की सबसे बडी़ पार्टी बनाने के बाद अपने “सशक्त भाजपा’’ के अभियान को और मजबूती देते हुए अमित भाई ने राष्ट्रीय स्तर पर “महा-जनसम्पर्क अभियान” शुरू किया। इस जनसम्पर्क अभियान के अंतर्गत भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता विभिन्न कायक्रमों और व्यक्ति से व्यक्ति सम्पर्क के द्वारा नये बने सदस्यों को पार्टी की मुख्यधारा से जोडने का काम किया गया।
वर्ष 2016 में श्री अमित शाह को श्री सोमनाथ मंदिर के ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया । आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और श्री लाल कृष्ण अडवाणी भी इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं ।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित (2016)
24 जनवरी 2016 को श्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित हुए । श्री अमित शाह की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी का निरंतर विस्तार होता रहा।
2017 में गुजरात से राज्यसभा सदस्य बने।
2019 - केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में प्रभार ग्रहण किया
2019 में दुबारा चुनकर आई मोदी सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बने। वर्तमान में वे देश के गृहमंत्री के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
लोकसभासदस्य के रूप में शपथ ली
2019 में दुबारा चुनकर आई मोदी सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बने। वर्तमान में वे देश के गृहमंत्री के तौर पर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
गृह मंत्री के रूप में अब तककी प्रमुख उपलब्धियां
गुजरात में गृहमंत्री रहते हुए देश की सुरक्षा व सम्प्रभुता के लिए बाधक विषयों पर अमित शाह लगातार ध्यान बनाए रखते थे। आज जब वे देश के गृह मंत्री हैं, तब श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उठाये जा रहे गंभीर क़दमों में अहम भागीदार बन रहे हैं। अपने कार्यकाल के आरंभिक दिनों में ही श्री शाह ने ऐसे कई काम किये हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
· अनुच्छेद 370 का उन्मूलन और कश्मीर का विकास: अमित शाह सुरक्षा को देश की प्रगति में अहम् कारक मानते हैं। अनुच्छेद-370 जैसी दशकों से लंबित समस्या का स्थायी समाधान होने से कश्मीर घाटी में शान्ति और प्रगति की राह खुली है। अनेक कानूनी अड़चनों और राज्यसभा में बहुमत में कमी के कारण अनुच्छेद 370 को हटाने का राह आसान नहीं था। परन्तु, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में श्री शाह ने अपनी रणनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए इन सभी अड़चनों को पार करके अनुच्छेद-370 को हटाने का काम सफलता पूर्वक किया। इस मुद्दे पर संसदीय प्रक्रिया के तहत श्री शाह द्वारा संसद के दोनों सदनों में दिया गया भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के मंसूबों को इस ऐतिहासिक निर्णय ने हतोत्साहित और कमजोर किया है। वहाँ नवाचार की संभावनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं और आज कश्मीर का देश की मुख्य धारा में पूर्ण समावेश हो चुका है। आज जम्मू और कश्मीर देश विकास के लिए देश के अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
· नागरिकता संशोधन कानून (CAA): लम्बे समय से CAA भाजपा के चुनावी घोषणा पत्रों का हिस्सा रहा है, परन्तु मोदी जी के प्रधानमंत्री और शाह के गृह मंत्री बनने तक यह मुद्दा सिर्फ घोषणा पत्रों तक ही सीमित रहा। श्री शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में CAA कानून लाने का न सिर्फ निर्णय लिया, बल्कि सफलतापूर्वक संसद के दोनों सदनों में इसे पारित करवा कर विदेशों में रह रहे लाखों ऐसे भारतीयों को उम्मीद दी जो दशकों से धर्म आधारित भेदभाव और प्रतारणा का दंश झेल रहे थे।
· पूर्वोत्तर में शांति और विकास की राह खोली: पूर्वोत्तर के राज्यों की सीमाओं तथा वहाँ की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी लंबित समस्याओं का शान्तिपूर्वक हल भी गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह ने किया। इस संदर्भ में ब्रू-रियांग समझौता, असम-ब्रू-मेघालय सीमा-विवाद का हल, बोडो-समस्या का निराकरण जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं।
· वामपंथी उग्रवाद पर नकेल: वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर अमित शाह ने ठोस रणनीति बनाई। उनके प्रयासों से आज वामपंथी उग्रवाद का क्षेत्रफल तुलनातमक रूप से बहुत कम हुआ है। आतंकवाद को लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की मुस्तैदी का परिणाम है कि आतंकवादी मंसूबे छिटपुट बाह्य सीमाओं तक सीमित हैं।
· आपदा प्रबंधन पर नया दृष्टिकोण: गृहमंत्री बनने के बाद श्री अमित शाह ने आपदा प्रबन्धन के नए दृष्टिकोण को श्री नरेंद्र मोदी जी के दस सूत्रीय एजेंडे के अनुरूप व्यवस्थित करने का पूरा खाका तैयार किया। उन्होंने आपदा प्रबन्धन हेतु आपदा पूर्व की योजना से लेकर राहत एवं पुनर्वास तक का समेकित दृष्टिकोण रखा। नशा-मुक्त भारत की राह, समाज में व्याप्त नशे के कारोबार की चुनौती तथा इसपर नियंत्रण को लेकर गृह मंत्री रहते श्री अमित शाह ने नीतिगत स्तर पर अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाये, जो प्रभावी होने के साथ-साथ युगानुकूल भी सिद्ध हो रहे हैं।
· नशा मुक्त भारत की राह: समाजमें व्याप्त नशे के कारोबार की चुनौती तथा ड्रग्स कंट्रोल को लेकर गृहमंत्री रहतेअमित शाह ने नीतिगत स्तर पर अनेक कदम उठाये, जो युगानुकूल भी हैं और प्रभावी भीसिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई, 2021 को जब सहकारिता मंत्रालय का गठन किया तो अमित शाह को सहकारिता मंत्री का दायित्व भी मिला। सहकारिता क्षेत्र में श्री अमित शाह का अनुभव विस्तृत एवं व्यापक रहा है। इस मंत्रालय के माध्यम से श्री शाह "सहकारिता से समृद्धि" के मन्त्र के साथ काम कर रहे हैं। शाह का मानना है कि सहकारिता क्षेत्र की देश के जीडीपी को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। सहकारिता आंदोलन को आज के समय की चुनौतियों के लिए तैयार करने, इस क्षेत्र से अस्थिरता को समाप्त करने, पारदर्शितायुक्त व्यवस्था का निर्माण करने तथा सहकारिता के क्षेत्र में छोटे से छोटे किसान का भरोसा बहाल करने के लक्ष्य के साथ अमित शाह इस मंत्रालय के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।
PACs में पारदर्शिता और एफिशिएंसी बढ़ने के उद्देश्य से शाह ने देश की 63000 PACs के कम्प्युटराईजेशन का महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है। सहकारिता के आधुनिकीकरण की राह में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है। सहकारी बैंकों को अन्य बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धी और आधुनिक बनाने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय की संस्तुति पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने सहकारी बैंकों की आवासी लोन की सीमा को दो गुना करने की इजाजत दे दी है। इसके अतिरिक्त अब सहकारी बैंक भी अन्य बैंकों की तर्ज पर डोर स्टेप सेवा दें सकेंगे।